‘महाकुंभ में कई जगह पानी नहाने लायक नहीं’… UPPCB की जांच से NGT नाराज, कहा- सही नहीं आपकी रिपोर्ट
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महाकुंभ के दौरान गंगा और यमुना का पानी बेहद प्रदूषित रहा. इस संबंध में सीपीसीबी ने एनजीटी में रिपोर्ट दाखिल किया. यूपीपीसीबी ने इस रिपोर्ट को मानने से ही मना करते हुए अपनी रिपोर्ट दाखिल की है. हालांकि एनजीटी ने यूपीपीसी की रिपोर्ट को ही भ्रामक बता दिया है.
महाकुम्भ क्षेत्र में यमुना और गंगा के पानी में प्रदूषण पर घमासान मचा है. बुधवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने भी कड़ा रुख दिखाया. एनजीटी ने यूपीपीसीबी द्वारा पेश की गई रिपोर्ट पर असंतोष जताया. कहा कि यह पूरी रिपोर्ट ही भ्रामक है. एनजीटी ने यह नाराजगी यूपीपीसीबी की रिपोर्ट में कई बिंदुओं की जानकारी नहीं होने पर जताई है. हालांकि यूपीपीसीबी ने पूर्ण रिपोर्ट दाखिल करने के लिए एनजीटी से एक सप्ताह का समय मांगा है. अब मामले की अगली सुनवाई 28 फरवरी को होगी.
इसके लिए एनजीटी ने सीपीसीपी को भी पूरी तैयारी के साथ आने को कहा है. बता दें कि महाकुंभ के दौरान एनजीटी के आदेश पर केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड ने गंगा और यमुना के पानी का कई जगह से सैंपल लिया था. इस सैंपल की जांच रिपोर्ट पिछली तारीख पर एनजीटी के पटल पर रखी गई थी. इस रिपोर्ट में सीपीसीबी ने माना है कि ‘गंगा और यमुना नदी के पानी की गुणवत्ता विभिन्न अवसरों और सभी निगरानी स्थानों पर अपशिष्ट जल फेकल कोलीफॉर्म के संबंध में स्नान के लिए प्राथमिक जल गुणवत्ता के अनुरूप नहीं थी.
यूपीपीसीबी ने दी पुरानी रिपोर्ट
महाकुंभ के दौरान बड़ी संख्या में लोगों ने इन नदियों में स्नान किया. इसकी वजह से अपशिष्ट जल की सांद्रता में वृद्धि होती गई. इस रिपोर्ट में सीबीसीपी ने बताया है कि 9 से 21 जनवरी के बीच कुल 73 अलग-अलग जगहों से सैंपल लिए गए थे. इन 73 स्थानों में से किसी भी स्थान पर पानी पीने लायक तो दूर नहाने योग्य भी नहीं पाया गया है. इस रिपोर्ट के बाद बुधवार को हुई सुनवाई में उत्तर प्रदेश प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट दाखिल की.
एनजीटी ने रिपोर्ट पर जताया असंतोष
इस रिपोर्ट में यूपीपीसीबी ने सीपीसीबी के रिपोर्ट को ही मानने से इंकार कर दिया. याचिकाकर्ता सौरभ तिवारी के मुताबिक एनजीटी की प्रधान पीठ के सामने यूपीपीसीबी के इस रूख की वजह से अजीब स्थिति बन गई. एनजीटी पीठ ने भी यूपीपीसीबी की रिपोर्ट को ध्यान से देखा, लेकिन तमाम खामियों को रेखांकित करते हुए कहा कि ‘आपकी रिपोर्ट ही भ्रामक है’. इसके बाद यूपीपीसीबी ने इन खामियों को दूर कर पूर्ण रिपोर्ट दाखिल करने के लिए एनजीटी से एक सप्ताह का समय मांगा है. कहा कि हमने भी डिफरेंट एजेंसी से जांच कराई है और अगली तारीख पर उसे भी फाइल कर दिया जाएगा.
मायने रखता है सैंपल का लोकेशन
मामले की सुनवाई करते हुए एनजीटी ने यूपीपीसीबी से कहा कि आपकी रिपोर्ट जनवरी महीने की है, जबकि सीपीसीबी ने ताजा रिपोर्ट पेश किया है. इसी प्रकार आपने कहां से सैंपल लिया, रिपोर्ट में यह भी काफी मायने रखता है. इस मामले में पर्यावरणविद और गंगा पर लम्बे समय तक काम करने वाले प्रोफेसर बीडी त्रिपाठी ने भी कहा कि सैम्पल कहां से लिया जा रहा है ये मैटर करता है. साथ ही अगर पानी की गुणवत्ता इतनी ख़राब है और नहाने लायक नहीं है तो नहाने के बाद श्रद्धालुओं की तबियत ख़राब होने की भी तो कोई ख़बर क्यों नहीं आई.