Onam 2022: कब है ओणम, जानें क्यों और कैसे मनाया जाता है ओणम का त्योहार
ओणम का त्योहार केरल में धूमधाम से मनाया जाता है. लोग कुछ दिनों पहले से ही इस त्योहार की तैयारियां शुरु कर देते हैं. इस पर्व को 10 दिनों तक मनाया जाता है. इस त्योहार को क्यों मनाया जाता है और कैसे मनाया जाता है आइए यहां जानें.
ओणम केरल का लोकप्रिय त्योहार है. केरल में ओणम का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है. ये त्योहार 10 दिनों तक मनाया जाता है. केरल हरियाली और सुंदर नजारों के लिए बेहद प्रसिद्ध है, लेकिन ओणम के दौरान केरल की खूबसूरती और भी बढ़ जाती है. इस दौरान लोग अपने घरों को रंग-बिरंगे फूलों से सजाते हैं. देश-विदेश से लोग ओणम के दौरान केरल घूमने के लिए आते हैं. इस साल 23 अगस्त से इस पर्व की शुरुआत होगी और 8 सितंबर तक ये त्योहार मनाया जाएगा. आइए जानें इस त्योहार क्यों और कैसे मनाया जाता है.
पौराणिक मान्यताएं …
ऐसा माना जाता है कि एक महाबली नाम का असुर था. वह अपनी प्रजा का बहुत खयाल रखता था. यही कारण था कि उसकी प्रजा देवताओं की तरह उसकी पूजा करती थी. एक बार श्रीहरि वामन रूप में वह राजा बलि के पास गए और राजा बलि से तीन वजन मांगे. वचनों को पूरा करने के लिए राजा बलि को पाताल लोक जाना पड़ा था. इससे उनकी प्रजा काफी दुखी हुई. इस प्रेम को देखकर श्रीहरि ने ये वरदान दिया कि वे साल में एक बार अपनी प्रजा से मिलने के लिए जा सकेंगे. ऐसा माना जाता है कि इसलिए ही ओणम का त्योहार मनाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि राजा बलि अपने प्रजा से मिलेंगे. उनके दुखों को दूर करेंगे.
इस तरह मनाया जाता है त्योहार
ओणम के खास मौके पर तरह-तरह के स्वादिष्ट पकवान बनाए जाते हैं. इसमें पचड़ी,रसम, पुलीसेरी, एरीसेरी, खीर और अवियल आदि शामिल हैं. केरल के लोग ओणम के त्योहार के दौरान केवल दूध से 18 व्यंजन बनाते हैं. इस उत्सव के दौरान लोग दूर-दूर से यहां घूमने के लिए आते हैं. कई तरह की खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है. नौका दौड़ होती है. नावों को फूलों से सजाया जाता है. नृत्य और गाना-बजाना होता है. इस दौरान लोग शेर और चीते की तरह तैयार होकर सड़कों पर नाचते हैं. इसे प्ले ऑफ द टाइगर्स के रूप में जाना जाता है. राजा बलि के स्वागत में महिलाएं घरों को रंग-बिरंगे फूलों से सजाती हैं. रंगोली बनाती हैं. रंगोली को दीपों से सजाया जाता है. इस दिन लोग एक दूसरे को इस त्योहार की शुभकामनाएं देते हैं. पारंपरिक भोज को केले के पत्ते पर परोसा जाता है. इस दिन चावल, नारियल के दूध और गुड़ से खीर बनाई जाती है.
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