जहां खत्म हो जाती है सारी दास्तां: उम्र से पहले बड़े होते मासूमों की कहानी…
तुर्की और सीरिया में आए भीषण भूकंप के बाद जो महातबाही मची है, उसने सभी को झकझोर कर रख दिया है. इस बीच कई ऐसे वीडियो और फोटोज सामने आ रहे हैं, जो बेहद मार्मिक हैं.
ऑफिस में बैठकर तुर्की और सीरिया में आए भूकंप की वीडियो व फोटो देखकर प्लानिंग कर रहे थे कि यहां से आने वाली हृदय विदारक खबरों को किस तरह से वेबसाइट पर लगाया जाए. ऐसे में एक वीडियो पर नजर पड़ी, जिसमें एक 5-6 साल की मासूम गिरे हुए मकान के मलबे में अपने छोटे भाई के साथ दबी हुई थी. वीडियो देखकर दुख हुआ, लेकिन उनकी मासूमियत को देखकर थोड़ी राहत भी मिली कि भगवान ने उनको इस जलजले में बचा लिया. वीडियो के बारे में और जानकारी निकाली गई तो पता चला कि वह सीरिया का है. वीडियो में बच्ची भी अरबी भाषा में कुछ बोल रही थी, जिसके बारे में समझ नहीं आ रहा था, लेकिन अंग्रेजी में लिखे कैप्शन में लिखा था कि कैसे एक मासूम ने अपनी भाई को अपनी आगोश में लेकर उसकी जान की रक्षा की.
वीडियो का कैप्शन दिल को छू गया और इसपर खबर भी बनाई गई. हालांकि कुछ देर के बाद वीडियो का हिंदी में अनुवाद सामने आया, जिसको जानने के बाद अंदर तक हिल गया और फिर मन में आया कि इस बारे में कुछ लिखा जाए. वीडियो के बारे में और ज्यादा जानकारी निकाली गई तो पता चला कि यह सीरिया में हरम शहर के पास एक गांव बेसनया-बसईनेह का है. अब आपको इस वीडियो में बच्ची ने जो कहा है, उसका हिंदी अनुवाद भी बताते हैं, जिसमें बच्ची एक बचावकर्मी से कहती है, ”मुझे यहां से बाहर निकाल लें, आप जो कहेंगे मैं करूंगी, जीवन भर आपकी नौकर बनकर रहूंगी.”
बड़ी गहरी हैं दर्द की ये कहानियां…
कहानी यहीं खत्म नहीं होती, यह तो शुरुआत है. अगर आप खबरों को पढ़ते हैं या सोशल मीडिया पर थोड़े भी एक्टिव हैं तो यह फोटो आपको याद होगा.
अगर नहीं तो आपको बता देते हैं कि यह तस्वीर सीरिया की है, जहां पर एक बच्चा बम ब्लास्ट में जख्मी हुआ. अस्पताल में डॉक्टर उसका इलाज कर रहे थे और खून से लथपथ उसकी फोटो सामने आई. इस बच्चे ने दम तोड़ने से पहले कहा कि ऊपर जाकर सारे हालात के बारे में अल्लाह से जरूर कहूंगा.
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब मासूमों ने ऐसा कुछ कह दिया कि दुनिया नि:शब्द हो गई. इससे पहले भी कुछ ऐसी खबरें सामने आईं, जिसने दर्द की सारी हदें खत्म कर दीं. आगे के कुछ बयानों में कॉपीराइट की वजह से फोटो और वीडियो नहीं दिखा सकते, लेकिन मजबूर-ए-हालात ने मासूमों को वक्त से पहले इतना बड़ा कर दिया कि उनके द्वारा कही गई बातों ने दुनिया को झकझोर कर रख दिया.
ऐसी ही एक कहानी इराक जंग की है, जहां पर एक बच्ची भागते हुए किसी न्यूज चैनल के कैमरे के सामने आई गई, जिसके बाद उसने कैमरामैन से कहा कि अंकल अंकल अल्लाह के वास्ते मेरी तस्वीर मत निकालना मैं बे हिजाब हूं.
मासूमों के हिला देने वाले बयानों की कहानी यहीं नहीं रूकती. एक खबर फिलीस्तीन से भी सामने आई थी. जहां पर एक बच्चा भूख की वजह से धीरे-धीरे मौत की आगोश में जा रहा था, तभी वह हिचकियां लेते हुए दुआ करने लगा. लेकिन उस बच्चे के कहे शब्द इंसानियत को शर्मसार करने के लिए काफी थे. बच्चे ने कहा कि अल्लाह मुझे मेरी जिंदगी से आजाद कर दो, मुझे जन्नत में भेज दो ताकि मैं पेट भर कर खाना खा सकूं.
आपके पास बहुत से कपड़े होंगे और आपके लिए एक शर्ट की कीमत चंद पैसों से ज्यादा कुछ नहीं है, लेकिन एक वीडियो अफगानिस्तान से सामने आया था, जिसमें एक बच्ची का हाथ बम धमाके में बुरी तरह से जख्मी हुआ था. ऑपरेशन के दौरान डॉक्टर ने कहा कि हाथ काटने के अलावा कोई रास्ता नहीं तो उस बच्ची ने कहा कि डॉक्टर साहब हाथ काट दीजिए पर आस्तीन मत काटना मेरे पास इसके अलावा और कोई कपड़ा नहीं है.
मासूमों द्वारा कहे गए दर्द भरे शब्द तो आपने पढ़ लिए और अब यह भी सोच रहे होंगे कि यह बच्चे इतनी छोटी उम्र में कैसे इस तरह की बात कर देते है. इसके पीछे एक बहुत बडा कारण है संघर्ष. कहते हैं यह वह शब्द है, जो आपको हर वो चीज छोटी उम्र में सीखा देता है, जिसको सीखने के लिए इंसान की उम्र गुजर जाती है. खुद को जिंदा रखने के लिए जद्दोजहद बच्चों से उनका बचपन छीन लेती है और वह खेलने की उम्र में इतने बड़े हो जाते हैं कि आप सोच भी नहीं सकते.
इस बारे में अपनी राय के अलावा एम्स के पूर्व मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. राजकुमार से भी बात की, जिन्होंने बताया कि इन देशों में बच्चों को जिंदगी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. इतने छोटे बच्चों तक को पता है कि लाइफ की क्या वैल्यू है. इसका कारण यह है कि इन्होंने बचपन से ही अपने आसपास एक भय वाला माहौल देखा है. जिंदगी को आखों के सामने खत्म होते देखा है, जिससे इनमें अपने वजूद को खोने का डर हमेशा बना रहता है. ऐसा अधिकतर उन बच्चों के साथ होता है, जो कम उम्र में ही जिंदगी को काफी करीब से देखते हैं. इनका मन का भाव भी इसी प्रकार काम करता है. बचपन में हई अलग-अलग घटनाओं से दिमाग पर पड़े असर से ही ऐसी भावनाएं बाहर आती हैं.