आलस्य को मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु क्यों कहा गया है, पढ़ें सिर्फ एक क्लिक में
परिश्रम से मनुष्य के सपने पूरे और आलस्य से अधूरे रह जाते हैंं. मनुष्य के लिए आलस्य क्यों और कितना नुकसान पहुंचाने वाला होता है, जानने के लिए पढ़ें सफलता के मंत्र.
शास्त्रों में मनुष्य से जुड़े कई अवगुण बताए गये हैं, जिनके कारण व्यक्ति अपने जीवन में तमाम तरह के सुख, साधन और सफलता से वंचित रह जाता है. एक ऐसा ही अवगुण आलस्य है, जिसके आने पर व्यक्ति के पास आई मंजिल भी दूर चली जाती है. आलस्य इंसान की सफलता में अक्सर बाधक बनता है क्योंकि इसके चलते उस व्यक्ति का कीमती समय यूं ही व्यर्थ चला जाता है. आलस्य ही इंसान की दरिद्रता का सबसे बड़ा कारण बनता है.
नीति के जानकारों का कहना है कि जिस प्रकार अनपढ़ व्यक्ति को धन और निर्धन को मित्र नहीं मिलता है, कुछ उसी प्रकार आलस्य करने वालों को विद्या नहीं प्राप्त होती है. किसी भी प्रकार का गुण या विद्या प्राप्त करने के लिए आलस्य को त्याग कर परिश्रम और साधना करनी पड़ती है. जिस आलस्य के चलते इंसान के सपने अधूरे रह जाते हैं, उससे जुड़े अनमोल वाक्य को जानने के लिए आइए पढ़ते हैं सफलता के मंत्र.
- आलस्य करने पर जीवन से जुड़े तमाम काम कठिन और परिश्रम करने पर सभी कार्य आसान हो जाते हैं.
- मनुष्य का आलस्य उसे अपनों से दूर कर देता है क्योंकि इसके चलते वह अपनों के संपर्क से कटता जाता है और खुद तक सीमित रह जाता है.
- जिस व्यक्ति के दिमाग में आलस्य का कीड़ा प्रवेश कर गया हो वो कभी भी अपना हित नहीं समझ सकता तो फिर वह दूसरों के हित की कैसे चिंता कर सकता है.
- आलस्य के कारण मनुष्य अक्सर अपनी विश्वसनीयता खो देता है क्योंकि आलस्य के कारण वह खुद के द्वारा किए गये वादों को समय पर नहीं पूरा कर पाता है. कथनी और करनी एक न होने के कारण लोग उस पर विश्वास करना छोड़ देते हैं.
- आलस्य से दुर्गुण उत्पन्न होते हैं जो इंसान के सौभाग्य को भी दुर्भाग्य में बदल देते हैं. यदि आप अपने हाथ पैरों और दिमाग का इस्तेमाल नहीं करते हैं और हर समय आलस्य में डूबे रहते हैं तो निश्चित रूप से आप ईश्वर द्वारा दी गई जिंदगी का अपमान करते हैं.
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