खाना तो है बहाना, बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन है दिलाना- मिड डे मील पर नीतीश सरकार

खाना तो है बहाना, बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन है दिलाना- मिड डे मील पर नीतीश सरकार

TV9 भारतवर्ष के एग्जीक्यूटिव एडिटर पंकज कुमार के सवाल पर डायरेक्टर बिहार प्राइमरी एजुकेशन रवि प्रकाश ने आंकड़ों और तथ्यों के साथ बताया कि बिहार सरकार की कोशिश है कि छात्रों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा दिलाई जाए.

पटना: बिहार के ज्यादातर स्कूलों में बच्चे मिड डे मिल खाने के लिए आते हैं. स्कूलों में 90 प्रतिशत अटेंडेंस गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के लिए होनी चाहिए ना कि सिर्फ मिड डे मिल खाने के लिए. दुर्भाग्य से बिहार के स्कूलों में छात्र मिड डे मिल खाने के लिए ज्यादा जुट रहे हैं. पढ़ाई के लिए नहीं! TV9 भारतवर्ष के एग्जीक्यूटिव एडिटर पंकज कुमार के इस सवाल पर बिहार सरकार के डायरेक्टर प्राइमरी एजुकेशन रवि प्रकाश ने कहा कि बच्चे स्कूल में सिर्फ मिड डे मिल खाने के लिए आते हैं. यह कहना पूरी तरह से सही नहीं है. मिड मिल से जहां बच्चों को सही पोषण मिल रहा है. वहीं, उन्हें क्वालिटी एजुकेशन भी दिया जा रहा है. मिड मिल बच्चों को पोषण के साथ एजुकेशन दिलाने में भी सहायक साबित हो रहा है.

दरअसल, पटना में GTRE 3.O का आयोजन किया गया था. ग्रांड ट्रक रोड इनिशिएटिव की तरफ से आयोजित इस कार्यक्रम में पटना के IG विकास वैभव, सीआईएमपी के डायरेक्टर डॉक्टर राणा सिंह, डायरेक्टर बिहार पाइमरी एजुकेशन रवि प्रकाश, जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल में सहायक प्राध्यापक निखिल नरेन और TV9 भारतवर्ष के एग्जीक्यूटिव एडिटर पंकज कुमार ने हिस्सा लिया.

स्कूलों में मिड डे मिल खाने जाते हैं छात्र!

GTRE 3.O के इस कार्यक्रम के दूसरे सत्र में अफोर्डेबल एजुकेशन सिस्टम में टेक्नोलॉजी का महत्व, विषय पर संवाद का आयोजन किया गया था. संवाद कार्यक्रम के दौरान पंकज कुमार ने कहा कि बिहार के सरकारी स्कूलों में मिड डे मिल खाने के लिए छात्र जाते हैं. इस दौरान उन्होंने बिहार के कुछ जिलों का उदाहरण देते हुए कहा कि इन जिलों से खबर आती है कि स्कूलों में अटेंडेंस मिड मिल की वजह से बढ़ी है. क्वालिटी एजुकेशन के लिए अब भी काम किए जाने की आवश्यकता है.

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पंकज कुमार के सवाल पर डायरेक्टर बिहार प्राइमरी एजुकेशन रवि प्रकाश ने आंकड़ों और तथ्यों के साथ बताया कि बिहार सरकार की कोशिश है कि छात्रों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा दिलाई जाए. साथ ही उन्हें उचित पोषक तत्व भी भोजन के माध्यम से मिले. हमारा उदेश्य सिर्फ खिलाना नहीं अच्छे से पढ़ाना भी है.

यह है शिक्षा का सही आयाम

वहीं, बिहार पुलिस में IG विकास वैभव ने कहा कि देखा जा रहा है कि बीटेक-एमटेक करने के बाद रेलवे में गैंगमेन की नौकरी के लिए युवा अप्लाई कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि क्वालिटी एजुकेशन के बाद भी छात्र स्टार्टअप की तरफ जाए ना कि गैंगमेन की नौकरी करने के लिए. वहीं, एक दर्शक के सवाल पर पंकज कुमार ने कहा कि बिहार के शिक्षा को सही मायनों में आयाम तब मिलेगा जब जिले के डीएम और एसपी के बच्चे उस जिले के सरकारी स्कूल में पढेंगे.

क्या है GTRE 3.O ?

GTRE 3.O एक ऐसी संस्था है, जो अलग-अलग क्षेत्र में उत्कृष्ट काम कर रहे बिहारियों को एक मंच प्रदान करता है. GTRE 3.O उनसे सार्थक संवाद कर उनके अनुभव को अलग-अलग माध्यमों से लोगों तक पहुंचाता है. इस सस्था के क्यूरेटर अदिति नंदन हैं. GTRE 3.O में रविवार को राजनयिक और कवि अभय के की किताब ‘द बुक ऑफ बिहारी लिटरेचर’ का भी विमोचन किया गया. किताब का विमोचन बिहार सरकार के उद्योग मंत्री समीर महासेठ ने किया.

बिहार सरकार के डायरेक्टर प्राइमरी एजुकेशन रवि प्रकाश ने कहा कि बच्चे स्कूल सिर्फ मिड डे मिल खाने के लिए आते हैं. यह कहना पूरी तरह से सही नहीं है. मिड मिल बच्चों को पोषण के साथ एजुकेशन दिलाने में भी सहायक साबित हो रही है.

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