क्रोध मूर्खता से शुरू होकर पश्चाताप पर खत्म होता है, पढ़ें इससे बचने की 5 बड़ी सीख
क्रोध या फिर कहें गुस्से को वश में करने का बस एक ही जरिया है कि जब तक वह आप पर सवार रहे तो आप मौन साधे रहें. गुस्से बचने के लिए पढ़ें 5 अनमोल विचार.
जीवन में कभी किसी बात को लेकर गुस्सा आना एक इंसानी स्वभाव है, लेकिन यह एक दुर्गुण भी है जिसके कारण इंसान दूसरों से ज्यादा खुद को नुकसान पहुंचाता है. इस गुस्से के चलते कई बार इंसान अपने जीवन से जुड़ी हर अनमोल चीज को गंवा देता है. क्रोध जब इंसान पर सवार होता है तो एक सरल और शांत इंसान भी शेर की तरह दहाड़ने लगता है और वह अपने-पराए के भेद को भुलाकर दूसरों पर हमला करने लगता है.
सही मायने में क्रोध ऐसा अवगुण है जो व्यक्ति के भीतर छिपा होता है और जब बाहर आता है तो उसी व्यक्ति को नुकसान पहुंचाता है. यही कारण है कि जो व्यक्ति जितना अधिक क्रोध करता है, वह अपने जीवन में उतना अधिक नुकसान करता है. ऐसे में व्यक्ति को जब कभी क्रोध आए तो उसे मौन धारण कर लेना चाहिए. आइए जानते हैं कि आखिर इस क्रोध रूपी बला से कैसे बचा जाए. आइए क्रोध से बचाने वाले 5 अनमोल सीख के बारे में जानते हैं.
- क्रोध को मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु कहा गया है क्योंकि यह जिसके साथ होता है, उसी के तन, मन और बुद्धि का विनाश करता है.
- कभी भी गुस्से में आकर कोई महत्वपूर्ण निर्णय नहीं लेना चाहिए क्योंकि ऐसी स्थिति में इंसान की समझ, भाव और उसके विचार उसके वश में नहीं होते हैं.
- सनातन परंपरा में क्रोध को समस्याओं का समाधान नही, बल्कि नई समस्याओं को जन्म देने वाला कहा गया है.
- व्यक्ति को क्रोध के दौरान कोई भी अहम फैसला नहीं लेना चाहिए क्योंकि वह इसमें वह भी काम कर जाता है जो उसे कभी भूलकर भी नहीं करना चाहिए.
- क्रोध उस विनाशकारी तूफान की तरह होता है, जो आता तो थोड़े समय के लिए है, लेकिन इंसान का सबकुछ नाश करके चला जाता है.