Mahavir jayanti 2023: भगवान महावीर की 5 बड़ी बातें, आज भी दे जाती हैं बड़ी सीख
जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर ने सन्यासियों के लिए जो पांच बड़े सिद्धांत बताए थे, वो आज के दौर में भी कितने प्रासंगिक हैं और उनसे हमें क्या बड़ी सीख मिलती है, जानने के लिए पढ़ें सफलता के मंत्र.
आज भगवान महावीर की जयंती है. जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर माने जाने वाले भगवान महावीर ने मोह-माया को त्याग कर सन्यास धारण करने वाले साधुओं के लिए पांच महाव्रत और सांसरिक जीवन में जीने वालों के लिए 12 अणुव्रत का पालन करने को कहा था. जैन धर्माचार्य आचार्य लोकेश मुनि के अनुसार जिस व्यक्ति ने महावीर भगवान द्वारा बताए गए पांच सिद्धांंतों के सही अर्थ को समझ लिया उसका जीवन सफल है.
निश्चित रूप से संतोंं-महापुरुषों द्वारा कही गई अनमोल बातें जीवन को सही दिशा दिखाने का काम करती हैं, लेकिन सवाल उठता है कि सालों साल पहले कही गई भगवान महावीर की सत्य, अहिंसा, ब्रह्मचर्य आदि की ये बातें क्या आज के दौर में फिट बैठती हैं? यदि कोई व्यक्ति आप पर आपकी अस्मिता पर हमला करे तो तब अहिंसा का नियम क्या आड़े नहीं आता है? आखिर भगवान महावीर स्वामी द्वारा कही गई बातों के असल मायने क्या हैं? आइए इन सवालों के जवाब को आचार्य लोकेश मुनि के माध्यम से ही जानने-समझने की कोशिश करते हैं.
1. अहिंसा
महावीर स्वामी का अहिंसा का सिद्धांत किसी को कायर नहीं बनाता है. उनका साफ संदेश था कि अभय के बगैर कोई अहिंसक हो ही नहीं सकता है. इसे उन्होंने दो भागों में बांटा है. आवश्यक हिंसा और अनावश्यक हिंसा. अहिंसक होने का ये अर्थ नहीं है कि यदि आपकी अस्मिता पर कोई हमला करे तो आप हाथ हाथ बांधे खड़े रहें. जैन धर्म के इतिहास में जैन श्रावक सेनापति भी हुए हैं, जिन्होंने अपने राज्य की रक्षा के लिए युद्ध लड़ा.
आरंभ जा हिंसा, विरोध जा हिंसा और संकल्प जा हिंसा. आरंभ जा हिंसा के तहत एक प्राणी धारी को अपने को बनाए रखने के लिए वनस्पति, अग्नि आदि जिसे जैन धर्म में जीव माना गया है, उसका सहारा लेना पड़ता है. इसी प्रकार विरोध जा हिंसा के तहत यदि कोई आप पर हमला करता है तो आप अपने प्राण, परिवार, देश और समाज की रक्षा के लिए संघर्ष करेंगे. संकल्प जा हिंसा के तहत उन्होंने लोगों को अनावश्यक हिंसा से बचने के लिए कहा है. इस तरह अनावश्यक रूप से वह एक चींटी को भी नुकसान नहीं पहुंचाए लेकिन राष्ट्र, समाज की रक्षा के लिए उसे हथियार लेकर लड़ना होगा.
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2. सत्य
महावीर स्वामी ने कहा है कि एक साधु न सत्य बोलेगा और न ही किसी से बुलवाएगा और न ही असत्य का समर्थन करेगा. हालांकि इसमें भी कहा गया है कि कोई ऐसा सत्य नहीं बोलेंगे जिससे किसी को पीड़ा पहुंचे.
3. अस्तेय
भगवान महावीर ने एक सन्यासी के लिए तीसरा नियम किसी भी प्रकार की चोरी न करना बनाया था और न ही किसी के द्वारा चोरी की गई चीज को स्वीकार करना. एक स्वस्थ समाज के लिए यह नियम न सिर्फ साधु बल्कि एक सामान्य आदमी के लिए भी तब भी था और आज भी है.
4. ब्रह्मचर्य
भगवान महावीर स्वामी ब्रह्मचर्य यानि ब्रह्म की चर्या में लीन रहने को सबसे उत्तम तप मानते थे. यानि किसी भी प्रकार चीज से लगाव न होना या फिर कहें अनासक्त. कहने का तात्पर्य कि एक इंसान को कीचड़ में कमल की तरह जीवन जीना चाहिए. जैन धर्म के अनुसार समाज में रह रहे एक व्यक्ति को अपनी पत्नी के अलावा सभी दूसरी महिलाओं को अपनी माता-बहन के समान समझना चाहिए.
5. अपरिग्रह
महावीर स्वामी ने सामाजिक क्रांति का बहुत बड़ा सूत्रपात किया था. वर्तमान में दो तरह की दुनिया देखने को मिलती है. जिसमें एक वर्ग बहुत धनी तो दूसरा वर्ग बहुत गरीब है. इसी स्थिति से बचने के लिए भगवान महावीर ने अपरिग्रह का सिद्धांत बताया था, यानि आपका भाई भूखा सोता है और भर पेट खाते हैं तो आप मोक्ष के अधिकारी नहीं है.