लोकसभा चुनाव परिणामः राम के नाम पर…अयोध्या में हारती रही है भाजपा
अयोध्या के लोगों ने राम के नाम पर कभी कोई विचलन नहीं प्रदर्शित किया. विनय कटियार को 1991 और 1996 के बाद जनता ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया था. वहीं, लल्लू सिंह को हराने वाले अवधेश प्रसाद मिल्कीपुर से सपा के विधायक हैं. लगातार 9 बार विधायक रहने के कारण क्षेत्र में वे विधायक जी के नाम से जाने जाते हैं.
राम नाम का अस्त्र चलाकर लोकसभा में भाजपा तो दो से 303 तक पहुंची थी पर राम जी की अयोध्या भाजपा को सदैव गच्चा देती रही. जब धनुर्धारी राम के चित्र को आगे रखकर 1985 में हुई पालमपुर बैठक में भाजपा ने राम जन्मभूमि को मुक्त कराने का संकल्प किया था, उस समय फैजाबाद लोकसभा सीट से कांग्रेस के निर्मल खत्री सांसद थे. 1989 के लोकसभा चुनाव में भाजपा पूरी हिंदी पट्टी पर छा गई, किंतु उस समय भी फैजाबाद सीट (जिसमें अयोध्या है) से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के मित्रसेन यादव चुने गए और अयोध्या विधानसभा सीट से जनता दल के जय शंकर पांडेय जीते थे.
1991 में जरूर भाजपा के विनय कटियार ने फैजाबाद का लोकसभा चुनाव जीता और उसी वर्ष फैजाबाद की पांचों विधानसभा सीटों (अयोध्या, रुदौली, मिल्कीपुर, बीकापुर और दरियाबाद) पर भाजपा ने जीत दर्ज की.
बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद भी अयोध्या शांत रही
इसके बाद से भाजपा यहां कभी जीतती. तो कभी हारती. बाबरी मस्जिद ढहने के चार वर्ष बाद हुए लोकसभा चुनाव में विनय कटियार 1996 में फिर से चुनाव जीत गए. मगर 1998 में जब फिर से राम मंदिर के नाम पर भाजपा लोकसभा चुनाव में उतरी तब वही विनय कटियार हैट्रिक लागाने से चूक गए. सपा के मित्रसेन यादव से वे लोकसभा सीट हार गए. छह दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद को ढहाया गया, तो प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहराव ने उत्तर प्रदेश की कल्याण सिंह सरकार को तो बर्खास्त किया ही, साथ में सभी भाजपा शासित राज्य सरकारों (मध्य प्रदेश, राजस्थान और हिमाचल) को भी गिरा दिया गया. राम जन्म भूमि मुक्त कराने को लेकर पूरा देश भले उद्वेलित रहा हो लेकिन फैजाबाद शांत रहा. वहां न कोई साम्प्रदायिक तनाव रहा न हिंदू मुस्लिम में कोई दुराव रहा. 1994 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा अयोध्या को छोड़कर शेष चारों विधानसभा सीटें हार गई. अयोध्या के लोगों ने राम के नाम पर कभी कोई विचलन नहीं प्रदर्शित किया.
प्राण प्रतिष्ठा के शोर में भी भाजपा हारी
1999 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के विनय कटियार फिर चुने गए, किंतु अटल बिहारी वाजपेयी की शाइनिंग इंडिया मुद्दे को लेकर 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में अयोध्या से भाजपा-बसपा के मित्रसेन यादव से हार गई. मित्रसेन यादव CPI से सपा में गए थे और फिर BSP में पहुंच गए. 2009 में यहां से कांग्रेस के निर्मल खत्री जीते थे. 2014 तथा 2019 में भाजपा के लल्लू सिंह. 2024 में भाजपा के लल्लू सिंह सपा के अवधेश प्रसाद से हार गए. 2024 में तो इतनी बुरी दशा हुई कि भाजपा न सिर्फ फैजाबाद हारी बल्कि फैजाबाद (अब अयोध्या) मंडल के सभी जिलों में उसके प्रत्याशियों को हार का मुंह देखना पड़ा. फैजाबाद, अम्बेडकर नगर, बाराबंकी, सुल्तानपुर और अमेठी लोकसभा सीटें भाजपा के हाथ से फिसल गईं. यह स्थिति तब रही, जबकि अभी चार महीने पहले 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम लला के भव्य मंदिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की थी.
