Holi 2023: कब और किस विधि से करें होलिका दहन की पूजा, जानें इसे जलाने के सभी जरूरी नियम

Holi 2023: कब और किस विधि से करें होलिका दहन की पूजा, जानें इसे जलाने के सभी जरूरी नियम

Holi 2023: रंग और उमंग से भरी होली को खेलने से पहले जिस होलिका के दहन की परंपरा सदियों से चली आ रही है, आखिर उसकी क्या विधि है और इसे कब और किस विधि से करना चाहिए, जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.

होलिका दहन 2023:सनातन परंपरा में फाल्गुन मास की पूर्णिमा का बहुत ज्यादा महत्व है क्योंकि इसी दिन होलिका दहन के बाद रंगों का महापर्व होली मनाया जाता है. इस साल यह पावन तिथि 07 फरवरी 2023 को पड़ने जा रही है. हिंदू मान्यता के अनुसार इस दिन पूरे विधि-विधान से होलिका की पूजा और उसे जलाने की परंपरा चली आ रही है. बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माने जाने वाले होलिका दहन को करने के लिए हमारे यहां शास्त्रों में कुछेक जरूरी नियम बताए गए हैं, जिनका हमें उसकी पूजा करते समय और उसे जलाते समय हमेशा ध्यान रखना चाहिए. आइए होलिका दहन की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और उससे जुड़े सभी जरूरी नियम को विस्तार से जानते हैं.

होलिका दहन की पूजा का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष की भांंति इस साल भी होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि यानि 07 मार्च 2023,मंगलवार को किया जाएगा. पंचांग के अनुसार इस साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 06 मार्च 2023 को सायंकाल 04:17 बजे से प्रारंभ होकर अगले दिन 07 मार्च 2023 को सायंकाल 06:09 बजे तक रहेगी. इस साल होलिका के दिन भद्रा का साया भी रहेगा लेकिन वह 07 फरवरी 2023 को प्रात:काल 05:15 बजे ही खत्म हो जाएगी. पंचांग के अनुसार होलिका दहन के लिए सबसे अच्छा मुहूर्त सायंकाल 06:24 से रात्रि 08:51 बजे तक रहेगा.

होलिका दहन की पूजा विधि

होलिका दहन की पूजा और उसमें अग्नि प्रज्जवलित हमेशा शुभ मुहूर्त में करना चाहिए. होली की पूजा में सूखा नारियल ओर गेहूं की बालियों को चढ़ाना बेहद शुभ माना गया है. ऐसे में गाय के गोबर के बने कंडे, थोड़ी सी पीली सरसों, फूल, अबीर-गुलाल आदि चीजों को पूजा में जरूर चढ़ाएं. होलिका की पूजा करने के बाद उसकी सात बार परिक्रमा करना चाहिए. होलिका दहन करने से पहले शरीर पर उबटन लगाने का रिवाज है. मान्यता है कि उबटन के साथ न सिर्फ शरीर की मैल बल्कि रोग, दोष और सभी प्रकार के कष्ट उतर जाते हैं, जिसे बाद में जलती हुई होलिका में डालकर उनसे मुक्ति पा लेना चाहिए.

होलिका दहन के नियम

  1. हिंदू मान्यता के अनुसार होलिका दहन के लिए कभी भी केला, आंवला, पीपल, बरगद, शमी, तुलसी, नीम आदि पूजनीय मानी जाने वाले पेड़-पौधों और हरी लकड़ी या पौधे को जलाने के लिए प्रयोग में नहीं लाया जाता है.
  2. होलिका दहन के लिए सूखे हुए गूलर के पेड़ की लकडि़या, गाय के गोबर से बने कंडे आदि को जलाने के लिए प्रयोग में लाना अत्यंत ही शुभ माना जाता है.
  3. मान्यता है कि काले कपड़े की ओर नकारात्मक शक्तियां तेजी से आकर्षित होती हैं, इसलिए होलिका दहन की पूजा और उसमें आग लगाते समय व्यक्ति को कभी भी काले कपड़ा नहीं पहनना चाहिए.
  4. यदि कोई महिला होली की पूजा करने जा रही हो तो उसे कभी भी खुले सिर होलिका की पूजा नहीं करनी चाहिए.
  5. होलिका दहन की रात को व्यक्ति को किसी वीरान स्थान पर जाने से बचना चाहिए.

(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)