फिर होने लगी जिलों का नाम बदलने की सियासत! इन जगहों की पहचान बदलने की उठी मांग
कुल मिलाकर अब राज्य में जिलों का नाम बदलने की सियासत तेज हो गई और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदलने से शुरू हुआ यह कल्चर अब शहरों के नाम तक पहुंच गया है.
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की सत्ता में आने के बाद राज्य में नाम बदलने का जो कल्चर धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के आधार पर शुरू हुआ, अब उसे लेकर सियासत भी होने लग गई है. सत्ता पक्ष के नेता हों या विपक्ष के सभी एक एक कर शहरों की पहचान बदलने की भी डिमांड करने लग गए हैं. केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रपति भवन में बने मुगल गार्डन का नाम बदलकर अमृत उद्यान किए जाने के बाद से यूपी में शहरों के नाम बदलने को लेकर यकायक कई नेता सामने आ गए. इसकी शुरुआत प्रयागराज से भारतीय जनता पार्टी के सांसद संगम लाल गुप्ता ने लखनऊ का नाम बदलने की मांग करते हुए की.
उनकी इस मांग को लेकर सरकार के स्तर से कोई संकेत मिलता, इसके पहले ही सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के मुखिया ओपी राजभर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर गाजीपुर और बहराइच का नाम बदले जाने की मांग कर दी. तो अब अलीगढ़, गाजियाबाद, मैनपुरी, सुल्तानपुर और आजमगढ़ सहित सूबे के 12 जिलों के नाम बदलने की मांग करने वाले नेता भी आगे आ गए है. कुल मिलाकर अब राज्य में जिलों का नाम बदलने की सियासत तेज हो गई और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदलने से शुरू हुआ यह कल्चर अब शहरों के नाम तक पहुंच गया है.
फिर शुरू नाम बदलने की कवायद
शहरों का नाम बदले जाने की सियासत यूपी में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती ने शुरू की थी. उन्होने यूपी के आठ शहरों का नाम बदला था. उन्होने अमेठी को छत्रपति शाहूजी महाराज नगर, हाथरस को महामायानगर, कानपुर देहात को रामबाई नगर, कासगंज को काशीराम नगर बनाया था. सपा के शासन में अखिलेश यादव ने मायावती द्वारा बदले गए शहरों के नामों को वापस कर दिया था. इस फैसले के बाद राज्य में शहरों के नाम बदले जाने पर रोक लग गई थी. योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद यह सिलसिला फिर से शुरू हुआ. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी में सबसे पहले मुगलसराय स्टेशन और मुगलसराय तहसील का नाम वर्ष 2017 में बदला. तहसील का नाम बदलकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय तहसील किया गया और केंद्र सरकार की मंजूरी मिलने के बाद अगस्त 2018 में मुगलसराय स्टेशन पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्टेशन किया गया.
अक्टूबर 2018 में सीएम योगी ने संगम नगरी इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने का फैसला किया. यहीं नहीं योगी सरकार प्रयागराज के कई रेलवे स्टेशनों के नाम भी बदलने की पहल की. उनके प्रयास से फरवरी 2020 में प्रयागराज के चार रेलवे स्टेशनों के नाम भी बदल दिए गए. शहरों का नाम बदलने के इस सिलसिले को जारी रखते हुए सीएम योगी ने फैजाबाद जिले का नाम बदलकर अयोध्या कर दिया. पहले अयोध्या शहर जिस फैजाबाद जिले के अंतर्गत आता था, अब उसका स्वरूप ही बदल दिया गया और पूरे जिले को अयोध्या बना दिया गया.
चार साल से इन शहरों का नाम बदले जाने की मांग
उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा शहरों के नाम बदलने का जो कल्चर धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के आधार पर शुरू हुआ, उसके बाद राज्य में दूसरे शहरों की पहचान बदलने की भी डिमांड की जाने लगी है. इसी क्रम में भाजपा के नेताओं ने अलीगढ़ का नाम बदलकर हरीगढ़ करने की मांग रखी है. कल्याण सिंह के मुख्यमंत्री काल से अलीगढ़ का नाम बदलने की कोशिश की जा रही हैं. इस तरह से लखनऊ को लक्ष्मणपुर करने, आगरा को अग्रवन, आजमगढ़ को आर्यमगढ़, सुल्तानपुर को कुशभवनपुर करने, फर्रुखाबाद को पांचाल नगर और बदायूं होगा वेद मऊ करने, फिरोजाबाद का नाम चंद्रनगर और शाहजहांपुर का नाम शाजीपुर करने, आजमगढ़ को आर्यमगढ़ करने , मैनपुरी को मयानपुरी करने , संभल को कल्कि नगर या पृथ्वीराज नगर करने और देवबंद को देववृंदपुर करने की मांग तमाम संगठन और नेता लोग बीते चार वर्षों से कर रहे हैं.
