भारत ने कनाडा के राजनयिकों को क्यों भेजा वापस? विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताई वजह
कनाडा के साथ चल रही तल्खी के बीच रविवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर की प्रतिक्रिया सामने आई है. उन्होंने कहा कि कनाडा के राजनियकों की ओर से हमारे मामलों में लगातार दखल दिया जा रहा था. उन्होंने कहा कि राजनयिकों को वापस भेजने का फैसला समानता के आधार पर लिया गया है.
कनाडा के 41 राजनयिकों की वापस भेजने के मामले में अब विदेश मंत्री एस जयशंकर की प्रतिक्रिया सामने आई है. उन्होंने कहा है कि कनाडाई राजनयिकों की ओर से हमारे मामलों में लगातार हस्तक्षेप किया जा रहा था. इन्हीं चिंताओं को देखते हुए भारत ने देश में कनाडा के राजनयिकों की उपस्थिति में समानता का प्रावधान लागू किया. इसके साथ-साथ उन्होंने यह भी कहा है कि यदि कनाडा में भारतीय राजनयिकों की सुरक्षा में सुधार देखने को मिलता है तो हम फिर से वीजा जारी करना शुरू कर देंगे.
दरअसल, पिछले महीने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में भारतीय एजेंटों की संभावित संलिप्तता का आरोप लगाया था. ट्रूडो के इस आरोप के बाद भारत और कनाडा के बीच तनाव बढ़ गया था. निज्जर की इस साल जून में बाइक सवार अज्ञात बदमाश ने गोली मारकर हत्या कर दी थी.
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ट्रूडो के आरोपों के बाद भारत ने कनाडा के खिलाफ तल्ख तेवर अपनाते हुए कनाडाई नागरिकों के लिए वीजा जारी की प्रक्रिया को अस्थाई रूप से निलंबित कर दिया था. इसके साथ-साथ भारत ने कनाडा से देश में अपने राजनयिकों की संख्या में कमी करने को भी कहा था. इसके बाद भी कनाडा ने भारत की बात को गंभीरता से नहीं लिया था. इसके बाद विदेश मंत्रालय ने कनाडा के 41 राजनयिकों को स्वदेश जाने का फरमान जारी कर दिया.
भारत के फैसले को कनाडा ने बताया नियमों का उल्लंघन
कनाडा ने भारत के इस कदम का विरोध किया और राजनयिकों की उपस्थिति कम करने के फैसले को नियमों का उल्लंघन बताया. जिस पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि वियना संधि में समानता की बात है और यह अंतरराष्ट्रीय नियम है. कनाडा के राजनयिकों के मामले में भारत ने समानता की बात की क्योंकि हमें कनाडाई कर्मियों द्वारा हमारे मामलों में लगातार हस्तक्षेप को लेकर चिंता थी.
‘कनाडा की राजनीति के कुछ हिस्सों से समस्या’
विदेश मंत्री ने कहा है कि हमारी समस्या कनाडा की राजनीति के कुछ हिस्सों से हैं. मौजूदा समय में दोनों देशों के बीच रिश्ते कठिन दौर से गुजर रहे हैं. बता दें कि भारत के कई मोस्ट वांटेड खालिस्तानी आतंकी कनाडा में शरण लिए हुए हैं. भारत की ओर से इन आतंकियों के खिलाफ बार-बार कार्रवाई की अपील की जाती रही है, लेकिन ट्रूडो प्रशासन हर बार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हवाला देकर कन्नी काट लेता है.
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