काम राजस्व विभाग का और अधिकारी तहसील में करवा रहे टॉयलेट की सफाई, झाड़ू-पोछा
छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में कोटवारों ने कलेक्टरेट पहुंचकर अपनी समस्याएं सामने रखी हैं, उन्होंने कहा कि उन्हें पिछले 2 महीने से पारिश्रमिक नहीं मिल रहा है. वहीं महिला कोटवारों ने एक अलग ही दर्द बयां किया. उनका कहना है कि तहसील में ड्यूटी लगाकर उनसे झाड़ू-पोंछा करवाया जा रहा है.
छत्तीसगढ़ के बालोद जिले से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है जहां महिला कोटवारों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर शिकायत की है. महिला कोटवारों का कहना है कि उनकी ड्यूटी तहसील कार्यालय में लगाई जाती है और उनसे वहां पर झाड़ू-पोंछा करने को कहा जाता है. मजबूरी में उन्हें करना भी पड़ता है. इतना ही नहीं उनसे परिसर में मौजूद टॉयलेट साफ करने को भी कहा जाता है. फिलहाल कोटवारों को उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है.
जानकारी के मुताबिक यह पूरा मामला बालोद जिले के डौंडीलोहारा ब्लॉक का है, जहां के कोटवार संघ के सभी कोटवार अपनी समस्या लेकर बालोद कलेक्टरेट पहुंचे थे. कोटवारों ने पहले शिकायत की कि उन्हें पिछले दो महीने से पारिश्रमिक नहीं मिल रहा है जिसकी वजह से उन्हें आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. मगर इससे बड़ी समस्या है महिला कोटवारों की.
शौचालय साफ करने का काम
महिला कोटवारों ने कलेक्टरेट में शिकायत की कि उनके साथ फिलहाल और भी बुरी स्थिति है. उनकी ड्यूटी तहसील कार्यालय में लगाई जाती है. वहां महिला कोटवारों को झाड़ू-पोंछा करने को कहा जाता है. इतना ही नहीं उनसे तहसील परिसर की शौचालय भी साफ कराई जाती है. इस बात को लेकर महिला कोटवारों में काफी आक्रोश है. इस मामले में जब डौंडीलोहारा के तहसीलदार गोविंद सिन्हा से बात करने की कोशिश की गई तो वह बिना किसी जवाब दिए चले गए.
कौन होते हैं कोटवार
बता दें कि ग्रामीण स्तर पर कोटवार प्रशासन की एक अहम कड़ी है जो कि गांव के लगभग सभी प्रशासनिक कामों में सहायता करते हैं. कोटवार एक तरह से प्रशासन के प्रतिनिधि होते हैं जो सभी जरूरी जानकारी प्रशासन को देते हैं और उन्हें इसके बदले में पारिश्रमिक मिलता है. कोटवारों से शौचालय साफ कराने के मामले में फिलहाल प्रशासन की ओर से किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई है. सभी कोटवार प्रशासन के एक्शन का इंतजार कर रहे हैं.