लैंड पूलिंग योजना पर पंजाब में हंगामा, किसानों से लेकर विपक्ष तक विरोध में उतरा

पंजाब सरकार का कहना है कि ये पॉलिसी पिछली सरकारों के तौर-तरीकों से काफी अलग है. इसमें स्वैच्छिक भागीदारी को प्राथमिकता दी गई है और भूमि मालिक किसानों को राज्य की प्रगति में सक्रिय भागीदार बनने के लिए सशक्त बनाया गया है.
पंजाब सरकार की नई लैंड पूल पॉलिसी को लेकर राज्य में सियासी बवाल बचा है और विपक्षी पार्टियों के साथ ही किसान संगठन भी इसके विरोध में उतर आए हैं. ये सारा हंगामा तब शुरू हुआ जब पंजाब के इंडस्ट्रियल सिटी लुधियाना की करीब 24000 एकड़ से भी ज्यादा जमीन को अर्बन एस्टेट में डेवलप करने के लिए एक्वायर करने की पंजाब सरकार ने तैयारी शुरु की. वहीं इसे लेकर पंजाब सरकार एक पॉलिसी लेकर आई.
ग्रेटर लुधियाना एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (जीएलएडीए) की भूमि पूलिंग योजना के तहत पंजाब के चार जिलों के 57 गांवों से 24,311 एकड़ भूमि अधिग्रहण करने की पंजाब सरकार की महत्वाकांक्षी योजना को लाने की तैयारी है.
विपक्षी दलों ने जताया प्रतिरोध
लेकिन इस योजना को किसान संगठनों और विपक्षी राजनीतिक दलों से कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है. गांवों में फैली इस जमीन का ज्यादातर हिस्सा अकेले लुधियाना जिले में है, जबकि बाकी मोगा, फिरोजपुर और नवांशहर ज़िलों में है. GLADA शहरी एस्टेट विकसित करने के लिए इस जमीन को अधिग्रहित करने की योजना बना रहा है, लेकिन किसानों का कहना है कि ये जमीन काफी उपजाऊ है.
लैंड माफिया के खिलाफ सरकार
हालांकि पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने कहा कि ये पॉलिसी भू-माफिया, अवैध कालोनियों और जबरन भूमि अधिग्रहण करने वाले लैंड माफिया के खिलाफ पंजाब सरकार का एक बड़ा कदम है. पंजाब सरकार का कहना है कि इस पॉलिसी का मूल सिद्धांत 100 प्रतिशत स्वैच्छिक भागीदारी है, साथ ही दावा किया कि किसानों को अपनी भूमि निवेश पर 400 प्रतिशत तक का रिटर्न मिलेगा.
स्वैच्छिक भागीदारी को प्राथमिकता
पंजाब सरकार का कहना है कि ये पॉलिसी पिछली सरकारों के तौर-तरीकों से काफी अलग है. इसमें स्वैच्छिक भागीदारी को प्राथमिकता दी गई है और भूमि मालिक किसानों को राज्य की प्रगति में सक्रिय भागीदार बनने के लिए सशक्त बनाया गया है. नीति का मुख्य सिद्धांत 100 प्रतिशत स्वैच्छिक भागीदारी है. कोई जबरन भूमि अधिग्रहण नहीं किया जाएगा.
पंजाब सरकार का कहना है कि राज्य सरकार की एजेंसियां एकत्रित भूमि का विकास करेंगी, जिससे सड़क, जलापूर्ति, सीवरेज, जल निकासी और बिजली सहित आधुनिक बुनियादी ढांचे का प्रावधान सुनिश्चित होगा. पंजाब सरकार का कहना है कि ऐसा करने से पंजाब में फैली अवैध कॉलोनियों की वजह से जनता को मिलने वाला धोखे से राहत मिलेगी.
100 प्रतिशत का भुगतान
पंजाब सरकार की लैंड पूल पॉलिसी के मुताबिक जमीन देने वाले को जमीन की मार्केट वैल्यू के हिसाब से 100 प्रतिशत का भुगतान किया जाएगा. और भूमि मालिक को एक एकड़ भूमि के बदले में 1,000 वर्ग गज का विकसित आवासीय क्षेत्र और 200 वर्ग गज का व्यावसायिक क्षेत्र मिलेगा. पंजाब सरकार का कहना है कि आवासीय क्षेत्रों के लिए 30,000 रुपए प्रति वर्ग गज और व्यावसायिक क्षेत्रों के लिए 60,000 रुपए प्रति वर्ग गज की कीमत मानते हुए, भूमि मालिक को मिलने वाला कुल मूल्य लगभग 4.2 करोड़ रुपए (1000 वर्ग गज x 30,000 रुपए + 200 वर्ग गज x 60,000 रुपए) होगा.
