क़व्वाली, मुशायरा और सम्मेलन…सूफी मुस्लिमों के सहारे यूपी में बीजेपी का ‘टारगेट 75’ तय

क़व्वाली, मुशायरा और सम्मेलन…सूफी मुस्लिमों के सहारे यूपी में बीजेपी का ‘टारगेट 75’ तय

सूफ़ी मुसलमानों से अपील की गई है कि वे मोदी सरकार की नीतियों और योजनाओं को आम मुसलमानों तक पहुंचाएं. सूफ़ी संवाद अभियान में किसी सूफ़ी संत को बीजेपी में शामिल नहीं किया जाएगा. इस अभियान के तहत उनके ज़रिए आम मुस्लिम समाज तक पहुंचने की योजना है.

बीजेपी की तैयारी यूपी में उन वोटरों तक पहुंचने की है, जिन्हें अब तक विरोधी माना जाता रहा है. आप इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि जिनको लेकर ये छवि रही है कि वे बीजेपी को कभी वोट नहीं करते हैं. अगले लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने यूपी में मिशन 75 का लक्ष्य रखा है. मतलब ये है कि बीजेपी 80 में से 75 लोकसभा सीटें जीतने की रणनीति पर काम कर रही है. बीजेपी और उसके सहयोगी दल मिलकर 2014 के चुनाव में 74 सीटें जीतने में कामयाब रहे हैं.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी पहले ही पसमांदा मुसलमानों को अपना बनाने का अभियान शुरू कर चुकी है. अब अगला लक्ष्य सूफ़ी मुसलमानों को अपना बनाने की है. कुल मिलाकर फ़ार्मूला ये है कि संवाद और संबंध से समर्थन मिलना तय है.

बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चे ने सूफ़ी मुसलमानों को लेकर होम वर्क शुरू कर दिया है. इसी सिलसिले में पिछले ही हफ़्ते लखनऊ में पार्टी ऑफिस में सूफ़ी संवाद महाअभियान आयोजित किया गया. बीजेपी की विचारधारा से सहमत न होने पर भी सूफ़ी मुसलमानों का पार्टी ऑफिस आने को पहली कामयाबी के तौर पर देखा जा रहा है. यूपी के अलग-अलग ज़िलों के सौ दरगाहों से क़रीब दो सौ सूफ़ी मुसलमान इस बैठक में शामिल हुए हैं. मुसलमानों के साथ-साथ हिंदू भी बड़ी संख्या में दरगाहों में चादर चढ़ाने जाते हैं और सजदा करते हैं.

सूफ़ी समाज पर बीजेपी की नजर

सनातन समाज में कुछ दरगाहों का लोग इतना सम्मान करते हैं कि कोई भी शुभ काम करने से पहले वे वहां सजदा करने ज़रूर जाते हैं. सालाना उर्स में भी हज़ारों हिंदू पहुंचते हैं. रिश्तों और मान्यताओं की इसी डोर के सहारे बीजेपी की तैयारी अब मुस्लिम वोट बंटोरने की है. इस काम में दरगाहों से जुड़े सूफ़ी समाज का बड़ा अहम रोल हो सकता है. बीजेपी ऑफिस में सूफ़ी मुसलमानों की बैठक में पार्टी के मुस्लिम नेताओं ने बताया कि क्यों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश के लिए ज़रूरी हैं! उन्होंने किस तरह से सबका साथ, सबका विश्वास और सबका प्रयास के फ़ार्मूले पर देश के मुसलमानों की चिंता की है.

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सूफी मुसलमानों पर बीजेपी को भरोसा

सूफ़ी मुसलमानों से अपील की गई है कि वे मोदी सरकार की नीतियों और योजनाओं को आम मुसलमानों तक पहुंचाएं. पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीक़ी ने कहा कि जाति और धर्म से हटकर लोग सूफ़ी संतों की बात मानते हैं. अगर वे मुस्लिम समाज को प्रधानमंत्री मोदी का संदेश पहुंचाते हैं तो इसमें सबका भला है. सूफ़ी संवाद अभियान में किसी सूफ़ी संत को बीजेपी में शामिल नहीं किया जाएगा. इस अभियान के तहत उनके ज़रिए आम मुस्लिम समाज तक पहुंचने की योजना है.

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हारी सीटों पर फोकस कर रही बीजेपी

यूपी के मुस्लिम बहुल इलाक़ों में जगह-जगह सूफ़ी सम्मेलन करने का फ़ैसला किया है. कहीं क़व्वाली होगी तो कुछ जगहों पर मुशायरा आयोजित करने का भी फ़ैसला हुआ है. ये भी तय हुआ है कि छोटी-छोटी मुस्लिम बस्तियों में क़ौमी चौपाल का कार्यक्रम भी रखा जाए. बीजेपी के यूपी अल्पसंख्यक मोर्चे के अध्यक्ष बासित अली बताते हैं कि समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और बीएसपी ने मुसलमानों को सिर्फ़ वोट बैंक समझा है. बीजेपी का डर दिखा कर ये उनका वोट लेते रहे हैं. लेकिन अब ये सच धीरे-धीरे मुस्लिम बिरादरी को समझ में आने लगा है. बीजेपी का फ़ोकस उन लोकसभा सीटों पर अधिक हैं जो वह पिछली बार हार गई थी.

इनमें से अधिकतर मुस्लिम बहुल इलाक़े से आते हैं. बीजेपी के एक मुस्लिम नेता ने बताया कि बैठक में आए सूफ़ी मुसलमानों ने पीएम मोदी की तारीफ़ की लेकिन जब चुनाव के नतीजे आते हैं तो बूथ पर वोट नहीं मिलता है. उन्होंने कहा कि डबल इंजन की सरकार होने के कारण यूपी के मुसलमान हमारे सामने सब अच्छा-अच्छा ही कहते हैं. नाम न छापने की शर्त पर बीजेपी के इस मुस्लिम नेता ने कहा कि हम तो अपना प्रयास करते रहेंगे.

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