पाकिस्तानी चौकी के सबसे करीब है भारत का ये गांव, खौफ के साए में रात काट रहे लोग… कैसे हैं हालात?

पाकिस्तानी चौकी के सबसे करीब है भारत का ये गांव, खौफ के साए में रात काट रहे लोग… कैसे हैं हालात?

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ा है, जिससे सीमावर्ती गांवों में दहशत है. यहां के लोग डर के साए में हैं. जंग की आहट से उनकी नींद उड़ी हुई है. युद्ध के दौरान गांव के लोग जान बचाने के लिए बंकरों का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन यह बनकर जर्जर हालात में हैं. सीमावर्ती गांव वालों ने इनकी मरम्मत की मांग की है.

पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत-पकिस्तान के बीच युद्ध के आसार बने हुए हैं. जंग की आहट से बॉर्डर के कई गांवों में दहशत का माहौल है. गांववाले डरे और सहमे हुए हैं. कब गोलियों की बौछार और बमों की मार ही जाए इसके डर से लोगों की नींद उड़ी हुई है. जान बचाने के लिए सीमा के नजदीक इन गांवों के लोग पुराने बंकरों की मरम्मत में जुट गए हैं. इनकी हालत बेहद जर्जर है, जिसको लेकर गांववाले चिंतित हैं.

जब कभी भारत-पाक के बीच तनाव और जंग के हालत बने, तब सीमा पर बसे गांव के लोगों को सबसे ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता है. सीमापार से आती गोलियां और बमों की बारिश से गांव के लोग अपनी जान बचाने के लिए बंकरों का इस्तेमाल करते हैं. ये बंकर उनके जीवन की रक्षा करते हैं. अब इन्हीं बंकरों को लेकर गांववाले खासे परेशान हैं. इस बीच जम्मू बॉर्डर पर बसे गांव वालों ने जर्जर हो चुके बंकरों की मरम्मत किए जाने की मांग की है.

पहलगाम हमले के बाद तनाव

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत-पाक सीमा पर बसे गांवों में जंग के दौरान लोगों की जान बचाने वाले बंकरों की हालत खस्ता बनी हुई है. अधिकतर ऐसे हालत जम्मू के सीमा के बसे गांवों की है. पहलगाम हमले के बाद दोनों देशों के बीच हालात बेहद तनाव वाले बने हुए हैं. कब जंग की शुरुआत हो जाए, पता नहीं. इस बीच सीमावर्ती गांवों में लोगों को जान बचाने की चिंता सताए हुए है. इसके लिए उनकी रातों की नींद और दिन का चैन उड़ा हुआ है.

बंकरों की स्थिति जर्जर

सीमा पर लगे कई गांव ऐसे हैं, जो पाकिस्तानी चौकियों से सिर्फ 500 मीटर की दूरी पर हैं. कई गांव बीते वर्षो में पाकिस्तान की ओर से हुई गोलाबारी का सामना कर चुके हैं. इन गांवों में लोगों को जान बचाने के लिए बंकरों की सुविधा है, लेकिन कई गांव ऐसे हैं, जहां बंकरों की सुविधा बेहद कम है, या जो बंकर बने हुए हैं वो जर्जर हालत में हैं. गांव के लोगों का यहां तक कहना है कि बंकरों की स्थिति काफी दयनीय है.

न बिजली और न पानी

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गांव के लोगों का कहना है कि जब भी कभी जंग के हालत होते हैं, वो वह अपनी जान बचाने के लिए बंकरों में चले जाते हैं. इस बार भी हालत बेहद ज्यादा खराब हैं, उन्हें बचने के लिए बंकरों का सहारा लेना पड़ सकता है. उनका कहना है कि ज्यादातर बनकर खंडहर जैसे हालत में हैं. यहां न बिजली है और न पानी. कई बंकर ऐसे हैं, जिनमे न तो टॉयलेट है और न ही छत. दो साल पहले कई बंकरों को अधूरा छोड़ दिया गया था.

7,923 बंकर बनकर तैयार

गांव के लोगों का कहना है कि इन बंकरों के कारण कई बार उनकी जान बची है. लेकिन, इस बार बंकरों की हालत ऐसे ही कि वह इसमें सुरक्षित नहीं हो पाएंगे. गांव के लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इन्हें ठीक किए जाने की अपील की है. लोगों का कहना है कि उन्हें सीमा पार से आती गोलियों की आवाज डराती हैं, इससे वह ठीक से सो भी नहीं पा रहे हैं. वहीं, अधिकारियों की मानें तो जम्मू संभाग में 7,923 बंकर बनकर तैयार हैं और 9,905 और बंकरों पर काम अभी भी जारी है.