गुलदारों का गढ़ बन गया बिजनौर, 16 साल की लड़की को बनाया शिकार; एक साल में 39 लोगों की मौत

गुलदारों का गढ़ बन गया बिजनौर, 16 साल की लड़की को बनाया शिकार; एक साल में 39 लोगों की मौत

बिजनौर में गुलदार के हमलों का आतंक खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. सोमवार को हीमपुर दीपा थाना क्षेत्र के पिलाना गांव की एक 16 साल की लड़की की गुलदार के हमले में मौत हो गई. मृतक लड़की अपनी मां के साथ पशुओं के लिए चारा काटने खेत गई थी, तभी अचानक से एक गुलदार गन्ने के खेत से बाहर आया और अपने साथ लड़की को उठाकर ले गया.

उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में गुलदार का आतंक जारी है. सोमवार को फिर गुलदार ने एक लड़की पर हमला कर उसे मौत के घाट उतार दिया. हीमपुर दीपा थाना क्षेत्र के पिलाना गांव के खेत में 16 साल की सलोनी सैनी अपनी मां के साथ पशुओं के लिए चारा काट रही थी. तभी अचानक गन्ने के खेत से निकलकर आए गुलदार ने सलोनी पर हमला कर दिया और खींच कर अपने साथ खेत में ले गया. सलोनी की मां के शोर मचाने पर आसपास के खेतों में काम कर रहे किसानों ने पीछा कर गुलदार से सलोनी को छुड़ाया, लेकिन तब तक गुलदार उसे लहूलुहान कर चुका था.

बिजनौर में गुलदारों ने किसान, मजदूरों और ग्रामीणों का जीना दूभर कर रखा है. जिले में पिछले एक साल में 149 हमलों में 39 लोगों की जान जा चुकी है. वहीं 110 लोग गंभीर रूप से जख्मी हो चुके हैं. हालात इतने खौफनाक हैं कि खेत पर किसान और मजदूर जाते हुए भी डरते हैं, जिससे खेती पर भी असर पड़ रहा है. खेतों में जुताई, बुवाई, खाद, पेस्टिसाइड स्प्रे और पशुओं के लिए चारा-पानी जैसी आवश्यक गतिविधियां भी समय पर नहीं हो पा रही हैं.

3 तरफ से वन क्षेत्र से घिरा हुआ है बिजनौर

बिजनौर जिले के किसान संगठन आए दिन वन विभाग और प्रशासनिक कार्यालयों पर धरना-प्रदर्शन कर गुलदारों से निजात दिलाने की मांग करते हैं, लेकिन उनकी आवाज फाइलों में दबकर रह जाती है. वन विभाग के DFO अरुण कुमार सिंह का कहना है कि बिजनौर तीन ओर से वन क्षेत्र से घिरा हुआ है. एक ओर हस्तिनापुर वाइल्डलाइफ सेंचुरी है तो दूसरी तरफ अमानगढ़ टाइगर रिजर्व पार्क. इसके साथ ही राजगढ़, सबलगढ़, सहारनपुर, बढ़ापुर, नगीना, नजीबाबाद, साहूवाला, कौडिया और चांदपुर वन रेंजों में वन्यजीवों की भरमार है.

एक साल में पकड़े गए 47 गुलदार

पीने के पानी और शिकार की तलाश में अक्सर गुलदार जैसे वन्यजीव गांव और रिहायशी इलाको में आ जाते हैं और उसके बाद गन्ने के खेतों को अपना स्थायी ठिकाना बनाकर उसमें रहने लगते हैं. बिजनौर में 400 से अधिक गुलदार खेतों में डेरा जमाए हुए हैं. यहां उनकी आबादी भी लगातार बढ़ रही है. वन विभाग के SDO ज्ञान सिंह बताते हैं कि पिछले एक साल में 47 गुलदार पिंजरे लगाकर पकड़े जा चुके हैं, लेकिन गन्ना बाहुल्य इलाका होने की वजह से गुलदारों को आसानी से ढूंढ़ पाना बहुत मुश्किल है.

वन विभाग ने जारी की एडवाइजरी

जंगलों में टाइगर की बढ़ती संख्या से गुलदार रिहायशी इलाकों में आ गए हैं, क्योंकि गुलदार कुत्ते, गाय और भैंस के बछड़ों को आसानी से शिकार बना लेते हैं. जब भी मौका लगता है, यह इंसानों पर भी हमला कर जान ले लेते हैं. वन विभाग ने गुलदारों से बचने के लिए तीन से चार किसानों को एक साथ खेत पर जाने और मोबाइल पर गाने, भजन कीर्तन बजाते हुए जाने, अपने साथ बच्चों को खेत पर नहीं ले जाने और अधिक देर बैठकर काम करने पर एक व्यक्ति को खड़े रह कर पहरा देने की एडवाइजरी जारी की है.