पति को मिले शहीद का दर्जा, पहलगाम हमले में मारे गए कानपुर के शुभम की पत्नी ने की मांग

शुभम के पिता संजय द्विवेदी ने कहा कि वहां कोई सुरक्षा नहीं थी, न ही कोई पुलिस कर्मी था, न ही सेना के जवान. यहां तक कि कोई सुरक्षा गार्ड भी नहीं था. उन्होंने कहा कि करीब एक घंटे बाद सेना के जवानों ने पूरे इलाके को अपने नियंत्रण में लिया.
पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए कानपुर के शुभम द्विवेदी की पत्नी ऐशन्या ने शनिवार को मांग की कि उनके पति को शहीद का दर्जा दिया जाए. पत्रकारों से बातचीत में ऐशन्या ने कहा कि उन्हें सरकार से और कुछ नहीं चाहिए बस आतंकी हमले में मारे गए उनके पति शुभम द्विवेदी को शहीद का दर्जा दिया जाना चाहिए.
ऐशन्या ने कहा कि पहली गोली मेरे पति को लगी और फिर आतंकवादियों ने यह पूछा कि हम हिंदू हैं या मुसलमान… ऐसे में कई लोगों को भागकर अपनी जान बचाने का समय मिल गया.
शुभम को शहीद का दर्जा दिया जाए
उन्होंने कहा कि मुझे सरकार से और कुछ नहीं चाहिए, बस शुभम को शहीद का दर्जा दिया जाए. अगर सरकार मेरी इच्छा स्वीकार करती है तो मुझे भी जीने का मकसद मिल जाएगा. शुभम ने खुद को हिंदू बताकर गर्व के साथ अपनी जान कुर्बान की और उसने कई लोगों की जान भी बचाई है. ऐशन्या ने कहा कि नाम और धर्म पूछकर गोली चलाने वाले को खत्म कर देना चाहिए. उन्होंने 22 अप्रैल की घटना को याद करते हुए बताया कि जब आतंकवादी उसके और शुभम के पास आए और उनसे उनके धर्म के बारे में पूछा, तो उन्हें लगा कि वे लोग दंपति के साथ मजाक कर रहे हैं.
धर्म पूछकर मारी गोली
उन्होंने कहा कि जैसे ही वे आए, उनमें से एक ने पूछा कि हम हिंदू हैं या मुसलमान? मुझे लगा कि वे लोग मजाक कर रहे हैं. मैं पीछे मुड़ी, हंसी और उनसे पूछा कि क्या है. उन्होंने कहा कि फिर उन्होंने अपना सवाल दोहराया और जैसे ही मैंने जवाब दिया कि हम हिंदू हैं, एक गोली चल गई और मेरे लिए सब कुछ खत्म हो गया. शुभम का चेहरा खून से लथपथ था. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या हुआ था.
पिता ने सुरक्षा पर उठाया सवाल
ऐशन्या ने कहा कि उन्होंने आतंकवादियों से उन्हें भी गोली मारने की विनती की, लेकिन उन्होंने (आतंकवादियों) मना कर दिया और कहा कि वे उसे जीवित रहने दे रहे हैं ताकि वह जाकर सरकार को बता सके कि उन्होंने क्या किया है. शुभम के पिता संजय द्विवेदी ने कहा कि वहां कोई सुरक्षा नहीं थी, न ही कोई पुलिस कर्मी था, न ही सेना के जवान. यहां तक कि कोई सुरक्षा गार्ड भी नहीं था. उन्होंने कहा कि करीब एक घंटे बाद सेना के जवानों ने पूरे इलाके को अपने नियंत्रण में लिया.