ट्रेजेडी से शुरू, ट्रेजेडी से खत्म, मधुबाला के ऐसे अंजाम पे किसे न रोना आए!

ट्रेजेडी से शुरू, ट्रेजेडी से खत्म, मधुबाला के ऐसे अंजाम पे किसे न रोना आए!

एक हादसे में मधुबाला का घर बर्बाद हो गया, पिता का बिजनेस डूब गया. तब वह सिर्फ नौ साल की थी. ग्यारह भाई बहनों में मधुबाला पांचवें नंबर थी. ऐसे में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट मधुबाला ने एक्टिंग शुरू की और तब घर की माली हालत ठीक हुई.

एक समय हिंदी फिल्मों की ‘वीनस’ कही जाने वाली मधुबाला को हम जब-जब पर्दे पर देखते हैं मानो हम सौंदर्य की जन्नत से रूबरू होते हैं लेकिन क्या हम ये जानते हैं कि उस अनूठे सौंदर्य के पीछे कितना दर्द छुपा है. मधुबाला ने तकरीबन 70 फिल्मों में काम किया. इनमें महल, मुगले आज़म, हावड़ा ब्रिज, मिस्टर एंड मिसेज़ 55 जैसी फिल्में उनके करियर की अहम फिल्में हैं.

आज मधुबाला की जिंदगी की कुछ ऐसी बातें जो उनके चाहने वालों को हैरत में डाल दें. अपने घर में सबसे कमासुत होकर भी वह न तो खुद की मर्जी से जी सकती थी. और ना ही अपनी पसंद से ब्याह रचा सकती थी. कभी हॉलीवुड के मशहूर फिल्मकार फ्रेंक कोपरा ने मधुबाला कामं को ऑफर दिया परंतु पिता ने दूर भेजने से मना कर दिया.

शादी होती तो घर कैसे चलता

मधुबाला अपने समय के सबसे बड़े स्टार दिलीप कुमार से प्रेम करती थी लेकिन उनसे शादी कर पाना उसके वश में नहीं था. पिता ने महज इस बात पर शादी करने की इजाजत नहीं दी कि अगर वह ब्याह करके चली जाएगी तो उसके घर का गुजारा कैसे होगा? क्योंकि उस घर में एकमात्र मधुबाला ही थी जिसके फिल्मों में काम करने से पैसे आते थे और घर चलता था.

नौ साल की उम्र से ही किया काम

मधुबाला के पिता अताउल्लाह खान छोटा-मोटा बिजनेस करते थे. लेकिन एक हादसे में घर भस्म हो गया और बिजनेस डूब गया. घर में कुल तेरह सदस्य थे. और सबसे सब दाने-दाने के मोहताज हो चुके थे. मधुबाला ग्यारह भाई-बहनों में पांचवें नंबर पर थी. दिखने में बहुत दिलकश थी. पिता को कोई काम नहीं मिल पा रहा था. आर्थिक तंगी बढ़ी तो किसी हमदर्द ने उन्हें किसी फिल्म वालों के पास जाने को कहा.

पिता अताउल्लाह खान ने दिल पर पत्थर रखा. पहली फिल्म मिली ‘बसंत‘ (1942). जिसमें बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट का रोल किया. उस वक्त उसका नाम था-मुमताज जहां बेगम देहल्वी. लेकिन बॉम्बे टाकीज की देविका रानी के संपर्क में आई तो उसे मधुबाला नाम दे दिया गया. तब उसकी उम्र थी-महज ग्यारह साल. और हीरो थे-दिलीप कुमार. फिल्म थी-ज्वार भाटा.

दिलीप कुमार से प्यार पिता को मंजूर नहीं था

धीरे-धीरे मधुबाला बड़ी होती गई, दिलीप कुमार से उनकी नजदीकियां बढ़ती गईं. रोमांस परवान चढ़ा. लेकिन पिता को अपनी बेटी का प्रेम जैसे मंजूर न था. पिता ने मधुबाला को दिलीप कुमार से हर संभव दूर रखने की कोशिश की और इसमें सफलता भी पाई. लेकिन पिता की सफलता बेटी की जिंदगी की सबसे बड़ी विफलता थी.

