तलाक हो या नहीं हो, पति को अलग रह रही पत्नी की इनकम जानने का अधिकार, ये है नियम
हाल में शिखर धवन के तलाक की खबरों ने लोगों का ध्यान खींचा. उनकी पत्नी शादी के बाद लंबे समय तक उनसे अलग रहीं, यहां तक कि उनके बच्चे को भी उनसे अलग रखा. किसी भी शादी के टूटने के कई सामाजिक और पारिवारिक कारण होते ही हैं, लेकिन आजकल आर्थिक परेशानियां भी तलाक की अहम वजह हैं. ऐसे में क्या तलाक होने से पहले ही अलग रह रहे पति-पत्नी के रिश्ते में क्या पति को अपनी पत्नी की इनकम जानने का अधिकार है? इसे लेकर नियम क्या कहते हैं? चलिए जानते हैं...
शादी के जोड़े ईश्वर बनाता है, आजकल की जेनरेशन इस स्टेटमेंट से खास इत्तेफाक नहीं रखती है. बल्कि आजकल कपल्स शादी करने से पहले कंपैटिबिलिटी चेक करते हैं, लाइफ और फाइनेंशियल गोल्स सेट करते हैं. ऐसे में जब किसी शादी के टूटने की स्थिति पैदा होती है, तब उसके सामाजिक, पारिवारिक कारण तो होते ही हैं, साथ ही फाइनेंशियल रीजन्स भी अपना रोल प्ले करते हैं. तलाक कपल्स को मानसिक तनाव तो देता ही है, लेकिन इसका फाइनेंशियल स्ट्रेस भी बहुत होता है. ऐसे में क्या तलाक से पहले पति से अलग रह रही पत्नी की इनकम जानने का अधिकार पति को है? इसे लेकर नियम क्या कहते हैं, चलिए जानते हैं…
तलाक के मामलों में पति के अधिकारों को लेकर लोगों के बीच ज्यादा जागरुकता वैसे भी नहीं है. भारत में हर धर्म में तलाक के नियम कानून भी अलग-अलग हैं. वहीं तलाक के अधिकतर मामलों में फाइनेंशियल स्ट्रेस पति पक्ष पर ही आता है, क्योंकि मेंटिनेंस और एलिमनी देने की जिम्मेदारी उसकी बनती है. हालांकि कुछ मामलों में हिंदू मैरिज एक्ट के तहत पति भी पत्नी से मेंटिनेंस और एलिमनी मांग सकता है. ऐसे में पत्नी की इनकम जानने का अधिकार तलाक के मामलों में पति के फाइनेंशियल स्ट्रेस को कम कर सकता है.
अधिकार पर क्या कहता है कानून?
हाल में केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) ने एक बड़ी व्यवस्था दी है. सीआईसी का कहना है कि कोई पति उससे अलग रह रही पत्नी की सामान्य इनकम की जानकारी मांग सकता है. इसके लिए वह सूचना के अधिकार का उपयोग कर सकता है और तलाक के मामलों में मेंटिनेंस के केस में सबूत के तौर पर इसका इस्तेमाल कर सकता है.
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यश मल्होत्रा बनाम आयकर विभाग के एक मामले में सूचना आयुक्त सरोज पुनहानी ने इस बारे में बड़ा फैसला सुनाया है. उन्होंने आयकर विभाग के तहत आने वाले केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (CPIO) को निर्देश दिया कि वह अलग रह रही पत्नी की नेट टैक्सेबल इनकम या ग्रॉस इनकम की जानकारी उपलब्ध कराए.
सूचना आयुक्त ने कहा कि सीपीआईओ पति को ये जानकारी आदेश मिलने के 15 दिन के भीतर मुहैया कराए. वह उसे आरटीआई में मांगी गई विशेष अवधि के लिए पत्नी की इनकम की जानकारी मुफ्त में पति को उपलब्ध कराए. ये काम पूरा होने के बाद 7 दिन के अंदर उसकी सूचना आयोग को दी जाए.
क्या होगा इस फैसले का असर?
केंद्रीय सूचना आयोग के इस फैसले का असर लंबी अवधि में देखने को मिल सकता है. ये फैसला तलाक के मामलों में फर्जी मेंटिनेंस के मामलों को कम कर सकता है. वहीं अगर पति अपनी आय की जानकारी देने से इनकार करता है, तब पत्नी को भी सूचना के अधिकार का उपयोग करके उसे उसकी आय के बारे में पता लगाने की सहूलियत दे सकता है.