एमपी में सहकारिता क्षेत्र में अपार संभावनाएं… शाह बोले- सहकारी समितियां अब ट्रेन टिकट से लेकर गैस तक बांटेंगी

अमित शाह ने कहा कि जब तक मछुआरा समाज, डेयरी या पैक्स मजबूत नहीं होंगे, तब तक कृषि, पशुपालन और सहकारिता क्षेत्रों में विकास नहीं हो सकता. आज पैक्स काउंटर पर 300 से ज्यादा सुविधाएं हैं. ट्रेन टिकट, गैस सिलेंडर हो या लाइसेंस, अब लोगों को गांव से बाहर जाने की जरूरत नहीं है.
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने रविवार को मध्य प्रदेश में ‘राज्य स्तरीय सहकारिता सम्मेलन’ का नेतृत्व किया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने स्वयं सहकारिता आंदोलन में बड़ा बदलाव किया है. मध्य प्रदेश में खेती, किसानी और सहकारिता क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं. शाह ने कहा कि आज देशभर के राज्यों ने मॉडल बायलॉज को अपनाया है. मैं राज्य सरकारों को धन्यवाद देता हूं. उन्होंने मॉडल बायलॉज को स्वीकार कर देश के सहकारिता क्षेत्र को नई जान दी है.
अमित शाह ने कहा कि मध्य प्रदेश में कृषि, पशुपालन और सहकारिता तीनों ही क्षेत्रों में कई संभावनाएं पड़ी हुई है. इसके लिए हम सभी को बहुत काम करने की जरूरत है. धीरे-धीरे राज्यों में यह विलुप्त होती जा रही थी. कुछ राज्यों में इसने ग्रामीण और आर्थिक विकास के सभी मापदंडों पर काम किया. कुछ जगहों पर इसका सरकारीकरण कर दिया गया. कई जगहों पर देशभर में सहकारी आंदोलन बंटा हुआ था. इसका मुख्य कारण यह था कि समय के साथ इसके कानूनों में जो बदलाव होने चाहिए थे, वे नहीं हुए थे.
‘केंद्रीय स्तर पर कोई सहकारिता मंत्रालय ही नहीं था’
उन्होंने कहा कि हमारे संविधान में बहुराज्यीय को छोड़कर सभी सहकारिताएं राज्यों का विषय हैं. जिस तरह से देश में हालात बदले, उसके हिसाब से कदम नहीं उठाए गए. और सोच भी कैसे सकते थे, केंद्रीय स्तर पर कोई सहकारिता मंत्रालय ही नहीं था. आजादी के बाद पहली बार मोदी सरकार ने इस मंत्रालय का गठन किया. मेरा सौभाग्य है कि पहला मंत्रालय मुझे सौंपा गया. आज भी सहकारिता राज्य की जिम्मेदारी है. केंद्र सरकार कोई बदलाव नहीं कर सकती.
मछुआरा समाज, डेयरी या पैक्स को मजबूत करने की जरूरत
अमित शाह ने इस दौरान कहा कि सहकारिता मंत्रालय का पहला काम प्राथमिक स्तर पर मॉडल बायलॉज बनाना था. इसे सभी राज्य सरकारों को भेजा गया. कई लोगों ने कहा कि यह राजनीति की भेंट चढ़ जाएगा. कई राज्यों में एनडीए सत्ता में नहीं है. लेकिन आज सभी राज्यों में इसे अपनाया गया है. जब आपकी नीयत सही हो, मेहनत करने की इच्छा हो तो सब कुछ सही होता है. आज मैं इसके लिए देशभर के राज्यों को धन्यवाद देता हूं.
उन्होंने कहा कि जब तक मछुआरा समाज, डेयरी या पैक्स मजबूत नहीं होंगे, तब तक तीनों क्षेत्रों में विकास नहीं हो सकता. आज पैक्स काउंटर पर 300 से ज्यादा सुविधाएं हैं. ट्रेन टिकट हो या लाइसेंस, अब लोगों को गांव से बाहर जाने की जरूरत नहीं है. अब गैस सिलेंडर, पेट्रोल पंप से लेकर अन्य सभी काम पैक्स से पास ही होने वाला है. उन्होंने कहा कि पैक्स के कम्प्यूटरीकरण में मध्य प्रदेश पहला राज्य है. इससे पारदर्शिता आई है, ये सभी पैक्स किसान की भाषा में दिखाई देंगे. हर भाषा में केंद्र सरकार ने ऐसी सुविधा बनाई है.
5 साल में 50 प्रतिशत गांवों तक डेयरी की होगी पहुंच
शाह ने कहा कि इन तीनों सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को अधिक लाभ मिलेगा. किसान वैश्विक बाजार तक पहुंचेंगे. जब किसान अपना दूध बाजार में बेचने जाता है तो उसे परेशानी होती है. लेकिन हमें सहकारी समितियों के माध्यम से इसका सही उपयोग कर किसानों की आय बढ़ानी है. प्रदेश में 350 करोड़ लीटर दूध में से केवल 2.5 प्रतिशत ही डेयरी में आता है. हमें इसे बढ़ाना है ताकि किसानों की आय भी बढ़े. उन्होंने राज्य सरकार और एनडीबीडी के बीच हुए अनुबंध पर भी चर्चा की.
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उन्होंने कहा कि आज एनडीडीबी के साथ मध्य प्रदेश सरकार द्वारा किए गए अनुबंध से सहकारी समितियों के 83 प्रतिशत गांवों तक पहुंचने की गुंजाइश खुल गई है. 83 प्रतिशत गांवों तक डेयरी पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है. पहले 5 साल में 50 प्रतिशत गांवों तक डेयरी पहुंच जाए और किसानों को इसका लाभ मिले. अगर इसके लिए वित्त की जरूरत होगी तो भारत सरकार की एमसीडी मदद करेगी. लेकिन किसान को उसके दूध उत्पादन का 100 प्रतिशत लाभ मिलना चाहिए, तभी ज्यादा उत्पादन होगा.
उन्होंने कहा कि 20 साल बाद यह अमूल और अन्य संगठनों से भी बड़ा बनने जा रहा है. इस सम्मेलन के दौरान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव, बीजेपी प्रदेश अध्यश्र और सांसद विष्णु दत्त शर्मा, एमपी के सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग, एमपी के पशुपालन मंत्री लखन पटेल, एमपी के मुख्य सचिव अनुराग जैन, केंद्र के सहकारिता सचिव आशिष कुमार भुटानी और राज्य भर के सहकारी और डेरी सहकारिता के लोग मौजूद रहें.