UP: स्कूल के पास दारू का ठेका…हर दिन आते नशेड़ी, दुकान बंद करवाने LKG का छात्र पहुंचा कोर्ट
कानपुर के आजाद नगर में एक स्कूल है, जहां पर मासूम पढ़ाई करता है. वह एलकेजी का छात्र है. याचिका में कहा गया है कि दुकानदार सुबह 7:00 बजे से ही शराब की बिक्री शुरू कर देता है. लोग फुटपाथ पर बैठकर खुलेआम शराब पीते हैं, जबकि नियमानुसार स्कूल के पास शराब की दुकान अवैध होती है.
उत्तर प्रदेश के कानपुर में आबकारी कानून की अनदेखी कर शराब की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है. कानपुर में कई इलाके ऐसे हैं, जहां मंदिरों और स्कूलों के ठीक बगल में शराब ठेके खोल दिए गए हैं, लेकिन विभाग ने चुप्पी साध रखी है. लेकिन एक बच्चे से न रहा गया. स्कूल के पास खुले शराब ठेके को देखकर उसने पहले अपने घरवालों से सवाल किया और फिर आसपास के लोगों से. बच्चे के सवाल से सभी भौचक्के रह गए. अब वकील के माध्यम से एलकेजी के छात्र ने हाई कोर्ट से ठेके को बंद करने की गुहार लगाई है.
मासूम के स्कूल के पास खुले शराब के ठेके में सुबह से शाम तक शराब बेचने और पीने वालों की भीड़ लगी रहती है. इसको देखकर मासूम ने स्कूल जाते समय अपने पिता से पूछा कि यहां पर इतनी भीड़ क्यों है और यह लोग क्या पी रहे हैं? यह सवाल मासूम ने घर आकर अपने पड़ोसियों से भी की. तबपिता ने स्कूल प्रबंधन से शिकायत की, लेकिन सुनवाई नहीं हुई. उसके बाद उन्होंने आईजीआरएस पोर्टल (Jansunwai) पर शिकायत कराई. वहां से भी उन्हें कोई मदद नहीं मिल पाई.
इसके बाद अधिवक्ता पिता ने हाईकोर्ट के एक मित्र वकील से मिलकर पूरी बात बताई. उन्होंने बच्चे से पूरी बातचीत करके इस मामले में एक जनहित याचिका हाई कोर्ट में दाखिल कर दी. याचिका में प्रदेश सरकार, आबकारी आयुक्त, जिला अधिकारी, जिला आबकारी अधिकारी व शराब ठेके के लाइसेंसधारी ज्ञानेंद्र कुमार को पक्षकार बनाया गया है.
दुकानदार सुबह 7:00 बजे से ही शराब की बिक्री शुरू कर देता है
कानपुर के आजाद नगर में एमआर जयपुरिया नाम से एक स्कूल है, जहां पर आजाद नगर के ही रहने वाले निवासी अधिवक्ता प्रसून दीक्षित का 5 वर्ष का बेटा अर्थ पढ़ाई करता है. वह एलकेजी का छात्र है. याचिका में कहा गया है कि दुकानदार सुबह 7:00 बजे से ही शराब की बिक्री शुरू कर देता है और लोग फुटपाथ पर बैठकर खुलेआम शराब पीते हैं, जबकि नियमानुसार स्कूल के पास शराब की दुकान अवैध होती है. स्कूल से शराब ठेके की दूरी मात्र 30 मीटर है, जबकि नियम अनुसार 50 मीटर तक कोई भी लाइसेंस नहीं दिया जाना चाहिए.
इस मामले में जब मासूम के पिता प्रसून दीक्षित ने आबकारी अधिकारी से बात की तो उनका कहना था कि शराब ठेका वहां पर पहले से था और स्कूल बाद में बना. लेकिन सवाल यह उठता है कि स्कूल बन जाने के बाद उस ठेके का अधिकारियों ने नवीनीकरण क्यों किया. याचिका की अगली सुनवाई 13 मार्च को होगी.