अब तक बदल जाती भारत की तकदीर! 26 साल पहले ही वैज्ञानिकों ने खोज लिया था लिथियम भंडार
एक रिपोर्ट को सुनकर हैरानी हो रही है. जिस लिथियम का भंडार मिलने पर आज खुशियां मनाई जा रही है. दरअसल, उसकी खोज 26 साल पहले ही हो गई थी. लेकिन वैज्ञानिकों की इस खोज पर भरोसा ही नहीं किया गया.
सोचिए, अगर 26 साल पहले कश्मीर में लिथियम (Lithium) का पता चल जाता तो आज विदेशों पर हमारी निर्भरता कम हो जाती. अब तक भारत 96 फीसदी लिथियम विदेशों से आयात करता है. इसमें भी लगभग 80 चीन से आता है. इस हफ्ते भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (Geological Survey of India) ने 5.9 मिलियन टन लिथियम खोज का ऐलान किया. लेकिन इसके साथ ही एक और खुलासा हुआ है. जीओआई ने 26 साल पहले इसी एरिया में लिथियम होने की एक विस्तृत रिपोर्ट सरकार को भेजी थी लेकिन इसमें कोई कार्रवाई नहीं हुई.
आपने पढ़ा और सुना होगा कि इस हल्की धातु का प्रयोग इलेक्ट्रॉनिक वाहनों की बैटरी बनाने में किया जाता है. लेकिन सिर्फ इसी में नहीं बल्कि बाइपोलर डिसऑर्डर का उपचार करने, बीमारी या स्ट्रेस में होने वाले वाइल्ड मूड स्विंग को स्थिर करने में मदद करता है. लिथियन का भंडार मिलने के बाद ये समझा जा रहा है कि ये भारत की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा बूस्टर डोज साबित हो सकती है.
आज की रिपोर्ट कोई नई नहीं
जीएसआई अधिकारियों ने कुछ दिनों पहले जिस लिथियन की खोज की है वो भी 1995-97 की रिपोर्ट के अनुसार ही था. जीएसआई की खोज तो नई है लेकिन अधिकारियों का कहना है कि हमने पुरानी रिपोर्ट्स के आधार पर ही इस खोज को शुरू किया था. जीएसआई की 1997 की एक रिपोर्ट में कहा गया था उनको कई स्थानों पर व्यापक बॉक्साइट स्तंभ (पैलियोप्लानर सतह) की उपस्थिति मिली है. जिससे लिथियम की संभावना काफी बढ़ गई है. लेकिन अफसोस कि इस रिपोर्ट पर किसी ने गौर नहीं किया.
अभी ज्यादा खुश होना जल्दबाजी
जीएसआई ने इसकी खोज तो पहले ही कर ली थी लेकिन हाल में दोबारा लिथियम चर्चा में आया. ये एक ऐसी दुर्लभ धातु है. अगर सब कुछ हमारे अनुसार रहा तो भारत दुनिया का सातवां सबसे बड़ा लिथियन भंडारण देश बन सकता है. हालांकि, विशेषज्ञ कहते हैं कि अभी जश्न मनाना जल्दबाजी होगी. खनिज संसाधनों के लिए संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क वर्गीकरण के अनुसार इसके चार चरण होते हैं. जीएसआई के निष्कर्ष वर्तमान में दूसरे स्तर पर हैं दो और स्तर बाकी हैं.
भारत के पास नहीं है खुदाई की टेक्निक
अभी तक भारत के पास लिथियम की खुदाई और प्रोसेस करने की तकनीक नहीं है. खनन सचिव विवेक भारद्वाज ने कहा कि एकबार जब जम्मू-कश्मीर प्रशासन इसकी नीलामी कर देगा तो फिर प्राइवेट सेक्टर मिनिरल्स की खुदाई की प्रक्रिया शुरू कर देंगे. भारत सरकार के खनन सचिव विवेक भारद्वाज ने कहा कि यह भारत के लिए बहुत बड़ी बात है. हम महत्वपूर्ण खनिजों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं क्योंकि यही भविष्य है. उन्होंने कहा कि भू-वैज्ञानिक रिपोर्ट जम्मू-कश्मीर प्रशासन को सौंप दी गई है और अगला कदम उठाना उसके ऊपर होगा.
जम्मू कश्मीर प्रशासन करेगा नीलामी
भारद्वाज ने कहा कि अब यह जम्मू कश्मीर प्रशासन पर है कि वे आगे बढ़ें और इसकी नीलामी करें. एक बार प्राइवेट फर्म सामने आएगी तो वो पूरी प्रक्रिया शुरू करेंगे और खनिज की खुदाई करेंगे. यह खोज संभावित रूप से भारत को दुनिया की प्रमुख लिथियम खानों में से एक के रूप में मानचित्र पर ला सकती है, क्योंकि दुनिया के लगभग 50 प्रतिशत लिथियम भंडारण तीन दक्षिण अमेरिकी देशों: अर्जेंटीना, बोलीविया और चिली में पाए जाते हैं.
मेडिकल साइंस में भी होता है इसका प्रयोग
जानकारों का मानना है कि लिथियन का प्रयोग बैटरी, मोबाइल फोन, लैपटॉप और डिजिटल कैमरों के अलावा बाइपोलर डिसऑर्डर जैसी गंभीर बीमारी में भी किया जाता है. के इलाज के लिए भी किया जाता है. सलाल में, स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि इस खोज से गांव का भाग्य बदल सकता है. इसकी खोज के बाद कई ग्रामीणों को चट्टानों के टुकड़े ले जाते हुए भी देखा गया. गांव वालों में खुशी है कि इससे क्षेत्र में बेरोजगारी खत्म हो सकती है.