लोकसभा चुनाव 2024 के पहले कांग्रेस क्यों कर रही क्राउड फंडिंग? जानें सियासी मायने

लोकसभा चुनाव 2024 के पहले कांग्रेस क्यों कर रही क्राउड फंडिंग? जानें सियासी मायने

देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस लोकसभा चुनाव को लेकर अपने 138वें स्थापना दिवस से पहले आज से 'डोनेट फॉर देश' के नाम से क्राउड फंडिंग अभियान शुरू कर रही है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस अभियान की शुरुआत की. कांग्रेस पिछले नौ सालों से सत्ता से बाहर है. चुनावों में लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में कांग्रेस को क्यों क्राउड फंडिंग की जरूरत पड़ी? आइए जानें इस अभियान के क्या मायने हैं.

पिछले नौ साल से कांग्रेस सत्ता से बाहर है. पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी फिर से अगले साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए पूरी तैयारी कर ली है. पीएम मोदी ने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी जीत की हैट्रिक बनाएगी. तीन विधानसभा चुनावों में बीजेपी की जीत से पार्टी का उत्साह और भी बढ़ा है और कांग्रेस बैकफुट है. ऐसे में 138 साल पुरानी पार्टी कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के पहले क्राउड फंडिंग का अभियान शुरू कर दिया है. डोनेट फॉर देश नाम से काउंड फंडिंग के अभियान को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आज शुरू किया.

इस क्राउड फंडिंग की खासियत यह है कि कांग्रेस अपने 138वें के स्थापना दिवस के मौके पर 138 रुपए, 1380 रुपए, 13800 रुपये या फिर 10 गुने का डोनेशन देने की अपील जनता से कर रही है. स्थापना दिवस 28 दिसंबर तक यह अभियान ऑनलाइन रहेगा और फिर कांग्रेस कार्यकर्ता घर-घर जाएंगे और प्रत्येक बूथ में कम-से-कम 10 घरों से 138 रुपए की दान ली जाएगी. कांग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी है और लंबे समय तक न केवल सत्ता में रही है, बल्कि देश के कोने-कोने में इसके कार्यकर्ता हैं. पार्टी के कार्यकर्ताओं से लेकर ऐसे सांसद और विधायकों की लंबी लिस्ट हैं, जिन्होंने चुनावी हलफनामा में अपनी संपत्ति घोषित की है और वे करोड़पति हैं.

ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या मात्र नौ साल से सत्ता में नहीं रहने के कारण कांग्रेस की आर्थिति स्थिति इतनी खराब हो गई कि उसे पार्टी चलाने के लिए क्राउड फंडिंग की जरूरत पड़ी है? या कांग्रेस के इस नए अभियान के सियासी मयाने है? क्या कांग्रेस की मंशा क्राउड फंडिंग के माध्यम से अपने कार्यकर्ताओं को एक्टिव करना है? इस अभियान के माध्यम से जनता तक पहुंचना है? या बीजेपी द्वारा लगातार कांग्रेस नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रही है. उससे निजात पाना है? हाल में कांग्रेस के राज्यसभा के सांसद धीरज साहू पर इनकम टैक्स की रेड हुई और करोड़ों के कैश जब्त हुए हैं. इस तरह के आरोपों से पार्टी को अलग रखने की यह एक कोशिश है. आइए समझते हैं, इसके सियासी मायने-

कांग्रेस क्यों शुरू कर रही है क्राउड फंडिंग?

राजनीतिक दल 2024 के लोकसभा चुनावों की तैयारी में जुट गए हैं. भाजपा ने पीएम मोदी की कल्याणकारी योजनाओं और नौ सालों के कामकाज को मुद्दा बनाया है. केंद्र सरकार द्वारा संचालित विभिन्न जन कल्याणकारी योजनाओं के प्रसार और प्रचार के लिए विकसित भारत संकल्प यात्रा शुरू की गई है. ऐसे में कांग्रेस ने अपने पार्टी फंड बढ़ाने की तैयारी शुरू कर दी है. देश की सबसे पुरानी पार्टी को चुनाव लड़ने के लिए पैसों की जरूरत है और इसके लिए वह डोनेट फॉर देश नाम से एक क्राउड फंडिंग अभियान शुरू करने जा रही है. इसकी पहल महात्मा गांधी के 1920-21 के ऐतिहासिक तिलक स्वराज कोष से प्रेरित है, जिसका उद्देश्य बेहतर भारत के निर्माण के लिए पार्टी को सशक्त बनाना था. अब पार्टी लोकसभा चुनाव के पहले फिर से पार्टी को सशक्त बनाने के लिए यह अभियान शुरू कर रही है.