राम के नाम को लेकर राजनीति नहीं
इससे मोटा-मोटी यही प्रतीत होता है कि जिन राम जी का नाम पूरे देश की जनता में स्फुरण पैदा कर देता है, उनका नाम उनकी मातृभूमि में कोई संचार नहीं पैदा कर पाता. अयोध्या के वरिष्ठ पत्रकार इंदु भूषण पांडेय बताते हैं, कि जब-जब राम नाम को इनकैश करने की कोशिश की जाती है, अयोध्या की जनता बिफर जाती है. राम जी के प्रति अयोध्या में आत्मीयता है पर जब भी उनका राजनैतिक इस्तेमाल हुआ, मतदाता नाराज हो जाता है. सिर्फ राम के नाम पर कोई चुनाव नहीं जीता जा सकता. सच यह है कि राम नाम का सहारा लेकर चुनाव लड़ने वाले विनय कटियार और लल्लू सिंह हैट्रिक नहीं लगा पाए. जनता के अपने दुःख-दर्द होते हैं, उन्हें समझने की कोशिश नहीं की जाएगी तो जनता यूं ही भाजपा से छिटकती रहेगी. लल्लू सिंह दो बार लगातार जीते किंतु वे निराकार चेहरे वाले जन प्रतिनिधि थे, इसीलिए हारे.
राम नाम के साथ काम भी तो हो
इसके पूर्व विनय कटियार का भी यही हाल हुआ था. 1991 और 1996 के बाद जनता ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया था. अलबत्ता 1999 में जब अटल बिहारी वाजपेयी की कार्यवाहक सरकार थी, तब वे जीत सके. भाजपा के लिए 2024 में फैजाबाद से हारना एक बड़ा झटका है. लल्लू सिंह को हराने वाले अवधेश प्रसाद मिल्कीपुर से सपा के विधायक हैं. लगातार 9 बार विधायक रहने के कारण क्षेत्र में वे विधायक जी के नाम से जाने जाते हैं. पर अब वो सांसद जी बन गए. यह विचित्र है कि जब-जब राम का नाम परवान चढ़ाने में भाजपा सफल रही, तब-तब अयोध्या में उसे हार का मुंह ही देखना पड़ा. अयोध्या विधानसभा सीट भी अक्सर उसके हाथ से जाती रही. लल्लू सिंह अक्सर अयोध्या से ही विधायक रहे, किंतु 2012 के चुनाव में अयोध्या विधानसभा सीट से सपा के तेज नारायण पांडेय जीते थे.
नगर निगम भी भाजपा हारी
2023 में फैजाबाद (अब अयोध्या) नगर निगम का चुनाव भी भाजपा हारी थी. मजे की बात कि जिस वार्ड में राम जन्म भूमि परिसर पड़ता है, वहां से एक निर्दलीय मुस्लिम प्रत्याशी सुल्तान अंसारी को जीत मिली, जबकि इसके तीन साल पहले 2017 के विधानसभा चुनाव में अयोध्या ज़िले की पांचों विधानसभा सीटें भाजपा ने जीती थीं. 2020 में अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण हेतु आधार शिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी किंतु 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा जिले की पांच विधानसभा सीटों में से मिल्कीपुर और गुसाईं गंज हार गई. इससे साफ जाहिर है कि भाजपा भले राम मंदिर को लेकर पूरे देश में वोट मांगे अयोध्या में उसे वोट नहीं मिलता. अयोध्या एक पूर्णतया धार्मिक नगरी है. हिंदू धर्म की सप्त पुरियों में इसका उल्लेख है. परंतु हरम के राजनीतिकरण को इसने सदैव नकारा.
अयोध्या में न मथुरा न कासी सिर्फ अवधेश पासी!
अयोध्या में 2024 के लोकसभा चुनाव में तो ऐसी फिजा बदली कि नारा लगा हमें अवधेश पासी ही चाहिए, भाजपा के लल्लू सिंह से हमें कोई सहानुभूति नहीं. इसमें कोई शक नहीं कि पिछले दस वर्षों में अयोध्या का अभूतपूर्व विकास हुआ है. देश के सभी हिस्सों से जोड़ने वाली ट्रेनें, भव्य रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डा पर अयोध्या के स्थानीय निवासियों को उनकी जमीनों का मुआवजा देने में भी राज्य सरकार ने भेदभाव किया. सरकार ने विकास कार्यों के लिए जमीन अधिगृहीत की किंतु बदले में किसी को अधिक पैसे मिले किसी को कम. फैजाबाद के भाजपा सांसद लल्लू सिंह और भाजपा विधायक वेद प्रकाश गुप्ता ने जनता की गुहार नहीं सुनी. नतीजा यह हुआ कि लोगों को सपा के विधायक अवधेश प्रसाद पसंद आए, जो लोकसभा जीतने के पहले वे मिल्कीपुर (सुरक्षित) से विधायक थे. सपा ने यहां एक बड़ा प्रयोग किया. सामान्य श्रेणी की इस सीट से दलित समुदाय (पासी) के अवधेश प्रसाद को लड़ाया और वे जीत गए. इस तरह अयोध्या में लल्लू हारे और अवधेश जीते. अवधेश शब्द राजा राम का पर्यायवाची है.