Air-India Story: अगर नहीं होता दूसरा वर्ल्ड वॉर, ना होती एअर इंडिया, ना डेवलप होता एविएशन मार्केट

Air-India Story: अगर नहीं होता दूसरा वर्ल्ड वॉर, ना होती एअर इंडिया, ना डेवलप होता एविएशन मार्केट

भारत का घरेलू हवाई यात्रा बाजार दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ता एविएशन मार्केट है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर दूसरा विश्वयुद्ध नहीं हुआ होता, तो भारत में ना तो एअर इंडिया होती और ना ही ऐविएशन मार्केट जैसा कुछ...

हम सभी ने ये कहानी तो सुन रखी है कि टाटा ग्रुप के जेआरडी टाटा खुद एक पायलट थे. भारत का पहला पायलट लाइसेंस भी उन्हें ही मिला था. उन्होंने ही देश को पहली एयरलाइंस एअर इंडिया भी दी थीं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एअर इंडिया के जन्म से लेकर भारत में एविएशन मार्केट के डेवलप होने का कनेक्शन दूसरे विश्वयुद्ध से है.

अगर उस दौर में दूसरा विश्वयुद्ध नहीं लड़ा गया होता, तो आज ना एअर इंडिया होती, ना ही भारत में एविएशन मार्केट होता और हम आधुनिता के इस दौर में कहीं पीछे छूट जाते. चलिए जानते हैं इस कहानी को…

दूसरा विश्व युद्ध और भारत का एविएशन सेक्टर

आजादी से पहले भारत में सिविल एविएशन कोई खास महत्व नहीं रखता था. लेकिन ब्रिटिश राज में ये एक बड़ा आर्मी हब था. इसलिए इंडियन एयरफोर्स 1933 तक अपना प्रभाव बनाने लगी थी. फिर वक्त आया दूसरे विश्वयुद्ध का, इसने भारत में मिलिट्री एयरफोर्स को तेजी से विस्तार दिया. देश में कई हवाई पट्टी और छोटे-छोटे ऐरोड्रम्स बने. इनकी संख्या उस दौर में 100 तक पहुंच गई थी. इंडियन एयरफोर्स के इस विस्तार ने भारत के एविएशन सेक्टर की नींव डालने का काम किया.

हुआ ये कि जब दूसरा विश्वयुद्ध खत्म हुआ, तब बड़ी संख्या में बने ये ऐरोड्रम्स, सस्ते एयरक्राफ्ट और प्रशिक्षित क्रू मेंबर्स की अच्छी खासी संख्या भारत में रह गई. इसने भारत के लिए सिविल एविएशन के विस्तार का काम किया. उसी समय प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की सरकार ने एविएशन सेक्टर का राष्ट्रीयकरण कर दिया जिसने एअर इंडिया को सरकारी कंपनी बनाया, और इंडियन नेशनल एयरवेज को भी खड़ा किया.

नेहरू लेकर आए एयर कॉरपोरेशन एक्ट

आंध्र प्रदेश की क्रिया यूनिवर्सिटी में इतिहास के प्रोफेसर आशिक अहमद इकबाल अपनी किताब ‘द एरोप्लेन एंड मेकिंग ऑफ मॉडर्न इंडिया’ में प्रधानमंत्री नेहरू के एयर कॉरपोरेशन एक्ट की भी चर्चा करते हैं. साल 1953 में आए इस कानून की वजह से एअर इंडिया टाटा ग्रुप के हाथ से निकलकर सरकार के हाथ में आ गई. हालांकि इसकी कमान लंबे समय तक जेआरडी टाटा के पास रही, और अभी हाल में एक बार फिर ये टाटा ग्रुप के पास पहुंच चुकी है.

नेहरू के इस कानून की बदौलत देश में राष्ट्रीय एयर ट्रांसपोर्ट का विकास हो सका. एअर इंडिया अंतरराष्ट्रीय रूट्स पर चलने लगी, तो घरेलू रूट्स के लिए इंडियन एयरलाइंस बनी. वहीं भारत की अलग-अलग रियासतों और बड़े उद्योग घरानों ने भी अपनी एयरलाइंस बनाई. जैसे बिड़ला ग्रुप ने ‘भारत एयरवेज’ बनाई. बीजू पटनायक ने ‘कलिंगा एयरलाइंस’ को स्थापित किया.

Kalinga Airlines Pti

हाल में रीस्टोर किया गया Kalinga Airlines का विमान (Photo: PTI)

दरअसल रियासतों, राजे-रजवाड़ों ने ब्रिटिश राज के दौर में ही जिस तरह से अपनी प्राइवेट रेलवे लाइंस का विकास किया. उसी तरह एयरवेज का डेवलपमेंट भी किया. हैदराबाद, मैसुरु, जोधपुर, भोपाल और कश्मीर जैसे राज्यों ने अपने ऐरोड्रम्स बनाए. दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान ये ब्रिटिश सरकार के काम आए.

उस समय ये निवेश भले अंग्रेजों की गुड बुक में आने के लिए किया गया था. लेकिन अंत में जब देश को आजादी मिली तो ये सिविल एविएशन के काम आए. आज भी जोधपुर और बेंगलुरू के एयरपोर्ट की नींव इसी विरासत के ऐरोड्रम से जुड़ी है.