जन्म देते ही थैले में भरा…कूड़े के ढेर पर ले जाकर फेंका- ऐसे बची बच्ची की जान

जन्म देते ही थैले में भरा…कूड़े के ढेर पर ले जाकर फेंका- ऐसे बची बच्ची की जान

इंडोनेशिया में, 90 फीसदी बच्चे, विशेष रूप से लड़कियां और महिलाएं, अपने जीवन में किसी न किसी रूप में गरीबी का दंश झेलने के लिए मजबूर होते ही हैं.

हिंदुस्तान से सात समुंदर पार इंडोनेशिया में एक महिला या लड़की ने जन्म देते ही जिगर के टुकड़े (लड़की) को कूड़े के ढेर में फेंक दिया, ताकि वो लावारिस हाल में मर सके और मां की बदनामी होने से बच जाए. दिल को झकझोर देने वाली इस घटना का दूसरा हैरान करने वाला पहलू है कि, जिस मासूम नवजात लड़की को उसकी मां ने ही, अकाल मौत मार डालने के मकसद से कूड़े के बैग में बंद करके, कूड़ेघर में फेंक दिया था. उसी नवजात लड़की को एक अनजान राह चलती महिला ने जिंदा बचा लिया है. मतलब, हर स्त्री एक सी या फिर क्रूर स्वभाव की नहीं होती है.

इन तमाम तथ्यों की पुष्टि इंडोनेशियाई पुलिस में कुबु राया इलाके के प्रमुख सब इंस्पेक्टर एडे (Deputy Inspector Ade Kubu Raya police Chief) भी करते हैं. उनके मुताबिक, नवजात शिशु को काले रंग के कूड़े के प्लास्टिक बैग में बंद करके फेंका गया था. ताकि कुछ देर बाद दम घुटने से उसकी मौत खुद-ब-खुद ही हो जाए. डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, जिस हाल में बच्ची बरामद हुई है, उससे देखने से साफ होता है कि, जन्म देने वाली लड़की या महिला ने नवजात को जन्म के तुरंत बाद ही पॉलीबैग में पैक करके, इरादतन मार डालने की नियत से कूड़ेघर में फेंका होगा. बच्ची जन्म के तुरंत बाद ही लावारिस हाल में मार डाले जाने के इरादे से फेंकी गई है. इसकी पुष्टि जन्म के वक्त मौजूद बच्चे के बदन पर लगे मिले रक्त, गर्भनाल व लिससिला तरल पदार्थ (जैली) से होती है.

स्थानीय पुलिस के मुताबिक, कुबू राया रीजेंसी इलाके में बीते कुछ ही महीनों इस तरह किसी नवजात शिशु के लावारिस हाल में मिलने की यह 6 सनसनीखेज घटना है, जो आज के समाज को शर्मसार करने के लिए काफी है. स्थानीय पुलिस के मुताबिक, खेतों से घर जा रही एक महिला ने बच्ची की कूड़ेघर में पड़े काले रंग के भीतर से आ रही रोने की आवाज सुनी तो, उसने स्थानीय सहायता एजेंसियों से संपर्क साधा. मौके पर पहुंची पुलिस ने बच्ची की जान बचाने के लिए, तत्काल उसे स्थानीय अस्पताल में दाखिल कराया. जहां नवजात शिशु की गहन चिकित्सा चल रही है. स्थानीय पुलिस के मुताबिक, अगर वक्त रहते घटनास्थल पर अनजान महिला ने पहुंचकर बच्ची के रोने की आवाज न सुन ली होती, तो शायद नवजात शिशु की कुछ देर में ही अकाल मौत हो चुकी होती.

स्थानीय पुलिस ने अब बच्ची की मां और पिता की तलाश में अभियान छेड़ दिया है. इसके लिए इलाके में पोस्टर लगाए गए हैं. एनाउंसमेंट किया जा रहा है, ताकि पता चल सके कि आखिर इस जघन्य अपराध को अंजाम देने के असली मुजरिम कौन महिला और पुरुष है. पुलिस के मुताबिक, अब अस्पताल में मिली चिकित्सा सुविधा से नवजात बच्ची की हालत में लगातार सुधार हो रहा है और उसकी जान बचा ली गई है. यह बच्ची पॉलीबैग में बंद करके कूड़ेघर में फेंके जाने से, ब-मुश्किल 12 घंटे पहले ही जन्मी होगी. जिस इलाके में यह सनसनीखेज घटना घटी वह, राया पश्चिम कालीमंतन, इंडोनेशिया का एक रीजेंसी, प्रशासनिक प्रभाग (Sungai Raya Village in Kubu Raya Regency) है. यह एक बड़े प्रांत बोर्नियो द्वीप का हिस्सा है, जो एशिया का सबसे बड़ा द्वीप समझा जाता है. यह उत्तर में मलेशिया और ब्रुनेई और दक्षिण में इंडोनेशिया के बीच राजनीतिक रूप से विभाजित है. सुंगई राया गांव कुबु राया रीजेंसी, पश्चिम कालीमंतन प्रांत, बोर्नियो, इंडोनेशिया में है. अगर यह कहें तो भी अनुचित नहीं होगा.

इंडोनेशिया में कन्या भ्रूण हत्या का अनुपात कम

यहां बताना जरूरी है कि आसपास मौजूद अन्य देशों की तुलना में इंडोनेशिया देश की हद में, कन्या भ्रूण हत्या का अनुपात कम ही है. इसके बावजूद भी इंडोनेशिया की हुकूमत देश में अन्य तमाम वजहों से बढ़ती कन्या शिशु मृत्युदर की रोकथाम के लिए विशेष योजनाओं अमल में ला रही है. यूनिसेफ द्वारा सन् 2020 में दाखिल एक रिपोर्ट में यहां जन्म पंजीयन सुधार कार्ययोजन अमल में लाए जाने का जिक्र किया गया है, जिसमें बच्चों को सामाजिक सेवाओं तक उनकी पहुंच बनाने के प्रयास भी शामिल रहे हैं. हालांकि, इसी रिपोर्ट के मुताबिक इंडोनेशिया में, 90 फीसदी बच्चे, विशेष रूप से लड़कियां और महिलाएं, अपने जीवन में किसी न किसी रूप में गरीबी का दंश झेलने के लिए मजबूर होते ही हैं. जिसके चलते लड़कियों-महिलाओं को शिक्षा और रोजगार में नुकसान उठाना ही पड़ता है.

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