राज ठाकरे के खिलाफ SC में याचिका दाखिल, हिंदी भाषी लोगों के खिलाफ हेट स्पीच पर MNS की खत्म हो मान्यता

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने 30 मार्च को अपनी गुड़ी पड़वा रैली में आधिकारिक कामों के लिए मराठी भाषा को अनिवार्य बनाने के अपनी पार्टी के रुख को दोहराया था. साथ ही यह चेतावनी भी दी कि जो लोग जानबूझकर भाषा नहीं बोलेंगे, उन्हें 'थप्पड़' मारा जाएगा.
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के अध्यक्ष राज ठाकरे और पार्टी से जुड़े अन्य सदस्यों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. साथ ही याचिकाकर्ता ने चुनाव आयोग से एमएनएस की मान्यता रद्द करने की भी मांग की है. सेना के खिलाफ महाराष्ट्र में मराठी भाषा नहीं बोलने वाले उत्तर भारतीयों के खिलाफ कथित घृणास्पद भाषण, लक्षित हिंसा और धमकियों से जुड़े कई मामलों में कार्रवाई की मांग करते हुए याचिका दायर की गई है.
कोर्ट में यह याचिका मुंबई निवासी और महाराष्ट्र में पंजीकृत राजनीतिक दल उत्तर भारतीय विकास सेना (Uttar Bhartiya Vikas Sena) के अध्यक्ष सुनील शुक्ला की ओर से दायर की गई है.
याचिका के जरिए कोर्ट में की शिकायत
एडवोकेट श्रीराम पराक्कट के जरिए दाखिल की गई याचिका में सुनील शुक्ला और अन्य हिंदी भाषी लोगों के खिलाफ घृणास्पद भाषण के कई मामलों का आरोप लगाया गया है. साथ ही राज ठाकरे के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के अलावा चुनाव आयोग को एमएनएस की मान्यता रद्द करने का निर्देश देने की मांग की गई है.
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका के अनुसार, पिछले कुछ महीनों में सुनील शुक्ला को उनकी राजनीतिक पहचान और उत्तर भारतीय अधिकारों की वकालत के कारण महाराष्ट्र में कई गंभीर धमकियों और उत्पीड़न के साथ-साथ शारीरिक धमकी का भी सामना करना पड़ा. याचिकाकर्ता का यह भी आरोप है कि अब ये धमकियां हिंसा और शारीरिक हमलों के लिए सार्वजनिक तौर पर भी बढ़ गई हैं.
याचिका में पिछले महीने 30 मार्च को गुड़ी पड़वा रैली के दौरान राज ठाकरे की ओर से दिए गए भाषण का भी जिक्र किया गया है, जिसमें कथित तौर पर उत्तर भारतीयों को मराठी भाषा नहीं बोलने के कारण मॉल और बैंकों जैसे सरकारी नौकरियों में काम करने के लिए हिंसा भड़काने का आरोप लगाया गया था.
याचिका में दावा किया गया है कि इस भाषण को टीवी पर प्रसारित किया गया, जिसके बाद मुंबई में हमले हुए, जिसमें पवई और डी-मार्ट, वर्सोवा में हुई घटनाएं भी शामिल हैं, यहां पर हिंदी बोलने की वजह से कई कर्मचारियों पर हमला किया गया. याचिकाकर्ता का तर्क है कि ये कार्य आईपीसी की धारा 153ए, 295ए, 504, 506 और 120बी और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 125 के प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं, जो भाषा और क्षेत्र के आधार पर दुश्मनी को बढ़ावा भी देते हैं.
भाषा नहीं बोलेंगे तो ‘थप्पड़’ मारेंगेः राज ठाकरे
इस बीच शिवसेना (उद्धव ठाकरे) के नेता संजय राउत ने बैंकों और अन्य संस्थानों में मराठी भाषा के इस्तेमाल करने को लेकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे के फैसले की आलोचना की है. उन्होंने यह भी कहा कि मराठी को लेकर निचले स्तर के कर्मचारियों को निशाना बनाना बेकार है.
एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे ने 30 मार्च को अपनी गुड़ी पड़वा रैली में आधिकारिक कामों के लिए मराठी भाषा को अनिवार्य बनाने के अपनी पार्टी के रुख को दोहराया था. साथ ही यह चेतावनी भी दी कि जो लोग जानबूझकर भाषा नहीं बोलेंगे, उन्हें ‘थप्पड़’ मारा जाएगा.