‘हुजूर पहला अपराध, माफ कर दीजिए…’ आखिर कोर्ट में क्यों गिड़गिड़ाए बिहार के पूर्व मंत्री?
बिहार सरकार के पूर्व मंत्री जनक राम को एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट ने आदर्श आचार सहिंता के उलंघन मामले में दोषी करार दिया है और उन्हें अर्थदंड की सजा सुनाई है.
बिहार सरकार के पूर्व खनन और भूतत्व विभाग के मंत्री जनक राम आचार सहिंता के उलंघन मामले में दोषी पाए गए हैं. बिहार के पूर्व मंत्री जनक राम को एसीजेएम एके मानवेंद्र मिश्र की एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट ने आदर्श आचार सहिंता के उलंघन मामले में दोषी करार दिया है. इस मामले में स्पेशल कोर्ट ने तारकेश्वर नाथ शर्मा को भी दोषी पाया है. कोर्ट ने दोनों को अर्थदंड की सजा सुनाई है. जनक राम को जब कोर्ट में सजा सुनाया जा रहा था तब उनका एक अलग अंदाज देखने के लिए मिला.
बीजेपी नेता ने कोर्ट में अपनी गलती मानते हुए माफी मांगा और कहा कि हुजूर पहला अपराध है, माफ कर दीजिए. लेकिन कोर्ट ने उन्हें 11 सौ रुपए की अर्थदंड की सजा सुनाई है.
पूर्व मंत्री ने कहा ऐसी गलती फिर नहीं होगी
बिहार की एनडीए वाली नीतीश सरकार में मंत्री रहे जनक राम ने कहा कि-वो आगे से इस तरह की आपराधिक गतिविधि में कभी शामिल नहीं होंगे. उन्होंने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि वह हमेशा विधि द्वारा स्थापित कानून का पालन करेंगे और एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे. कृपया कोर्ट इस मामले में शांति पूर्वक विचार करें और उन्हें माफ कर दें.
‘कर्तव्यों का जानबूझकर उल्लंघन’
मामले की पैरवी कर रहे अभियोजन पदाधिकारी आनंद शर्मा ने कोर्ट में कहा कि अभियुक्त जन राम सांसद और बिहार सरकार के मंत्री रह चुके हैं. इसके बाद भी उन्होंने चुनाव आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया है. बतौर लोकसेवक उन्होंने अपने कर्तव्यों का जानबूझकर उल्लंघन किया है. इसलिए इन्हें सजा दी जाए.
‘कानून से ऊपर कोई नहीं’
इसके बाद कोर्ट ने कहा कि-कानून से ऊपर कोई नहीं है. अगर आपने खुलेआम ऐसा किया है तो उसकी सजा तो दी जाएगी.संविधान के अनुच्छेद 14 में विधि के समक्ष समानता और कानून से ऊपर कुछ नहीं है. कोर्ट ने दोनों नेताओं को भारतीय दंड संहिता की धारा 118 में एक हजार रुपये का अर्थदंड और लाउडस्पीकर एक्ट की धारा 9 में एक एक सौ का अर्थदंड की सजा सुनाई.