देश में और बढ़ेगा ऑनलाइन पेमेंट का चलन, RBI ने 32 कंपनियों को दी मंजूरी
देश में पेमेंट से जुड़ा काम अब से रिलायंस, गूगल, पाइन लैब्स और जोमैटो जैसी कंपनियां संभालेंगी. भारतीय रिजर्व बैंक ने कुल 32 इकाइयों को इसके लिए एक जरूरी मंजूरी दे दी है. पढ़ें ये पूरी खबर...
देश में ऑनलाइन पेमेंट का चलन बढ़ने के बाद कई फिनटेक कंपनियां इस सेगमेंट में उतर आईं. इसी को ध्यान में रखते हुए अब भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 32 ऐसी कंपनियों की लिस्ट जारी की है, जिन्हें पेमेंट एग्रीगेटर का लाइसेंस देने की सैद्धांतिक मंजूरी दे दी गई है. इस लिस्ट में जहां Razorpay, Reliance, Google, Zomato और Pine Labs जैसी बड़ी कंपनियों का नाम शामिल है, तो वहीं Paytm, Freecharge जैसी कंपनियां फिसड्डी साबित हुई हैं.
पेमेंट एग्रीगेटर का लाइसेंस हासिल करने के लिए देशभर की 183 कंपनियों ने आवेदन किया था. इसमें Cred और PhonePe जैसी कंपनियां शामिल हैं.
इन कंपनियों के रिजेक्ट हुए पेपर
भारतीय रिजर्व बैंक ने Freecharge, Paytm, PayU और Tapits Technologies की लाइसेंस एप्लिकेशन को रिजेक्ट कर दिया है. जबकि PhonePe, Cred, MobiKwik और InstaMojo समेत 18 कंपनियों की एप्लिकेशन पर अब भी विचार किया जा रहा है.
क्रिप्टोकरेंसी, गेमिंग ऐप्स ने बिगाड़ी बात
कई ऑनलाइन पेमेंट गेटवे के लाइसेंस एप्लिकेशन के रिजेक्ट होने की वजह उनका पूर्व में क्रिप्टोकरेंसी के लेनदेन या गेमिंग ऐप्स से जुड़े रहना रही है. इतना ही नहीं इन सभी के KYC से जुड़े मुद्दे भी जांच के दायरे में आए. साथ ही कई कंपनियां आरबीआई द्वारा तय की गई नेटवर्थ लिमिट को भी पूरा नहीं कर सकीं.
पेमेंट एग्रीगेटर का लाइसेंस चाहने वाली फिनटेक कंपनियों की नेटवर्थ 31 मार्च 2021 तक 15 करोड़ रुपये और 31 मार्च 2023 तक 25 करोड़ रुपये होनी चाहिए.
क्या होता है पेमेंट एग्रीगेटर ?
देश में पेमेंट सेगमेंट को रेग्युलेट करने के लिए 2020 में पेमेंट एग्रीगेटर फ्रेमवर्क लाया गया. इसके हिसाब से जिन पेमेंट एग्रीगेटर को आरबीआई से ऑपरेट करने की अनुमति मिली है, वही पेमेंट सविर्स चला सकते हैं. इन सभी की RBI सीधे निगरानी करता है. इस पूरी कवायद का पूरा मकसद पेमेंट इकोसिस्टम को ज्यादा रेग्युलेटेड और स्टैंडर्डाइजेशन बनाना है.