राज-उद्धव ठाकरे के बीच सुलह के सवाल पर भड़के शिंदे, कहा-काम की बात करें

अपने चचेरे भाई का नाम लिए बिना उद्धव ठाकरे ने कहा था कि 'चोरों' की मदद करने से कुछ हासिल नहीं होने वाला. उनका स्पष्ट इशारा बीजेपी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना की ओर था. साल 2022 में उद्धव ठाकरे को उस समय बड़ा झटका तब लगा था जब एकनाथ शिंदे ने शिवसेना को तोड़कर तत्काली महा विकास आघाडी सरकार गिरा दी थी.
उद्धव और राज ठाकरे के बीच सुलह की अटकलों पर प्रतिक्रिया मांगे जाने पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे नाराज हो गए. उन्होंने एक रिपोर्टर से कहा कि उन्हें इसके बजाय सरकार के काम के बारे में बात करनी चाहिए. शनिवार को जब एकनाथ शिंदे सतारा जिले में अपने पैतृक गांव दरे में थे, तो एक टीवी रिपोर्टर ने उनसे शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे के बीच सुलह की अटकलों पर प्रतिक्रिया देने का अनुरोध किया.
इस पर उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे चिढ़ गए और उन्होंने रिपोर्टर की बात अनुसनी कर दी और कहा कि काम के बारे में बात करें. इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने कहा कि यह तो जाहिर सी बात है कि एकनाथ शिंदे नाराज होंगे. उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर भी निशाना साधा.
सीएम फडणवीस गुस्सा नहीं दिखाएंगे
संजय राउत ने पत्रकारों से कहा कि सीएम देवेंद्र फडणवीस अपना गुस्सा नहीं दिखाएंगे, लेकिन इसे लेकर उनके पेट में मरोड़ देते रहेगा. हम जानते हैं कि बीजेपी की खुशी कितनी झूठी है. वे यह (गठबंधन) नहीं चाहते हैं. शनिवार को पत्रकारों से बात करते हुए सीएम फडणवीस ने कहा था कि अगर वे साथ आते हैं, तो हमें खुशी होगी. अलग-थलग पड़े लोगों को साथ आना चाहिए, और अगर उनके विवाद खत्म हो जाते हैं, तो यह अच्छी बात है. मुझे लगता है कि मीडिया बहुत ज्यादा अटकलें लगा रहा है, इसलिए कुछ समय तक इंतजार करना बेहतर है.
बीएमसी चुनावों पर पड़ेगा असर
यह पूछे जाने पर कि क्या इसका बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनावों पर असर पड़ेगा, तो उन्होंने कहा था कि बीजेपी के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) आसानी से चुनाव जीत जाएगा. राज ठाकरे ने फिल्म निर्माता महेश मांजरेकर को दिए इंटरव्यू में कहा कि उन्हें अविभाजित शिवसेना में उद्धव के साथ काम करने में कोई समस्या नहीं थी. इस बयान के बाद सुलह की अटकलें शुरू हो गईं.
राज ठाकरे ने कहा कि सवाल यह है कि क्या उद्धव उनके साथ काम करना चाहते हैं. उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच संभावित सुलह की अटकलों को हवा देते उनके बयानों से संकेत मिलता है कि वे मामूली मुद्दों को नजरअंदाज कर सकते हैं और लगभग दो दशक के कटु मतभेद के बाद हाथ मिला सकते हैं.
छोटी-मोटी लड़ाइयां भूलने को तैयार
जहां एक ओर, मनसे प्रमुख ने कहा है कि ‘मराठी मानुष’ के हित में एकजुट होना कठिन नहीं है, तो वहीं दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि वह छोटी-मोटी लड़ाइयां भूलने के लिए तैयार हैं, बशर्ते कि महाराष्ट्र के हितों के खिलाफ काम करने वालों को तरजीह न दी जाए. उद्धव ठाकरे का इशारा संभवत: हाल ही में राज ठाकरे द्वारा अपने आवास पर उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की मेजबानी करने की ओर था.
अपने चचेरे भाई का नाम लिए बिना उद्धव ठाकरे ने कहा था कि ‘चोरों’ की मदद करने से कुछ हासिल नहीं होने वाला. उनका स्पष्ट इशारा बीजेपी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना की ओर था. साल 2022 में उद्धव ठाकरे को उस समय बड़ा झटका तब लगा था जब एकनाथ शिंदे ने शिवसेना को तोड़कर तत्काली महा विकास आघाडी सरकार गिरा दी थी. इसके बाद शिंदे ने बीजेपी के समर्थन से सरकार बनाई थी.
उद्धव ठाकरे को ठहराया था जिम्मेदार
पिछले वर्ष 288 सदस्यीय राज्य विधानसभा के लिए हुआ चुनाव शिवसेना (यूबीटी) ने विपक्षी गठबंधन महा विकास आघाडी के तहत लड़ा था. पार्टी ने 95 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन 20 सीट पर ही उसे जीत मिली थी. शिवसेना के संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे के भतीजे राज ठाकरे ने जनवरी 2006 में पार्टी छोड़ दी थी और अपने फैसले के लिए उद्धव ठाकरे को जिम्मेदार ठहराया था.
इसके बाद उन्होंने मनसे की स्थापना की जिसने शुरू में उत्तर भारतीयों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया. लेकिन 2009 के विधानसभा चुनाव में 13 सीटें जीतने के बाद मनसे का जनाधार घटता चला गया और 2024 के विधानसभा चुनाव में उसका खाता तक नहीं खुला.