पंजाब सरकार की पॉलिसी
इस मामले पर पंजाब सरकार के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि पंजाब सरकार जो पॉलिसी लेकर आ रही है उससे भू-माफिया पर लगाम लगेगी और अनाधिकृत कॉलोनियों की वजह से आम लोगों के साथ जो धोखा होता है वो भी रुकेगा. हरपाल सीमा ने कहा कि पंजाब सरकार की पॉलिसी में एक बात साफ है कि किसी भी किसान से जबरन कोई भी जमीन नहीं ली जाएगी और कोई भी किसान या ऐसा व्यक्ति जिसकी जमीन है वो अपनी सहमति से ही सरकार को जमीन देगा और उसके बदले में सरकार उसे 400 प्रतिशत तक का रिटर्न देगी और ऐसे में जमीन देने वाले को काफी फायदा होगा.
हरपाल चीमा ने कहा कि कुछ किसान संगठन अभी इस पॉलिसी का विरोध कर रहे हैं लेकिन उन्हें इसको लेकर पूरी जानकारी नहीं है. उन किसान संगठनों को भी पॉलिसी के बारे में समझाया जाएगा और एक बात साफ है कि किसी भी किसान से जबरन उसकी जमीन नहीं ली जाएगी.
केंद्रीय मंत्री ने बोला हमला
केंद्रीय रेल और खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने लुधियाना के आसपास के गांवों में 24 हजार एकड़ कृषि भूमि अधिग्रहण करने के पंजाब सरकार के फैसले को लेकर आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार पर तीखा हमला किया है. बिट्टू ने चेतावनी दी है कि इस कदम से किसानों के लिए विनाशकारी परिणाम होंगे. बिट्टू ने पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार पर प्रॉपर्टी डीलरों की तरह काम करने का आरोप लगाया.
सभी कृषि भूमि का अधिग्रहण
बिट्टू ने भूमि अधिग्रहण प्रस्ताव को तत्काल वापस लेने की मांग की है. उन्होंने कहा कि पंजाब के सबसे उपजाऊ और उत्पादक क्षेत्रों में से एक लुधियाना के 10 किलोमीटर के दायरे में लगभग सभी कृषि भूमि का अधिग्रहण करने का निर्णय कृषक समुदाय को तबाह कर देगा. बिट्टू ने आरोप लगाया कि ये योजना दिल्ली स्थित आम आदमी पार्टी नेताओं मनीष सिसोदिया और सतिंदर जैन से प्रभावित है, जिनके बारे में उन्होंने दावा किया कि वे दोनों पंजाब में डेरा डाले हुए हैं और राज्य के शासन में हस्तक्षेप कर रहे हैं.
खेती पूरी तरह से खत्म हो जाएगी
वहीं जिन गांवों की जमीन एक्वायर होने जा रही है, वहां के ग्रामीणों और किसान संगठनों के नेताओं ने पंजाब सरकार के फैसले पर सवाल खड़े किए हैं. इन लोगों ने कहा कि इससे इन इलाकों की खेती पूरी तरह से खत्म हो जाएगी और किसानों के लिए जमीन अधिग्रहण का ये कदम ठीक साबित नहीं होगा. किसान संगठनों ने ऐलान किया है कि वो इस मुद्दे को लेकर जल्द ही बड़ा आंदोलन शुरू कर सकते हैं और आज को इसे लेकर फैसला लिया जाएगा.
किसान संगठनों ने भी जताया विरोध
इतने बड़े स्तर पर पंजाब सरकार के जमीन अधिग्रहण के फैसले को लेकर विपक्षी पार्टियों के साथ ही किसान संगठन भी सवाल खड़े कर रहे हैं. लेकिन पंजाब सरकार की दलील है कि ये सब कुछ पंजाब के विकास और पंजाब में फैले गैर-कानूनी अनधिकृत कॉलोनियों के जाल को रोकने के लिए किया जा रहा है और पंजाब सरकार जो लैंड पूल पॉलिसी लेकर आई है उससे जमीन देने वालों को काफी लाभ होगा.
मोहित मल्होत्रा