बैंड-बाजा, नाच-गाना और लजीज खाना, जब धूमधाम से हुआ पिल्लों का नामकरण संस्कार
मोरध्वज ने अपनी डॉगी जूली और पिल्लों को बग्गी पर बैठाकर गांव में घुमाया. इस दौरान उन्होंने बैंड बाजे की धुन पर खूब डांस किया. उन्होंने गांव के लोगों को दावत का निमंत्रण भी दिया.
बच्चों के नामकरण संस्कार तो आम बात है. लेकिन उत्तर प्रदेश के हाथरस में पिल्लों का नामकरण संस्कार चर्चा में है.एक व्यक्ति ने अपने पालतू डॉगी जूली के पिल्लों का नामकरण संस्कार बहुत ही धूमधाम से किया. ये नामकरण लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है. ये मामला हाथरस जिले के कोतवाली सिकंदराराऊ क्षेत्र के गांव बरई शाहपुर का है. गांव बरई शाहपुर के रहने वाले मोरध्वज कश्यप की पालतू डॉगी जूली ने पिल्लों को जन्म दिया. जिसके बाद उन्होंने पिल्लों का नामकरण काफी धूमधाम से किया. इस दौरान उन्होंने भोज का भी आयोजन किया.
नामकरण वाले दिन मोरध्वज ने अपनी डॉगी जूली और पिल्लों को बग्गी पर बैठाकर गांव में घुमाया. इस दौरान उन्होंने बैंड बाजे की धुन पर खूब डांस किया. उन्होंने गांव के लोगों को दावत का निमंत्रण भी दिया.पिल्लों के नामकरण में गांव के लोग दावत खाने पहुंचे. डॉगी जूली के मालिक और कार्यक्रम के आयोजक मोरध्वज ने बताया कि उन्होंने जूली को बचपन से अपने बच्चे की तरह पाला है.उन्होंने बताया कि 20 दिन पहले जूली ने 5 पिल्लों का जन्म दिया था. जिसका आज उन्होंने नामकरण किया है. इस कार्यक्रम में उन्होंने गांव के सभी लोगों को भोजन के लिए निमंत्रण दिया गया है.
धूमधाम से हुआ पिल्लों का नामकरण
उन्होंने बताया कि उन्होंने जूली को बग्गी में बिठाकर पूरे गांव में घुमाया. इस कार्यक्रम में मोरध्वज और उनकी पत्नी सरोज देवी शामिल हुए. वहीं गांव के लोग भी पिल्लों के नामकरण में खुशी-खुशी पहुंचे.आमतौर पर लोग अपने पालतू जानवरों का जन्मदिन काफी धूमधाम से मनाते हैं लेकिन नामकरण संस्कार करना काफी अलग है. बता दें कि जूली के बच्चों के नाम भूरी,जुगनू,किरण, सरोज,महेश रखे गए हैं.
नामकरण की पार्टी में पहुंचे गांव के लोग
मोरध्वज पेशे से किसान हैं. उसके परिवार में एक बेटी है, जिसकी शादी हो चुकी है. वह अपनी पत्नी सरोज के साथ रहते हैं. अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए वह 2 साल पहले जूली को घर लेकर आए थे. वह जूली का ख्याल अपने परिवार के सदस्य की तरह रखते हैं. जब जूली ने पिल्लों को जन्म दिया तो उन्होंने इसे सेलिब्रेट करने का सोचा, जिसके बाद उन्होंने पिल्लों का नामकरण संस्कार आयोजित कर दिया. इस दौरान उन्होंने गांव के लोगों को दावत भी दी.