14 अगस्त: विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस क्या है, जानें इसके बारे में सबकुछ

14 अगस्त: विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस क्या है, जानें इसके बारे में सबकुछ

भारत का विभाजन देश के लिए किसी विभीषिका से कम नहीं थी. यह अंग्रेजों की साजिश थी कि देश को दो टुकड़ों में बांट दिया जाए, इसके लिए कुछ भारतीय नेता भी जिम्मेदार थे.

14 अगस्त 1947 की तारीख भारत भला कैसे भूल सकता है! एक तरफ 200 वर्षों की गुलामी के बाद आजादी मिलने वाली थी तो वहीं दूसरी ओर देश के दो टुकड़े हो रहे थे. लाखों लोग इधर से उधर हो गए. घर-बार छूटा. परिवार छूटा. लाखों की जानें गईं. यह दर्द था, विभाजन का. भारत के लिए यह विभीषिका से कम नहीं थी. इसी दर्द को याद करते हुए पिछले साल आजादी की सालगिरह से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ा ऐलान किया. ऐलान, 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाने का.

पीएम मोदी ने कहा, “अब हर साल स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका दिवस के तौर पर याद किया जाएगा. देश का विभाजन कैसे हमारे लिए विभीषिका बनी, इसे याद करने के लिए 14 अगस्त को यह खास दिवस मनाया जाएगा.” एक साल पहले यानी 14 अगस्त 2021 का दिन और आज यानी 14 अगस्त 2021, देश बंटवारे के दर्द को याद करते हुए यह दिवस मना रहा है.

क्या कहता है भारत का राजपत्र?

विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस को लेकर 14 अगस्त 2021 को केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से भारत सरकार का राजपत्र यानी कि गजट जारी किया गया था, जिसमें कहा गया है कि भारत सरकार, भारत की वर्तमान और भावी पीढ़ियों को विभाजन के दौरान लोगों द्वारा सही गई यातना और वेदना का स्मरण दिलाने के लिए 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवसके रूप में घोषित करती है.

पीएम मोदी ने तब क्या कहा था?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले वर्ष इस दिवस की शुरुआत करते हुए कहा था कि देश के बंटवारे के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता. नफरत और हिंसा की वजह से हमारे लाखों बहनों-भाइयों को विस्थापित होना पड़ा और अपनी जान गंवानी पड़ी.

उन्होंने कहा था कि विभाजन के कारण हुई हिंसा और नासमझी में की गई नफरत से लाखों लोग विस्थापित हो गए और कई ने जान गंवा दी. उन लोगों के बलिदान और संघर्ष की याद में 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के तौर पर याद किए जाने का निर्णय लिया गया.

पीएम मोदी ने कहा,


विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस, सामाजिक विभाजन, वैमनस्यता के जहर को दूर करने और एकता, सामाजिक सद्भाव और मानव सशक्तीकरण की भावना को और मजबूत करने की जरूरत की याद दिलाए. यह दिन हमें भेदभाव, वैमनस्य और दुर्भावना के जहर को खत्म करने के लिए प्रेरित करेगा. साथ ही इससे एकता, सामाजिक सद्भाव और मानवीय संवेदनाएं भी मजबूत होंगी.


विभाजन की विभीषिका और स्मृति दिवस

भारत का विभाजन देश के लिए किसी विभीषिका से कम नहीं थी. इसका दर्द आज भी देश को झेलना पड़ रहा है. ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन ने पाकिस्तान को 1947 में भारत के विभाजन के बाद एक मुस्लिम देश के रूप में मान्यता दी थी. लाखों लोग विस्थापित हुए थे और बड़े पैमाने पर दंगे भड़कने के चलते कई लाख लोगों की जान चली गई थी.

इससे पहले ब्रिटिश हुकूमत से आजादी के लिए भी लाखों भारतीयों ने कुर्बानियां दी थीं. 14 अगस्त 1947 की आधी रात भारत की आजादी के साथ देश का भी विभाजन हुआ और पाकिस्तान अस्तित्व में आया. विभाजन से पहले पाकिस्तान का कहीं नामो-निशान नहीं था. अंग्रेज जा तो रहे थे, लेकिन उनकी साजिश का फलाफल था कि भारत को बांटकर एक अन्य देश खड़ा किया गया.

कभी नहीं भूली जा सकती वह रात

विभाजन की घटना को याद किया जाए तो 14 अगस्त 1947 का दिन भारत के लिए इतिहास का एक गहरा जख्म है. वह जख्म तो आज तक ताजा है और भरा नहीं है. यह वो तारीख है, जब देश का बंटवारा हुआ और पाकिस्तान एक अलग देश बना. बंटवारे की शर्त पर ही भारत को अंग्रेजों से आजादी मिली.

भारत-पाक विभाजन ने भारतीय उप महाद्वीप के दो टुकड़े कर दिए. दोनों तरफ पाकिस्तान (पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान) और बीच में भारत. इस बंटवारे से बंगाल भी प्रभावित हुआ. पश्चिम बंगाल वाला हिस्सा भारत का रह गया और बाकी पूर्वी पाकिस्तान. पूर्वी पाकिस्तान को भारत ने 1971 में बांग्लादेश के रूप में स्वतंत्र राष्ट्र बनाया.

दिलों और भावनाओं का भी बंटवारा

देश का बंटवारा हुआ लेकिन शांतिपूर्ण तरीके से नहीं. इस ऐतिहासिक तारीख ने कई खूनी मंजर देखे. भारत का विभाजन खूनी घटनाक्रम का एक दस्तावेज बन गया जिसे हमेशा उलटना-पलटना पड़ता है. दोनों देशों के बीच बंटवारे की लकीर खिंचते ही रातों-रात अपने ही देश में लाखों लोग बेगाने और बेघर हो गए. धर्म-मजहब के आधार पर न चाहते हुए भी लाखों लोग इस पार से उस पार जाने को मजबूर हुए.

इस अदला-बदली में दंगे भड़के, कत्लेआम हुए. जो लोग बच गए, उनमें लाखों लोगों की जिंदगी बर्बाद हो गई. भारत-पाक विभाजन की यह घटना सदी की सबसे बड़ी त्रासदी में बदल गई. यह केवल किसी देश की भौगोलिक सीमा का बंटवारा नहीं बल्कि लोगों के दिलों और भावनाओं का भी बंटवारा था. बंटवारे का यह दर्द गाहे-बगाहे हरा होता रहता है. विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस इसी दर्द को याद करने का दिन है.

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