मां-बाप की लाश के सामने बैठकर रो रहा था यह 2 साल का इजराइली बच्चा, ऐसे बची थी मुंबई हमले में जान

मां-बाप की लाश के सामने बैठकर रो रहा था यह 2 साल का इजराइली बच्चा, ऐसे बची थी मुंबई हमले में जान

पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने आज से 15 साल पहले मुंबई में हमला कर दिया था. हमले में 166 लोगों ने जान गंवा दी थी. इस हमले में दो साल के मोशे होल्त्जबर्ग ने अपनी आंखो के सामने अपने मां बाप को खो दिया था. मोशे अब 17 साल के हो गए हैं.

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई आज से ठीक 15 साल पहले यानी 26 नवंबर 2008 को ठीक रात 8 बजे अचानक गोलियों की आवाज से दहल उठी थी. मुंबई में हुई इस घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था. 26 नवंबर 2008 को मुंबई पर 10 आतंकियों ने हमला कर दिया था, जिसे याद कर आज भी लोग सहम जाते हैं. हमला देश के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने किया था. हमले में 166 लोगों की मौत हुई थी और 300 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे.

26 नवंबर की रात को मुंबई में एक या दो जगह नहीं पांच जगह हमले हुए थे. आतंकियों ने मुंबई की मशहूर जगहों को निशाना बनाया था. हमले होने वाली जगहों में दो फाइव स्टार होटल, एक अस्पताल, रेलवे स्टेशन और एक यहूदी केंद्र था. यहूदी केंद्र पर हुए हमले में छह लोगों की जान चली गई थी. इन्हीं में बेबी मोशे के माता-पिता थे . बेबी मोशे हमले में बचने वाला सबसे छोटा बच्चा था.

अब 17 साल का हो गया है बेबी मोशे

मुंबई में हुए भीषण हमले में बचने वाला सबसे कम उम्र का बच्चा मोशे होल्त्जबर्ग है. 2008 के मुंबई हमले में अपने माता-पिता को खोने के समय बेबी मोशे सिर्फ दो साल का था. मोशे को उनकी भारतीय आया सैंड्रा सैमुअल ने बचाया था. बेबी मोशे अब 17 साल का हो गया है. मोशे इजराइली शहर औफला के एक स्कूल में पढ़ रहा है. वह अपने दादा-दादी और नाना-नानी के साथ रहता है. मोशे के चाचा मोशे होल्त्जबर्ग अमेरिका में रहते हैं.

ऐसे बची थी मुंबई हमले में जान

बेबी मोशे की भारतीय आया सैंड्रा सैमुअल ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था 26 नवंबर की रात को अचानक से गोलियों की आवाजें सुनाई देने लगीं , जिसके डर से वह कमरे में छुप गई थीं. उस रात मुंबई के नरीमन हाउस में भी हमला हुआ था जहां मोशे के पिता गैवरिएल होल्त्जबर्गऔर मां रिवका यहूदी मौजूद थे.

सैमुअल ने बताया कि बेबी मोशे की आवाज सुनकर जब वह वहां पहुंची तो मोशे के माता पिता की गोली लगने से मौत हो चुकी थी और मोशे वहां बैठा हुआ रो रहा था. उन्होंने बताया की वह मोशे को अपनी जान जोखिम में डालकर मोशे को गोद में उठाकर इमारत से भाग निकलीं. बाद में मोशे अपने दादा-दादी के साथ इजराइल चला गया. मोशे के साथ सैंड्रा भी इजराइल चली गईं और उन्हें वहां की नागरिकता दे दी गई. इजराइल सरकार ने सैंड्रा को मोशे की जान बचाने के लिए ‘राइटियस जेनटाइल’ के अवार्ड से नवाजा था. यह अवॉर्ड गैर यहूदियों को दिया जाने वाला सबसे सर्वोच्च पुरस्कार है.