डिमांड-सप्लाई के खेल में फंसी स्मार्टफोन इंडस्ट्री, हैंडसेट प्रोडक्शन में 20 फीसदी की आई कमी
काउंटरपॉइंट की रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल की समान अवधि की तुलना में अक्टूबर-दिसंबर 2022 की अवधि में 30 फीसदी और जनवरी-मार्च 2023 में 18 फीसदी की गिरावट आई है.
स्मार्टफोन इंडस्ट्री या यूं कहें मोबाइल इंडस्ट्री में भी मंदी दिखाई देने लगी है. इंडस्ट्री से जुड़े लोगों के अनुसार पिछले छह महीनों में सेल्स में लगातार गिरावट की वजह से मोबाइल फोन कंपनियों ने जनवरी और अप्रैल के बीच साल-दर-साल के आधर पर अपनी प्रोडक्शन को 20 फीसदी तक कम कर दिया है.
काउंटरपॉइंट की रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल की समान अवधि की तुलना में अक्टूबर-दिसंबर 2022 की अवधि में 30 फीसदी और जनवरी-मार्च 2023 में 18 फीसदी की गिरावट आई है. भारत के सबसे बड़े मोबाइल फोन रिटेलर, रिलायंस रिटेल ने भी कहा कि डिवाइसेज या मोबाइल फोन की सेल में जनवरी-मार्च तिमाही के बीच गिरावट देखने को मिली है.
डिमांड के अनुसार प्रोडक्शन कट
जैना ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर प्रदीप जैन का भी मानना है कि मोबाइल फोन इंडस्ट्री न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में डिमांड पर असर डाल रहा है. प्रदीप जैन के अनुसार कंपनियों ने डिमांड सिनेरियो के अनुरूप प्रोडक्शन में कटौती की है और यह प्रेशर कुछ समय तक जारी रहने की संभावना है. काउंटरप्वाइंट के रिसर्च डायरेक्टर तरुण पाठक ने कहा कि कंपनियों ने प्रोडक्शन में 15-20 फीसदी की कटौती की है. जिनमें प्रमुख रूप से एंट्री लेवल और मिड टियर के फोन शामिल हैं. वहीं दूसरी ओर प्रीमियम सेगमेंट में अभी भी खरीदारी देखने को मिल रही है.
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सेकंड हाफ में हो सकता है सुधार
पाठक के मुताबिक मौजूदा समय में अधिकांश ब्रांडों के पास लगभग दस सप्ताह की अनसोल्ड इन्वेंट्री है. कम प्रोडक्शन अप्रैल-जून तिमाही तक जारी रहेगा और कैलेंडर वर्ष की दूसरी छमाही में थोड़ा सुधार हो सकता है. प्रोडक्शन में यह कटौती इस कैलेंडर वर्ष में पहली बार है, जबकि इंडस्ट्री ने पिछले साल अप्रैल-जुलाई में और फिर नवंबर-दिसंबर में दिवाली के बाद इसी तरह प्रोडक्शन कट का सहारा लिया था. इंडस्ट्री अधिकारियों के अनुसार लेकिन इस तरह की कटौती मौजूदा लेवल की तुलना में 5-10 फीसदी कम थी. डिक्सन टेक्नोलॉजीज के मैनेजिंग डायरेक्टर अतुल बी लाल कहते हैं कि मोबाइल फोन की मांग में उछाल नहीं है, लेकिन अभी तक कोई महत्वपूर्ण गिरावट नहीं आई है क्योंकि कुछ कंपनियां भारत से हैंडसेट का निर्यात भी कर रही हैं.