इंडिया की छलांग, हर भारतीय की कमाई हुई डबल, 10 साल में इतनी बढ़ी Per Capita Income
मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद बीते 10 साल में देश के लोगों की आमदनी बढ़ी है. देश के प्रति व्यक्ति आय के आंकड़े दिखाते हैं कि इस अवधि में हर भारतीय की कमाई डबल हो चुकी है. पढ़ें ये खबर...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को सत्ता में आए करीब 10 साल होने जा रहे हैं. पीएम मोदी अक्सर इस अवधि को ‘New India’ की संज्ञा से संबोधित करते हैं. और अब प्रति व्यक्ति आय (India Per Capita Income) के आंकड़े दिखाते हैं इस न्यू इंडिया में बीते 10 साल में लोगों की कमाई जबरदस्त तरीके बढ़ी है और ये लगभग डबल हो चुकी है. हालांकि देश की आबादी के बीच इसका असमान बंटवारा अब भी एक चुनौती बनी हुई है.
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने इस संबंध में जो आंकड़े जारी किए हैं, उसके हिसाब से मौजूदा कीमतों पर देश की प्रति व्यक्ति आय 1,72,000 रुपये हो चुकी है. ये 2014-15 में 86,647 रुपये की प्रति व्यक्ति आय के मुकाबले दोगुना है. जबकि वास्तविक मूल्य यानी आधार कीमत के हिसाब से ये करीब 35 फीसदी बढ़ी है. वर्ष 2014-15 में यह 72,805 रुपये थी जो वर्ष 2022-23 में बढ़कर 98,118 रुपये रहने का अनुमान है.
महंगाई के मुकाबले ये ग्रोथ कुछ भी नहीं
पीटीआई की खबर के मुताबिक जानी-मानी अर्थशास्त्री जयती घोष का कहना है कि देश की जीडीपी को मौजूदा मूल्यों पर देखा जा रहा है, लेकिन यदि इस दौरान देश की महंगाई दर के आंकड़ों पर भी गौर किया जाए, तो पता चलेगा कि प्रति व्यक्ति आय में यह वृद्धि बहुत कम है.
10% लोगों को मिला आय का ज्यादा हिस्सा
साथ ही आय के वितरण को अहम बताते हुए जेएनयू की पूर्व फ्रोफेसर ने कहा, ”ज्यादातर वृद्धि आबादी के शीर्ष 10% लोगों के खाते में गई है. इसके विपरीत औसत वेतन घट रहा है. वास्तविक तौर पर देखें तो संभवत: यह और भी कम हो गया है.”
कोविड काल में जबरदस्त गिरी इनकम
एनएसओ के आंकड़े बताते हैं कि देश में कोविड काल के दौरान प्रति व्यक्ति आय वास्तविक और मौजूदा दोनों ही मूल्यों के लिहाज से गिरी थी. हालांकि वर्ष 2021-22 और 2022-23 के दौरान इसमें सुधार देखा गया है.
आर्थिक शोध संस्थान NIPFP के पूर्व निदेशक पिनाकी चक्रवर्ती ने वर्ल्ड डेवलपमेंट इंडिकेटर के आंकड़ों के हवाले से कहा है कि साल 2014 से 2019 के दौरान वास्तविक मूल्यों पर भारत की प्रति व्यक्ति आय 5.6 फीसदी प्रति वर्ष की दर से बढ़ी है.
उन्होंने कहा कि यह वृद्धि काफी अहम है. हमें स्वास्थ्य, शिक्षा, आर्थिक तथा सोशल मोबिलिटी से जुड़े परिणामों में सुधार देखने को मिला है. अगर हम आय वितरण की उपयुक्त नीतियों के साथ हर साल 5 से 6 प्रतिशत की दर को कायम रख पाते हैं, तो यह रफ्तार बनी रहेगी. हालांकि देश में आय की असमानता पर भी हमें ध्यान देना होगा.
औसत आय छिपा लेती है हकीकत
इंस्टीट्यूट फॉर स्टडीज इन इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट में निदेशक नागेश कुमार ने कहा कि वास्तविक मूल्यों पर देश की प्रति व्यक्ति आय बढ़ी है और यह बढ़ती समृद्धि के रूप में नजर भी आता है. इसके साथ ही उन्होंने कहा, ”इस ओर भी ध्यान देना जरूरी है कि प्रति व्यक्ति आय भारतीयों की औसत आय है. औसत आय अक्सर बढ़ती असमानताओं को छिपाती है. ऊपरी स्तर पर आय के केंद्रित होने का मतलब है कि आय के निचले स्तर पर मौजूद लोगों के लिए बड़ा बदलाव नहीं आया है.”
(भाषा के इनपुट के साथ)