शिवसेना किसकी? बुधवार से SC में डे टू डे सुनवाई शुरू; पढ़ें आज क्या हुआ?
शिवसेना किसकी? सुप्रीम कोर्ट में अब बुधवार से इसकी डे टू डे सुनवाई शुरू हो रही है. मंगलवार को ठाकरे गुट की ओर से कपिल सिब्बल ने दलीलें पेश कीं. बुधवार को हरीश सालवे शिंदे गुट की ओर से दलीलें पेश करेंगे.
मुंबई: शिवसेना किसकी? ठाकरे या शिंदे की? जवाब ढूंढने की पहल सुप्रीम कोर्ट ने शुरू कर दी है. मंगलवार (14 फरवरी) को इस मामले की सुनवाई हुई. ठाकरे गुट से वकील कपिल सिब्बल ने दलीलें पेश कीं. बुधवार को शिंदे गुट से हरीश सालवे दलीलें पेश करेंगे. बुधवार से इस केस पर अब नियमित सुनवाई होगी. इस मुद्दे पर बीजेपी के हाईकमांड की भी नजरें लगी हुई हैं. सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग के फैसले के बाद ही महाराष्ट्र के मंत्रिमंडल के विस्तार की गुंजाइश दिखाई दे रही है.
मंगलवार को हुई सुनवाई 5 जजों की बेंच द्वारा की गई. कपिल सिब्बल ने ठाकरे गुट की ओर से नबाम रेबिया मामले का जिक्र करते हुए दलीलें पेश कीं. इस केस के आधार पर अध्यक्ष पर अगर अविश्वास प्रस्ताव चल रहा हो तो वे विधायकों को अयोग्य़ नहीं ठहरा सकता. को पदमुक्ति का नोटिस दिए जाने के बाद वह अयोग्य करार दिए जाने का फैसला नहीं कर सकता. उन्होंने कहा, ‘ नबाम रेबिया केस का पुनर्वलोकन करना जरूरी है. विधानसभा अधिवेशन के दौरान अध्यक्ष को विधायकों को अयोग्य साबित करने का अधिकार है. राजनीतिक शुचिता और अनुशासन को लेकर संविधान का टेंथ शेड्यूल दिया गया है.शिंदे गुट की ओर से टेंथ शेड्यूल का गलत इस्तेमाल किया गया.’
मंगल को ठाकरे गुट की बारी थी, बुधवार को शिंदे गुट दलीलें पेश करेगा
कपिल सिब्बल के अलावा ठाकरे गुट से अभिषेक मनु सिंघवी, देवदत्त कामत ने भी दलीलें पेश कीं. बुधवार को अब शिंदे गुट से वकील हरीश साल्वे दलीलें पेश करेंगे. शिंदे गुट की ओर से नवाब रेबिया का मामला लगातार उठाया जा रहा है.
वे सूरत-गुवाहाटी गए, मीटिंग्स में नहीं आए…मतलब उन्हें पार्टी छोड़ना ही था
मंगलवार को सुनवाई पूरी होनी के बाद शिवसेना के ठाकरे गुट के सांसद अनिल देसाई ने कहा, ‘विधायकों की योग्यता और अन्य मुद्दों पर चर्चा हुई. विधायक पार्टी छोड़ कर सूरत और गुवाहाटी चले गए. पार्टी द्वारा बुलाई गई मीटिंग में गैरहाजिर रहे.इसका मतलब ही यही हुआ कि शिंदे गुट ने पार्टी की सदस्यता खुद ही छोड़ दी है.ऐसे में विधायकों को अयोग्य ठहराया जा सकता है.इसी तरह अरुणाचल प्रदेश और नबाम रेबिया मामला और महाराष्ट्र के सत्ता संघर्ष में कुछ भी समानता नहीं. यह कोर्ट के संज्ञान में लाना होगा.’ सीएम शिंदे ने फिर एक बार दोहराया है कि उनके गुट के पास नंबर्स हैं और डेमोक्रेसी में नंबर्स अहम होता है.