चुनाव लड़ने के लिए जमात ए इस्लामी से हटे प्रतिबंध, गृह मंत्री से उमर अब्दुल्ला की गुजारिश
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि मरकज से उनकी गुजारिश है कि फौरी तौर जमात-ए-इस्लामी पर जो प्रतिबंध लगाया गया है उसे हटा देना चाहिए ताकि आने वाले विधानसभा चुनाव जो जुलाई-अगस्त में होने हैं उसमें इस संगठन की तरफ से उनके अपने उम्मीदवार खड़े हो सकें.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित से जमात-ए-इस्लामी से प्रतिबंध हटाने की मांग की है. उनका कहना है कि चुनाव में भाग लेने के लिए अन्य दूसरी पार्टियों और उम्मीदवारों की तरह इन्हें भी चुनावी मैदान में उतरने का मौका मिलना चाहिए. इसके लिए उन्होंने शाह से गुजारिश की.
बुधवार 15 मई को उत्तरी कश्मीर के बारामुला जिले के टंगमर्ग में चुनाव प्रचार के बाद पत्रकारों से बात करते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा कि वो केंद्रीय गृह मंत्री से आग्रह करते हैं कि जमात-ए-इस्लामी पर से फौरन प्रतिबंध को हटा लिया जाए. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जमात-ए-इस्लामी जो वो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से दूसरी पार्टियों या उम्मीदवारों के लिए काम करती है उसे भी चाहिए कि वो चुनावी मैदान में वह अपने उम्मीदवार उतारकर अपनी किस्मत आमाए.
‘जमात-ए-इस्लामी से हटाया जाए प्रतिबंध’
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि मरकज से उनकी गुजारिश है कि जमात-ए-इस्लामी पर जो प्रतिबंध लगाया गया है उसे हटा देना चाहिए ताकि आने वाले विधानसभा चुनाव जो जुलाई-अगस्त में होने हैं उसमें इस संगठन की तरफ से उनके अपने उम्मीदवार खड़े हो सकें. उन्होंने कहा कि कई बार खबरें ऐसी खबरें सामने आई हैं कि जमात-ए-इस्लामी ने कई उम्मीदवारों की या पार्टियों की मदद की है. मर अब्दुल्ला ने कहा कि जमात को आगे होवे वाले चुनावों में पूरे जोर के साथ हिस्सा लेना चाहिए.
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‘आगामी विधानसभा चुनावों में भाग ले सकता है संगठन’
वहीं जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर के पूर्व प्रमुख गुलाम कादिर वानी ने भी बुधवार को कहा कि अगर केंद्र सरकार 2019 में संगठन पर लगाए गए प्रतिबंध को हटा देती है तो उनका संगठन आगामी विधानसभा चुनावों में भाग ले सकता है. श्रीनगर लोकसभा सीट पर बीते सोमवार को मतदान करने बाद वानी ने कहा था कि उनका संगठन लोकतांत्रिक प्रक्रिया में यकीन रखता है. और पहले हुए चुनावों में भी हिस्सा ले चुका है.
जमात-ए-इस्लामी संगठन ने 1987 से किसी भी चुनाव में हिस्सा नहीं लिया है. इस संगठन का मुख्यालय श्रीनगर में है. जमात-ए-इस्लामी कश्मीर को एक विवादित क्षेत्र मानता रहा है. फरवरी 2019 में केंद्र सरकार ने इस संगठन पर UAPA के तहत पांच साल का बैन लगा दिया था.वहीं परवरी 2024 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने संगठन पर लगे प्रतिबंध को पांच साल के लिए आगे बढ़ा दिया था.