India vs Bharat: चर्चा में छाई iPhone की दुकान, 80 करोड़ की जरूरत मुफ्त रोटी-कपड़ा-मकान

India vs Bharat: चर्चा में छाई iPhone की दुकान, 80 करोड़ की जरूरत मुफ्त रोटी-कपड़ा-मकान

बीते दिनों सबसे ज्यादा चर्चा का विषय देश में Apple iPhone का पहला रिटेल स्टोर खुलना रहा. जबकि देश की 80 करोड़ से ज्यादा की आबादी अभी ऐसी है जो कोविड के बाद से मुफ्त अनाज के सहारे जी रही है. आखिर भारत और इंडिया के बीच की ये खाई कितनी बड़ी है ?

भारत जैसे देश में जहां कोविड के बाद से 80 करोड़ से ज्यादा की आबादी मुफ्त राशन के सहारे जी रही हो. बीते 70 साल में सबको पक्का मकान देने के लिए सरकार कई योजनाएं लाई हो, और बहुत से गांव में अब जाकर बिजली-पानी जैसी जरूरतें पूरी हुईं हो. आपके हिसाब से उस देश में 1 लाख रुपये से ज्यादा का आईफोन बेचने वाली एपल कंपनी की महज एक दुकान खुलना क्या मायने रखता है?

ये सवाल इसलिए, क्योंकि बीते दिनों एपल के दो स्टोर इंडिया में खुले और ये सबसे ज्यादा चर्चा का विषय रहे. वहीं भारत 142 करोड़ लोगों के साथ दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन गया. एक देश के तौर पर उसकी जरूरत क्या है, आंकड़े इसकी अलग कहानी बयान करते हैं.

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बढ़ता अमीर-गरीब का अंतर

हाल में मीडिया में एक खबर आई कि सरकार इनकम टैक्स सिस्टम में बड़ा बदलाव लाने वाली है जिसमें अमीर पर ज्यादा कैपिटल गेन टैक्स लगाने का प्लान है. इसकी वजह देश में अमीर-गरीब के अंतर को कम करना है. हालांकि इस पर तुरंत सरकार का इनकार भी आ गया. उसने कहा कि ऐसा कोई प्लान नहीं है.

वहीं अगर अमीर-गरीब के बीच की खाई के आंकड़ों को देखें, तो वर्ल्ड इनइक्वालिटी रिपोर्ट 2022 बताती है कि भारत दुनिया में सबसे ज्यादा असमानता वाले देशो में से एक है. देश की ऊपरी तबके की 10 प्रतिशत आबादी के पास 57 प्रतिशत वेल्थ है, जबकि इसमें भी बिलकुल ऊपर की क्रीमी लेयर यानी 1 प्रतिशत आबादी देश की 22 प्रतिशत इनकम पर राज करती है.

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हाल में वर्ल्डबैंक से लेकर आईएमएफ तक के अनुमान दिखाते हैं कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है. हालांकि इसमें से किसी ने भी असमानता को लेकर अपनी रिपोर्ट में कुछ नहीं कहा है, जबकि भारत के लिए ये चिंता का विषय होना चाहिए क्योंकि अपनी ग्रोथ के लिए इंडिया 60 प्रतिशत निजी उपभोग पर निर्भर करता है.

रोटी-कपड़ा-मकान, और लग्जरी सामान

भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. इसके बावजूद एक तरफ जहां 80 करोड़ से ज्यादा की आबादी को मुफ्त अनाज चाहिए. वहीं देश में लग्जरी सामान की खरीदारी बढ़ रही है. ये देश में बढ़ती असमानता का सीधा सबूत है.

देश में बनाएं iPhone या 80 करोड़ को दें मुफ्त रोटी-कपड़ा-मकान?

कोरोना के बाद वाले प्रवासी मजदूर संकट को कौन भुला सकता है भला?

भारत दुनिया के उन 26 देशों में शामिल हैं जिनकी प्रति व्यक्ति आय बेहद कम है. फिर भी वहां आईफोन बनाने वाली कंपनी एपल का रिटेल स्टोर खुला है. इतना ही नहीं 2022 में देश में लग्जरी कारों की सेल 2021 के मुकाबले बढ़ी है. जबकि यूटिलिटी व्हीकल माने जाने वाले 2-व्हीलर्स बनाने वाली कंपनी बजाज ऑटो की सेल में 10 प्रतिशत की गिरावट आई है. लग्जरी कार कंपनी मर्सडीज-बेंज के लिए भी भारत अब सबसे बड़े बाजारों में से एक है.

इसके उलट अगर PwC के ग्लोबल कंज्यूमर इंसाइट पल्स सर्वे 2023 को देखें तो भारत में 63 प्रतिशत से ज्यादा कंज्यूमर अपने गैर-जरूरी खर्च को कम कर रहे हैं. वहीं 74 प्रतिशत लोगों को अपने भविष्य के फाइनेंस की चिंता खाए जा रही है.

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हाल में सरकार ने देश में दवाओं के दाम बढ़ाने का भी ऐलान किया है. इस साल 1 अप्रैल के बाद से देश में पेनकिलर्स, एंटी-बायोटिक और बेहद जरूरी दवाएं भी 12 प्रतिशत तक महंगी हो गई हैं. जबकि देश के करोड़ों लोगों को सरकारी अस्पतालों में बेहतर और मुफ्त इलाज के लिए जद्दोजहद करनी पढ़ रही है.