UP में स्ट्रॉबेरी की खेती से किसान की बदली किस्मत, 5 महीने में हुई 9 लाख की कमाई

UP में स्ट्रॉबेरी की खेती से किसान की बदली किस्मत, 5 महीने में हुई 9 लाख की कमाई

किसान राम गोविंद शुक्ला के अनुसार, इस फसल की पैदावार के लिए उन्होंने अपने 2 बीघे जमीन का इस्तेमाल किया है.

उत्तर प्रदेश के औरैया जनपद में अब किसान धान- गेहूं जैसे पारंपरिक फसलों की खेती में रुचि नहीं ले रहे हैं. यहां के किसान अब पुरानी परंपरा से हटकर नई- नई फसलों की खेती कर रहे हैं. इन फसलों की खेती कर किसान लाखों की कमाई भी कर रहे हैं. भाग्य नगर ब्लाक के ग्राम रानीपुर के रहने वाले किसान राम गोविंद शुक्ला ने भी परंपरागत फसलों को छोड़ नई तरह से खेती शुरू की है. उन्होंने अपने खेतों में स्ट्रॉबेरी की फसल पैदा करके जनपद भर में धूम मचा दी है. वहीं, इस फसल की पैदावारी से उन्होंने लाखों की कमाई भी की है.

औरैया जनपद के भाग्य नगर ब्लाक के ग्राम रानीपुर के रहने वाले किसान राम गोविंद शुक्ला को अब गांव ही नहीं बल्कि जनपद भर में जान पहचान मिली है. स्ट्रॉबेरी की फसल पैदा करके किसान राम गोविंद शुक्ला ने न सिर्फ एक अलग हटकर खेती में नया मुकाम बनाया है, बल्कि अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणा स्रोत साबित हो रहे हैं.

मार्केट प्राइस ₹300 किलो मिल जाता है

किसान राम गोविंद शुक्ला के अनुसार, इस फसल की पैदावार के लिए उन्होंने अपने 2 बीघे जमीन का इस्तेमाल किया है. सितंबर माह में स्ट्रॉबेरी फसल की पौध की बेले बाहर से ला करके उन्होंने यहां पर लगाई. पाइप लाइन से बराबर पानी और दवा का छिड़काव करते रहे. वर्तमान समय में प्रतिदिन 1.30 से 2 कुंटल की पैदावार स्ट्रॉबेरी की हो रही है. इस स्ट्रॉबेरी को डिब्बों में पैक करके कानपुर नगर के चकरपुर मंडी में भेजते हैं, जहां पर उसकी उन्हें अच्छी लागत मिल जाती है. 1 किलो स्ट्रॉबेरी का उन्हें मार्केट प्राइस ₹300 किलो मिल जाता है.

उन्होंने अपने साथ-साथ लगभग 10 लोगों को भी रोजगार दिया है

वहीं, इस पैदावार से उन्होंने अपने साथ-साथ लगभग 10 लोगों को भी रोजगार दिया है. वहीं, किसान राम गुण शुक्ला ने यह भी बताया कि वह अब तक 60 क्विंटल स्ट्रॉबेरी लगभग साढ़े 900000 रुपये में बेच चुके हैं. रोजाना वह कानपुर की चकरपुर मंडी में स्ट्रॉबेरी बेच करके अपना व्यापार कर रहे हैं. वहीं, जिलाधिकारी औरैया प्रकाश चंद श्रीवास्तव ने बताया कि इस प्रकार की फसल के लिए उद्यान विभाग के द्वारा व अन्य मदों के द्वारा लगभग 90% भुगतान किया जाता है. जिलाधिकारी ने अन्य किसानों से भी इस प्रकार की फसलों को करने की बात कही है.