पाकिस्तान में महिलाओं के लिए पिकं बस सेवा शुरू, महिलाओं के जीवन में क्या होगा बदलाव ?
प्रांत के परिवहन मंत्री शरजील मेमन ने कहा कि अगर हमारा प्रयोग सफल रहा तो हम शहर भर में और सिंध में और बसें ला सकते हैं.
पाकिस्तान के सिंध प्रांत में महिलाओं के लिए पिंक बस सेवा शुरू की गई है. ये वातानुकूलित बसें फ्रायर हॉल से क्लिफ्टन ब्रिज तक चलेगी. जो शहर के सबसे व्यस्त मार्गों में से एक है. पाकिस्तान सरकार ने अभी 6 बसों से शुरुआत की है. ये बसें शहर के सबसे व्यस्त मार्गों में आधा घंटे के अंतराल पर मिलती है. प्रांत के परिवहन मंत्री शरजील मेमन ने कहा कि अगर हमारा प्रयोग सफल रहा तो हम शहर भर में और सिंध में और बसें ला सकते हैं. मेमन ने कहा कि हमारा लक्ष्य सार्वजनिक परिवहन को महिलाओं के लिए सुरक्षित और आसान बनाना हैं.
उन्होंने कहा कि हमारे अनुमान के अनुसार व्यस्त घंटों के दौरान यात्रियों में 50% महिलाएं होती हैं और उनकों बस में चढ़ने के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. यहीं नहीं उन्हें बस में खड़े होने के लिए भी पर्याप्त जगह नहीं मिल पाती है. बता दें 1 फरवरी को लॉन्च की गई, नई सेवा सार्वजनिक परिवहन शुरू करने का पाकिस्तान का दूसरा प्रयास है जो महिलाओं को उत्पीड़न से बचाता है. इससे पहले पाक सरकार ने 2012 में लाहौर में सार्वजनिक-निजी भागीदारी के रूप में बस सेवा शुरू की थी. जिसे फंडिंग के चलते दो साल के अंदर ही बंद करना पड़ा था.
‘सार्वजनिक परिवहन महिलाओं को होती है काफी दिक्कत’
घरेलू कामगार 35 वर्षीय राखी मटन का कहना है कि सार्वजनिक परिवहन में महिला को हर समय सतर्क रहना पड़ता है. पुरुषों द्वारा छूना और भद्दी टिप्पणियां आम हैं. उन्होंने कहा कि सार्वजनिक बसों में छेड़खानी से परेशान होकर उन्हें एक बार चप्पल तक उतरानी पड़ गई थी. इसलिए उन्होंने सार्वजनिक परिवहन में यात्रा करना बंद कर दिया है.
गुलाबी बस एक सकारात्मक कदम-डॉ हादिया मजीद
लाहौर विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ हादिया मजीद परिवहन और श्रम बाजार में महिलाओं की भागीदारी से इसके संबंधों पर शोध कर रही हैं. वह कार्यस्थल में अधिक महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए गुलाबी बसों को एक सकारात्मक कदम के रूप में देखती हैं.उनके अनुसार पाकिस्तान में श्रम शक्ति में महिलाओं के बेहद कम अनुपात के पीछे खराब सार्वजनिक परिवहन एक प्रमुख कारक है.
अपर्याप्त परिवहन के कारण महिलाओं को अक्सर अधिक महंगी टैक्सियाँ लेनी पड़ती थीं या रिश्तेदारों से लिफ्ट पर निर्भर रहना पड़ता था.इससे महिलाओं के लिए काम खोजने के लिए दूर दूर देखना भी कठिन हो जाता है.