सुशील मोदी को कौन सा कैंसर था, कितनी घातक होती है ये बीमारी? एक्सपर्ट्स से जानें

सुशील मोदी को कौन सा कैंसर था, कितनी घातक होती है ये बीमारी? एक्सपर्ट्स से जानें

बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने तीन अप्रैल को खुद को कैंसर होने की जानकारी सोशल मीडिया पर पोस्ट करके दी थी. इसके बाद शुरू में उनका इलाज एम्स दिल्ली में डॉक्टर अमलेश सेठ के नेतृत्व में चल रहा था. हालांकि बाद में डॉक्टर रंजीत साहू उन्हें देख रहे थे. एम्स के डॉक्टरों के मुताबिक उन्हें यूरिनरी ब्लैडर कैंसर की बीमारी थी.

बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी का सोमवार रात दिल्ली एम्स में निधन हो गया. सुशील मोदी लंबे समय से बीमार थे. कैंसर के इलाज के लिए कुछ दिनों पहले उनको एम्स दिल्ली में भर्ती कराया गया था. यहां उनका कैंसर का ट्रीटमेंट चल रहा था. कुछ दिन से सुशील मोदी की तबियत काफ़ी बिगड़ रही थी. डॉक्टरों ने उनकी जान बचाने की काफ़ी कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली.

एम्स के डॉक्टरों ने टीवी9 भारतवर्ष से बातचीत में बताया कि सुशील मोदी यूरिनरी ब्लैडर कैंसर की बीमारी से पीड़ित थे. शुरू में एम्स दिल्ली में डॉक्टर अमलेश सेठ के नेतृत्व में यूरिनरी ब्लैडर के कैंसर का इलाज चल रहा था. इसके बाद डॉक्टर रंजीत साहू उन्हें देख रहे थे. सुशील मोदी की बीमारी काफ़ी बढ़ गई थी और सोमवार रात को करीब 9 बजकर 45 मिनट पर अंतिम सांस ली. उन्हें 9 अप्रैल को एम्स दिल्ली में भर्ती किया गया था.

क्या होता है यूरिनरी ब्लैडर कैंसर

ऑनकोलॉजिस्ट डॉ. अनुराग कुमार बताते हैं कि यूरिनरी ब्लैडर यूरिनरी ट्रैक यानी मूत्र मार्ग के ऊपर और किडनी के नीचे होता है. किडनी से यूरिन यूरिनरी ब्लैडर में ही आता है. यूरिन कुछ समय ब्लैडर में रहता है और उसके बाद शरीर से निकल जाता है. ब्लैडर में कैंसर तब होता है जब ब्लैडर में मौजूद सेल्स तेज़ी से बढ़ने लगते हैं.

ये कैंसर आमतौर पर 50 साल की उम्र के बाद होता है. इस कैंसर के लक्षणों का अगर समय पर पता चल जाए तो इलाज हो सकता है, लेकिन अगर ये कैंसर एडवांस स्टेज में चला जाता है तो ट्रीटमेंट एक चुनौती बन जाता है. यह इस वजह से होता है क्योंकि देरी से इसकी पहचान होने से ये कैंसर फैल जाता है. यूरिनरी ब्लैडर से होते हुए ब्लैडर की बाहर की परत और फिर लिम्फ नोड्स के बाद ये कैंसर लंग्स और लिवर तक में चला जाता है. इस कारण एक साथ सभी ऑर्गन फैल भी हो सकते हैं जो मौत का कारण बन सकता है.

शुरू में लक्षणों का पता नहीं चलता

अधिकतर मामलों में लोगों को शुरू में इस कैंसर के लक्षण का पता नहीं चल पाता है. लोग इस कैंसर के लक्षणों को पेशाब की सामान्य प्रॉब्लम मानकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं. जब तक बीमारी का पता चलता है तो वह घातक बन चुकी होती है. भारत में यूरिनरी ब्लैडर में कैंसर के अधिकतर मामले आख़िरी स्टेज में ही सामने आते हैं. इस स्थिति में ये बीमारी घातक बन जाती है.

क्या हैं इस कैंसर के लक्षण

  • बार-बार पेशाब आना
  • पेशाब से खून आना
  • पेशाब सही तरीक़े से न आना
  • बार-बार यूरिन का इन्फेक्शन होना