पिता अताउल्लाह खान ने मुगले आजम में दिलीप कुमार के साथ काम करना तो स्वीकार कर लिया लेकिन इस बात पर चौकन्ने रहते थे कि दिलीप उनकी भोली-भाली बेटी को कहीं बहका न ले. और यही वजह थी कि बी.आर.चोपड़ा की ‘नया दौर‘ में यह जोड़ी बनते बनते रह गई और हमेशा हमेशा के लिए दोनों की राहें जुदा हो गईं.

‘नया दौर’ का वो वाकया

दरअसल नया दौर की शूटिंग ग्वालियर में होने वाली थी. लेकिन पिता ने ग्वालियर जाने से मना कर दिया. उन्हें आशंका थी कि दिलीप कुमार कहीं उनकी बेटी के करीब न आ जाए. उन्होंने सुुझाव दिया कि फिल्म की शूटिंग मुंबई के आस-पास ही हो. बीआर चोपड़ा इसके लिए तैयार नहीं थे. नतीजा ये हुआ कि मधुबाला को फिल्म से निकाल दिया और उसकी जगह बैजयंती माला आ गयी.

मधुबाला और पिता अताउल्लाह खान ने अदालत का रुख किया. लेकिन कोर्ट का फैसला बी.आर. चोपड़ा के हक़ में गया. कहते हैं फैसला हक में नहीं होने के बावजूद मधुबाला के पिता इस पर सुकून जता रहे थे कि वह दिलीप कुमार के साथ ग्वालियर नहीं जा सकेगी. लेकिन मधुबाला भीतर ही भीतर घुट रही थी.

बाद में जब मधुबाला को दिलीप-बैजयंती माला के रोमांस की गॉसिप मिली तो वह और भी उदास रहने लगी. मद्रास में एक फिल्म की शूटिंग के समय उसे खून की उल्टी हुई, डॉक्टर ने उसे आराम करने की सलाह दी. लेकिन वह काम करती रही. वह अंदर ही अंदर बहुत परेशान रहने लगी.

किशोर से शादी के मायने

फिर उसने दिलीप कुमार की यादों से निजात पाना चाहा और किशोर कुमार से शादी कर ली. किशोर कुमार के साथ उसकी चलती का नाम गाड़ी, झुमरू, हाफ टिकट जैसी फिल्में हिट हो चुकी थीं. इसके बावजूद वह किशोर कुमार के साथ कितनी खुश थी, कहा नहीं जा सकता. क्योंकि उसने किशोऱ कुमार से मोहब्बत नहीं केवल शादी की थी.

वास्तव में वह इस शादी के जरिए दिलीप कुमार को एक तरह से मैसेज देना चाहती थी कि वो अपने फ़ैसले खुद कर सकती है. पिता अताउल्लाह इस शादी से खुश नहीं थे लेकिन इसे स्वीकार करने के सिवा कोई चारा नहीं था. उन्हें इस बात का डर था कि बेटी कहीं डिप्रेशन में न चली जाए. वो मधुबाला की बीमारी से बेखबर नहीं थे.

दिल में निकला सुराख

बीमारी बढ़ती देख किशोर कुमार मधुबाला को चेक-अप के लिए लंदन ले गये. वहां दिल दहलाने वाली ख़बर मिली. डॉक्टरों ने बताया कि मधुबाला के दिल में एक बड़ा सुराख़ है और जिंदगी के महज दो-तीन साल ही बचे हैं. ये वो टाइम था जब किशोर कुमार का करियर परवान चढ़ रहा था. वो मधुबाला के साथ हर दम साथ रहकर देखभाल कर पाने में खुद को असमर्थ पा रहे थे.

दिलीप-सायरा की शादी को सह न सकी

लिहाजा मधुबाला मायके आ गयी. हालांकि किशोर कुमार इलाज का खर्च उठाते रहे. इसी बीच मधुबाला को जिस खबर ने और सदमे में डाल दिया वो थी-दिलीप कुमार और सायरा बानो की शादी. 44 साल के दिलीप कुमार ने अपने से 22 साल छोटी सायरा बानो से ब्याह रचा लिया. मधुबाला सुनकर उदास हो गयी.

मधुबाला बीमारी और उदासी के आगोश में घिरती गई. आखिरकार 23 फरवरी, 1969 को जिंदगी को अलविदा कह दिया.