21 साल तक पाकिस्तान बॉर्डर पर रहें तैनात, अब रिटायर्ड फौजी के जिम्मे गांव की सरकार
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योगेश्वर 31 जनवरी को सीआरपीएफ में इक्कीस साल नौकरी करने के बाद रिटायर हुए. वह अब गाँव के बतौर प्रथम मुखिया बन अपनी सेवाएं देंगे. उन्होंने कहा कि लोगों का आशीर्वाद मिला और मैं 17 मतों के अंतर से चुनाव जीता.
छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के गुंडरदेही ब्लॉक के गांव खुरसुनी के योगेश्वर प्रसाद ने सीआरपीएफ में इक्कीस साल अपनी सेवा देने के बाद रिटायर्ड हो गए. योगेश्वर 31 जनवरी को रिटायर हुए. रिटायर्ड होने के बाद योगेश्वर समाज सेवा का भाव लिए सरपंच चुनाव लड़े और 17 मतों के अंतर से चुनाव जीते. ऐसे में अब रिटायर्ड फौजी कंधों पर गांव सरकार की जिम्मेदारी है.
योगेश्वर देश के अलग अलग जगहों में अपनी सेवाएं देने के बाद अब गाँव के बतौर प्रथम मुखिया बन अपनी सेवाएं देंगे. योगेश्वर ने कहा कि रिटायर्ड होने के बाद मन में समाज सेवा का भाव था. उन्होंने एमएसडब्ल्यू का एक साल का कोर्स किया है. इसी दौरान छत्तीसगढ़ में पंचायत चुनाव चल रहा था. गुंडरदेही ब्लॉक में तीसरे चरण में चुनाव था, जिसका 3 फरवरी को नामांकन भरना था.
सरपंच पद हेतु भरा नामांकन
चुनाव लड़ने के लिए योगेश्वर ने नागालैंड के दीमापुर से रायपुर की फ्लाइट टिकट की, जिसका किराया 10 हजार 50 रुपये था. इसके बाद एक फरवरी को रात साढ़े 8 बजे अपने गांव पहुचें. ग्रामीणों ने गाजे बाजे और फूलों का हार पहना स्वागत किया. 3 फरवरी को उन्होंने सरपंच पद हेतु नामांकन भरा और फिर चुनाव मैदान में उतर डोर टू डोर लोगों से जनसम्पर्क किया और अपना भावना व्यक्त किया.
17 मतों के अंतर से जीता चुनाव
योगेश्वर ने कहा कि लोगों का आशीर्वाद मिला और मैं 17 मतों के अंतर से चुनाव जीता. योगेश्वर की माने तो उनके लिए सरपंच चुनाव समाज से जुड़ने का एक मौका था. उन्होंने कहा कि खुरसुनी उनकी जन्मभूमि है. वहीं यहीं से सीआरपीएफ में अपनी सेवा देने गए और 21 साल की युवा अवस्था देश की सेवा में दी. ऐसे में अब जो बचा हुआ समय है अब गांव, अपने लोग और परिवार को देना चाहते हैं. गांव के विकास के लिए अथक प्रयास करना उनका संकल्प हैं.
योगेश्वर प्रसाद साहू ने पैरामिलिट्री सीआरपीएफ में 29 फरवरी 2004 को नीमच में ज्वॉइंग की थी. ट्रेनिंग सेंटर शिमला के पिंजौर में रहा. ट्रेनिंग पूरी होने के बाद पहली पोस्टिंग आंध्रप्रदेश के घोर नक्सल इलाके में रही, जहां 3 साल सेवाएं दी और फिर त्रिपुरा में 3 साल, जम्मू कश्मीर में साढ़े 5 साल और फिर छत्तीसगढ़-आंध्रप्रदेश बॉर्डर, वाराणसी, नागालैंड में पोस्टिंग हुई. नागालैंड से ही बीते माह 31 जनवरी को रिटायर्ड हुए. योगेश्वर एक किसान परिवार से हैं, उनकी पत्नी सरकारी अस्पताल में स्टाफ नर्स पर पदस्थ हैं.