मर गई इंसानियत! फ्रांस की मैगजीन ने बनाया 17000 मौतों का मजाक, हो रही थू-थू

मर गई इंसानियत! फ्रांस की मैगजीन ने बनाया 17000 मौतों का मजाक, हो रही थू-थू

फ्रांसीसी मैगजीन शार्ली हेब्दो ने एक बार फिर इंसानियत को तार तार किया है. तुर्की में सोमवार को आए भूकंप से अब तक करीब 17000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है लेकिन हेब्दो ने इन मौतों को लेकर जहर उगला है...

तुर्की और सीरिया में आए भीषण भूकंप से मरने वालों की संख्या हर घंटे बढ़ती जा रही है. ताजा आंकड़ों के मुताबिक, जान गंवाने वालों की संख्या करीब 17 हजार के पार पहुंच चुकी है. शहर के शहर खंडहर बन चुके हैं. अपनों को खोने वालों की चीख-पुकार दुनिया के कोने-कोने तक जा रही है. भारत समेत तमाम देश मदद के लिए हाथ बढ़ा रहे हैं. इस बीच कुछ लोग अभी भी ऐसे हैं, जिनके मन में नफरत इस कदर घुस गई है कि वे इंसानियत तक भूल बैठे हैं.

मुस्लिमों के प्रति खास नजरिया रखने वाली फ्रांसीसी मैगजीन शार्ली हेब्दो ने कार्टून शेयर कर लाखों लोगों के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया है. मैगजीन ने जो जहर उगला है, उस पर दुनियाभर में थू-थू हो रही है. मैगजीन ने ऐसे वक्त में ऐसी हरकत की है, जब खुद फ्रांस भी मदद के लिए आगे आ चुका है. शार्ली हेब्दो ने ट्वीट किया, जिसमें लिखा था, ‘तुर्की में भूकंप, टैंक भेजने की जरूरत ही नहीं.’ सोशल मीडिया पर लोग इसकी कड़ी आलोचना कर रहे हैं.

सात साल पहले की भयावह घटना

शार्ली हेब्दो ने पहली बार मुस्लिम समुदाय पर कोई तंज नहीं कसा है. साल 2015 में पैगबंर का विवादित कार्टून छापने के बाद आतंकियों ने पेरिस स्थित दफ्तर में घुसकर 12 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था. फ्रांसीसी मैगजीन ने पैगंबर के कार्टून छापने को अभिव्यक्ति से जोड़ा, जबकि दुनियाभर में इसका कड़ा विरोध हुआ. इसके बाद भी वह इस तरह की हरकत करता रहा.

लाखों लोग बेघर

भूकंप से जान-माल को हुए नुकसान के बीच लाखों लोग बेघर भी हो गए हैं. अंताक्या में सेरप अर्सलान नाम की एक महिला उस इमारत के मलबे को नम आखों से देखती मिली जिसके नीचे उसकी मां और भाई दबे हुए हैं. सेरप ने कहा कि यहां भारी मलबे को हटाने के लिए तंत्र ने बुधवार से काम शुरू किया है. उन्होंने कहा, ‘हमने खुद से मलबे को हटाने का प्रयास किया लेकिन दुर्भाग्य से हमारे प्रयास पर्याप्त नहीं थे.’

सेलेन एकीमन ने हाथों में पहने दस्तानों से अपने आंसू पोंछते हुए बताया कि उसके माता-पिता और भाई अब भी मलबे में दबे हुए हैं. उन्होंने कहा, ‘कई दिनों से उनकी कोई आवाज नहीं आ रही. कुछ नहीं.’ सरकार की प्रतिक्रिया के बेहद धीमी होने को लेकर आलोचनाओं के बीच राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन का बृहस्पतिवार को भूकंप प्रभावित प्रांत गाजियांतेप, ओस्मानिया और किलिस का दौरा करने का कार्यक्रम है.

जीवित बचे लोगों की तलाश जारी

बचावकर्मियों ने क्षतिग्रस्त घरों के मलबों में जीवित बचे लोगों की तलाश जारी रखी है, लेकिन हादसे के तीन दिन बीतने और भीषण ठंड के कारण हर बीतते घंटे के साथ और लोगों को बचा पाने की उम्मीदें भी फीकी पड़ती नजर आ रही हैं. इंग्लैंड स्थित नॉटिंघम ट्रेंट यूनिवर्सिटी में प्राकृतिक खतरों के विशेषज्ञ स्टीवन गोडबाय ने कहा, ‘पहले 72 घंटों को महत्वपूर्ण माना जाता है.’ उन्होंने कहा, ’24 घंटों के भीतर जीवित रहने का औसतन अनुपात 74 प्रतिशत, 72 घंटों के बाद 22 प्रतिशत और पांचवें दिन यह छह प्रतिशत होता है.’