झारखंड चुनाव में क्यों उठा आदिवासियों के लिए अलग धर्म का मुद्दा, जानें सरना कोड लागू करने पर क्या है पार्टियों का स्टैंड

झारखंड चुनाव में क्यों उठा आदिवासियों के लिए अलग धर्म का मुद्दा, जानें सरना कोड लागू करने पर क्या है पार्टियों का स्टैंड

झारखंड चुनाव में आदिवासियों के लिए 'सरना धर्म कोड' लागू करने की मांग जोर पकड़ रही है. कांग्रेस और जेएमएम ने सरकार बनने पर इसे लागू करने का वादा किया है, जबकि बीजेपी भी इस कोड के समर्थन में है. सरना धर्म कोड आदिवासी समुदाय की प्रकृति पूजा परंपरा से जुड़ा है और उनके लिए भावनात्मक मुद्दा है.

झारखंड चुनाव में एक बार फिर से सरना धर्म कोड लागू करने की मांग शुरू हो गई है. कांग्रेस और जेएमएम ने राज्य में दुबारा सरकार बनने पर इसे लागू करने का वादा किया है. कांग्रेस-जेएमएम के सरना धर्म कोड लागू करने के दाव को बीजेपी के यूसीसी के जरिए हिंदुत्व के नैरेटिव के काट के तौर देखा जा रहा है. तो वहीं बीजेपी ने भी कहा है कि पार्टी सरना कोड को लागू करने के पक्ष में है.

झारखंड विधानसभा चुनाव में तीनों बड़े दल इसलिए सरना कोड लागू करने की बात कर रहे हैं क्योंकि इसके पीछे वजह है आदिवासियों का एक बड़ा वोटबैंक है. दरअसल पहले जनगणना में सरना धर्म कोड का अलग से कॉलम होता था पर बाद मे इसे खत्म कर दिया गया. ऐसे में आदिवासियों के लिए अलग से जनगणना में सरना धर्म कोड की मांग सभी राजनीतिक दल उठा रहे हैं. कांग्रेस जेएमएम अपने चुनावी घोषणापत्र में सरना धर्मकोड की वकालत भी की है.

जानें क्या है सरना धर्म कोड

सरना धर्म कोड आदिवासियों के लिए संस्कृति और परंपरा से जुड़ा मुद्दा है. वैसे तो आदिवासी पेड़ पहाड़ और प्रकृति की पूजा करते हैं पर आदिवासी समुदाय की अधिकांश आबादी हिंदू धर्म की मान्यताओं और संस्कारों के करीब है, पूजा पाठ के विधि विधान और आराध्य देवी देवता भी सनातन जैसे ही हैं. लेकिन आदिवासियों के पूजा पद्धति में मूर्ति पूजा की बजाए प्रकृति पूजा का विधान है. सरना आदिवासियों के पूजा स्थल को भी कहा जाता हैं जहां आदिवासी समुदाय अपनी मान्यताओं के मुताबिक अलग अलग त्योहारों पर इकट्ठा होकर पूजा-अर्चना करते हैं.

इनका एक सरना झंडा भी होता है. पर झारखंड के आदिवासियों को जनगणना में अलग से धर्म कोड का प्रस्ताव केंद्र सरकार ठुकरा चुकी है. सरकार का ये तर्क था कि जनगणना में धर्म के कॉलम के अलावा नया कॉलम या धर्म कोड जोड़ने से पूरे देश में ऐसी और मांगे उठेंगी जो कि संभव नहीं है, पर आदिवासियों के लिए ये एक भावनात्मक मुद्दा है. लोकसभा चुनाव के दौरान भी ये मुद्दा उठा था.

क्या बोले बीजेपी सांसद?

वहीं इस मामले पर बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे का कहना है कि बीजेपी सरना कोड के खिलाफ नहीं है, बीजेपी सरना कोड लागू करेगी. सरना कोड का डिमांड हमने किया, हमारे कड़िया मुंडा ने बड़े-बड़े आंदोलन सरना कोड पर किया है, लेकिन वोटबैंक को भड़काने के लिए जेएमएम-कांग्रेस सरना कोड की बात कर रहा है. इस मामले पर बीजेपी सांसद दीपक प्रकाश भी कह रहे हैं कि पार्टी सरना धर्म कोड का सम्मान करती है.

हेमंत सरकार ने बुलाया था विशेष सत्र

हेमंत सरकार ने विशेष सत्र बुलाकर झारखंड विधानसभा से सरना धर्म कोड बिल पास भी किया था. हेमंत सोरेन इस संबंध में पीएम मोदी को खत भी लिख चुके हैं, पर झारखंड के पूर्व सीएम चंपाई सोरेन ने जेएमएम और कांग्रेस दोनों तो की इस मुद्दे पर आड़े हाथ लिया था. चंपाई सोरेन ने कहा कि सरना कोड 1951 तक था पर कांग्रेस ने इसे खत्म कर दिया. ऐसे में सरना कोड की बात करने से पहले जेएमएम को का्ग्रेस से संबंध तोड़ लेना चाहिए.

आदिवासी समुदाय के बीच ईसाई मिशनरियों के प्रभाव और सक्रियता को भी सरना कोड की मांग से जोड़कर देखा जाता है. सरना कोड की खिलाफत करने वाले कहते हैं कि सरना धर्म असल में सनातन धर्म परंपरा का ही एक आदि धर्म और जीवनपद्धति है. ऐसे मे अलग सरना धर्म कोड के जरिए आदिवासियों को बांटने और सनातन हिंदू धर्म से दूर करने की कोशिश है ताकि उनका ईसाई धर्म में धर्मांतरण आसानी से कराया जा सके.