गाजीपुर और बहराइच का नाम बदलें- ओपी राजभर
शहरों का नाम बदले जाने की ताजा मांग सुभासपा के मुखिया ओपी राजभर ने की है. उन्होने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखे पत्र में कहा है कि जो इतिहास भूल जाते हैं, वह कभी इतिहास नहीं बना पाते. अपना इतिहास बचाना हमारी ज़िम्मेदारी है. गाजीपुर के पौराणिक महत्व में महर्षि विश्वामित्र और बहराइच के पौराणिक महत्व में महाराजा सुहेलदेव राजभर की अद्वितीय भूमिका रही है. इसलिए गाजीपुर का नाम विश्वामित्र नगर तथा बहराइच का नाम महाराजा सुहेलदेव के नाम पर रखा जा. ओपी राजभर बीते विधानसभा चुनावों के पहले भाजपा के साथ थे. अब फिर वह भाजपा के साथ जुडने का प्रयास कर रहे हैं. ऐसे में उनकी मांग को गंभीरता से लिए जा रहा है. चर्चा है कि प्रदेश सरकार लोकसभा चुनावों के पहले उनकी मांग को मान लेगी.
ऐसा होने पर लखनऊ शहर का नाम लक्ष्मणपुर करने और फिरोजाबाद शहर का नाम चंद्रनगर करने की मांग तेज हो जाएगी.क्योंकि राज्य के पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने कहा है कि फिरोजाबाद शहर का नाम बदले जाने पर विचार हो रहा है.जबकि लखनऊ का नाम बदले जाने की मांग करने वाले भाजपा के सांसद को उम्मीद है कि उनकी मांग भी जल्दी ही पूरी होगी क्योंकि प्रदेश सरकार लखनऊ हवाई अड्डे पर अब लक्ष्मण की भव्य मूर्ति लगाने जा रही है.
नाम बदलने से लोगों की ज़िंदगी नहीं बदलती
राज्य में नेताओं और संगठनों द्वारा शहरों के नाम बदलने और उसकी आड़ में अपनी सियासत को चमकाने के हो रहे प्रयासों को लेकर लखनऊ के जयनारायण पोस्ट ग्रेजुएट कालेज के प्रोफेसर ब्रजेश मिश्रा का कहना है कि आजादी के बाद देश मेन 244 शहरों के नाम अब तक बदले गए हैं. जबकि वर्ष 1953 में केंद्र सरकार ने एक आदेश जारी कर कहा था कि ऐतिहासिक जुड़ाव वाले नामों को यथासंभव न बदला जाए. यह नियम वर्ष 2005 में संशोधित किया गया. इसके बाद से देश में शहरों और सड़कों के नाम बदलने का जो सिलसिला शुरू हुआ वह लगातार जारी है.
ब्रजेश मिश्रा का कहना है कि शहरों के नाम बदले जाने कोई शहर आधुनिक नहीं हो जाता और ना ही शहर का नाम बदलने से लोगों के जीवन में कोई बदलाव होता. बदलाव सिर्फ शहर नाम बदले जाने की मांग करने वाले नेता के रुतबे में दिखता है. मीडिया में इस तहत की मांग करने वाले नेता का बयान छापता है और जब नाम बदला जाता है तो उस नेता का भी लोग नाम लेते है. जैसे की अब यह चर्चा होती है कि मायावती ने आठ शहरों के नाम बदले थे और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इलाहाबाद और फैजाबाद का नाम बदलने के बाद एक दर्जन से अधिक शहरों का नाम बदले जाने के प्रस्ताव पा चुके हैं.
शहरों का नाम बदलना राजनीतिक हथकंडा
राष्ट्रीय लोकदल के महासचिव अनिल दूबे भी शहरों का नाम बदला जाना राजनीतिक हथकंडा मानते हैं. उनका कहना है कि केंद्र और यूपी की मौजूदा सरकार नाम बदलने में माहिर है. देश और प्रदेश में जब कुछ नहीं बदल रहा है तो नाम बदल दिया जाता है. सड़कों के नाम, इमारतों के नाम, रेलवे और बस स्टेशनों आदि के नाम बदल दिए जाते हैं. योजनाओं के नाम और सरकारी विभागों के नाम भी बदले जाते हैं, जैसे योजना आयोग को नीति आयोग बना दिया गया और मानव संसाधन विकास मंत्रालय को शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया. कृषि मंत्रालय को कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय कर दिया गया. इसी तरह से यूपी में भी हर महीने किसी ना किसी शहर का नाम बदलने के लिए भाजपा का कोई सांसद, विधायक और मंत्री अथवा भाजपा की नीतियों का समर्थन करने वाले राजनीतिक दल शहरों का नाम बदलने के लिए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को पत्र लिख देते हैं.
जैसा कि सुभासपा के मुखिया ओपी राजभर और भाजपा सांसद संगम लाल ने किया है.अपने राजनीतिक महत्व को बताने के लिए ही इन नेताओं ने यह मांग की है.हालांकि जिन शहरों का नाम बदलने जाने की इन लोगों ने मांग की है, उस शहर के लोगों की राय तक उन्होंने शहर का नाम बदले जाने को लेकर नहीं ली है.जबकि यह जरूरी है कि जिस शहर का नाम बदलने जाने की मुहिम चले उस शहर के लोगो से उस बारे में पूछा जाना चाहिए, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है. सत्ता पर काबिज लोग अपने हिसाब से इस मामले में फैसले लेते रहे हैं और शायद आगे भी ऐसा ही होगा.