जनता से कार्यकर्ताओं को जोड़ने की कोशिश

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक पार्थ मुखोपाध्याय का कहना है कि चुनावों में जिस तरह से कांग्रेस की पराजय हो रही है. हाल में विधानसभा चुनावों में तीन राज्यों में कांग्रेस की जिस तरह से पराजय हुई है. इससे कांग्रेस के कार्यकर्ता हतोत्साहित महसूस कर रहे हैं. ऐसे में पार्टी कार्यकर्ताओं में एक्टिव करने के लिए और कार्यकर्ताओं और आम लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने के लिए यह अभियान शुरू कर रही है. यह अभियान पार्टी के कार्यकर्ताओं और जनता को एक-दूसरे के करीब आने में मदद करेगा. इसके पहले भारत-पाकिस्तान के युद्ध के समय क्राउड फंडिंग के कंसेप्ट के तहत लोगों से चंदा मांगा गया था और लोगों खुलकर दान दिया था. उसी तरह से बंगाल में सिद्धार्थ शंकर राय की सरकार के शासन के समय भीषण बाढ़ आई थी. उस समय की कांग्रेस सरकार ने क्राउड फंडिंग के तहत फंड उगाहे थे.

लेफ्ट और यूएसए की राह पर कांग्रेस?

वास्तव में क्राउड फंडिंग का कंसेप्ट लेफ्ट पार्टी की रही है. बंगाल हो या फिर केरल लेफ्ट पार्टी के नेता पार्टी के लिए बीच सड़क पर चंदा मांगते दिखाई देते हैं. पार्टी नेताओं का दावा है कि कोलकाता में माकपा का मुखपत्र गणशक्ति का कार्यालय और दिल्ली का कार्यालय भी क्राउड फंडिंग से एकत्रित किए गए फंड से बनाए गये हैं. अमेरिका में क्राउड फंडिंग की परंपरा हैं. चाहे डेमोक्रैटिक पार्टी के नेता हों या फिर रिपब्लिकन पार्टी के नेता हों. वे पार्टी के लिए क्राउड फंडिंग का काम करते रहते हैं. अभी भी ओबामा और ट्रंप पार्टी के लिए क्राउड फंडिंग करते हैं. हालांकि इस दौरान उनके भाषण देने की भी परंपरा है, तो यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या कांग्रेस लेफ्ट द्वारा दिखाई गई राह पर चल कर पार्टी संगठन और फंड को मजबूत करने की कोशिश कर रही है और यूएस की परंपरा का पालन कर रही है.

भ्रष्टाचार के आरोप के बीच नया अभियान

पीएम मोदी से लेकर बीजेपी के नेता लगातार कांग्रेस पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते रहे हैं. ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स की रेड लगातार पड़ रहे हैं. इनमें कांग्रेस सहित विपक्षी पार्टियों के नेता शामिल हैं. साल के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने भ्रष्टाचार को बड़ा मुद्दा बनाया था. भाजपा ने एक ऐसी प्रणाली स्थापित करने का वादा किया था, जो भ्रष्टाचार की गुंजाइश को खत्म कर देगी और मोदी ने लोगों से वादा किया कि वह “चौकीदार” या चौकीदार के रूप में काम करेंगे और सरकार और नौकरशाही से भ्रष्टाचार मिटा देंगे. पीएम मोदी को चौकीदार कहा गया था. अभी भी कांग्रेस नेताओं को लेकर प्रायः ही ऐसे आरोप लगते रहे हैं. कांग्रेस इस अभियान से इस आरोप से मुक्त करने की कोशिश की कवायद करेगी.

चुनावी बॉन्ड में पिछड़ी कांग्रेस

दूसरी ओर, कई रिपोर्ट्स के मुताबिक, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी देश की सबसे अमीर पार्टी है, जबकि कांग्रेस उसके मुकाबले कहीं नहीं ठहरती. रिपोर्ट्स के मुताबिक हालिया विधानसभा चुनावों में भगवा पार्टी को चुनावी बॉन्ड के जरिए सबसे ज्यादा पैसा मिला. चुनाव आयोग की जनवरी 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2021-22 (अप्रैल 2021-मार्च 2022) के दौरान बीजेपी की आय 1,917.12 करोड़ रुपये थी, यह अन्य सभी सात राष्ट्रीय दलों की तुलना में सबसे अधिक है. भाजपा के बाद अन्य अमीर पार्टियों में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस है. और उसके बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस है. इनमें से बीजेपी को 1033 करोड़ रुपये चुनावी बॉन्ड के जरिए मिले, जबकि इसी अवधि (2021-22) के दौरान टीएमसी को 545.74 करोड़ रुपये और कांग्रेस को 541.27 करोड़ रुपये मिले थे. ऐसे में कांग्रेस नए अभियान के जरिए पार्टी के लिए अधिक से अधिक फंड एकत्रित करना चाहती है.

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