MDMA की जन्म-कुंडली, जिसे पुलिस सोनाली फोगाट की मौत की वजह मान रही!
ड्रग्स के वर्गीकरण के नजरिए से देखा जाए तो इसे एम्पैथोजेन-एंटैक्टोजेन की श्रेणी में रखा जाता है. कानूनी रूप से इसका इस्तेमाल सिर्फ वैज्ञानिक ही कर सकते हैं. ब्रिटेन में जहां इसे ए क्लास के ड्रग में शामिल किया गया है.
बिग बॉस सीजन 14 की प्रतिभागी और टिक टॉक स्टार बीजेपी नेता सोनाली फोगाट का कत्ल हुआ. गोवा पुलिस यह तो बता रही है. कत्ल MDMA जैसा घातक जहर देकर किया गया है. ये बात गोवा पुलिस के ही दावे के मुताबिक संदिग्ध कातिल भी कथित रूप से ही सही मगर गोवा पुलिस के कब्जे में हैं. इस सबके बाद भी मगर जमाने की नजर में सोनाली फोगाट हत्याकांड में हो रही पुलिस की जांच साफ-साफ गले नहीं उतर पा रही है.
कथित रूप से ही सही मगर देश में अधिकांश लोग पूरे मामले के पुलिस के कथित पर्दाफाश को संदिग्ध रूप से ही देख रहे हैं. हालांकि सोनाली को दिया गया ड्रग बहुत ही खतरनाक है, इस ड्रग्स से शरीर को किस तरह का नुकसान होता है और कैसे लक्षण होते हैं, ये हम आपको बता रहे हैं. एमडीएमए कोई नया ड्रग नहीं है, किसी समय में यह गली-कूचों में आसानी से मिल जाता था.
MDMA ड्रग कितना खतरनाक?
फिलहाल बात करते हैं उस MDMA ड्रग की जिसकी डोज देकर, सोनाली फोगाट का कत्ल किए जाने का दावा अब गोवा पुलिस ने ठोंका है. इसका पूरा नाम है मिथाइल एनेडियोक्सी मेथामफेटामाइन. अमूमन इसे एक्स्टसी, ई एक्स एक्सटीसी मौली और मैंडी के नाम से भी जाना-पहचाना जाता है. भारत में मगर इसका एमडीएमए सबसे ज्यादा प्रचलित संक्षिप्त नाम है. इसे उत्तेजना को बढ़ाने वाली दवा के रुप में भी जाना जाता है. इसके इस्तेमाल से इंसान के शरीर में तमाम तरह के बदलाव कुछ ही देर में महसूस होने या कहिए आने लगते हैं. मसलन, सोचने के तरीके में एकदम परिवर्तन, शारीरिक उर्जा में अचानक से वृद्धि होना.
आधे घंटे में दिखाई देने लगता है असर
इसके इस्तेमाल से किसी इंसान के प्रति जरूरत से ज्यादा अचानक सहानुभूति पैदा होने लगना. इसे जब भी मुंह के रास्ते से इंसान के शरीर में पहुंचाया जाता है या यह जब भी मुंह के रास्ते से पहुंचता है. तब-तब बहुत जल्दी असर दिखाना शुरू कर देता है. एक्सपर्ट्स की माने तो, एमडीएमए ऐसा घातक ड्रग है जो मुंह के रास्ते शरीर में पहुंचने पर जिसका असर आधे घंटे में दिखाई देना शुरू कर देता है. और इसका असर किसी आम इंसान के शरीर में 3 से छह घंटे तक रह सकता है.
कानूनी तौर पर वैज्ञानिक ही कर सकते हैं इस्तेमाल
कम मात्रा में लेने पर यह किसी इंसान को कुछ घंटों के लिए आनंद की अनुभूति का अहसास कराता है. अगर इसकी मात्रा इंसान के शरीर में एक ही बार में ज्यादा पहुंच जाए. या फिर कई बार में जल्दी जल्दी इसकी डोज इंसान के बदन में पहुंचे तो, इंसान के लिए यह जानलेवा साबित होता है. अगर ड्रग्स के वर्गीकरण के नजरिए से देखा जाए तो इसे एम्पैथोजेन-एंटैक्टोजेन की श्रेणी में रखा जाता है. कानूनी रूप से इसका इस्तेमाल सिर्फ वैज्ञानिक ही कर सकते हैं. ब्रिटेन में जहां इसे ए क्लास के ड्रग में शामिल किया गया है. वहीं न्यूजीलैंड में बी क्लास ड्रग के रुप में शामिल किया गया है.
कभी गली-कूचों में मिलता था MDMA ड्रग
बात अगर इसके जन्म की करें तो पहली बार यह सन् 1912 में मर्क द्वारा खोजा गया था. जबकि मनोचिकित्सा क्षेत्र में इसका उपयोग अधिकृत और वैज्ञानिक रुप से सन् 1970 के करीब होना शुरु हुआ था. दस साल के अंतराल में ही सन् 1980 आते-आते यह ड्रग स्ट्रीट ड्रग, मतलब गली-मुहल्लों में मिल जाने वाले ड्रग के रूप में मशहूर हो चुका था. इसके इस्तेमाल करने वाले अक्सर मेथामफेटामाइन, एम्फैटेमिन, इफेड्रिन जैसे अन्य ड्रग्स के साथ भी मिलाकर इस्तेमाल करते देखे-सुने जाते रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सन् 2016 में 15 से 65 आयुवर्ग के करीब 2.1 मिलियन लोगों द्वारा इस्तेमाल किया जा चुका था. जोकि तब के आंकड़ों के मुताबिक विश्व जनसंख्या का 0.3 फीसदी आंकड़ा था. संयुक्त राज्य अमेरिका में तो सन् 2017 तक करीब 7 फीसदी लोग अपनी जिंदगी में एमडीएमए का इस्तेमाल कर चुके पाए गए थे.
ये हैं खतरनाक ड्रग्स के लक्षण
फॉरेंसिक साइंस और ड्रग्स एक्सपर्ट्स की मानें तो MDMA के तमाम प्रतिकूल प्रभावों में कुछ तो बेहद खतरनाक हैं. मसलन, इसके ज्यादा इस्तेमाल से इंसान दांत पीसना, हार्टबीट बढ़ना, बेतहाशा पसीना आना यहां तक कि आंख द्वारा देखे जाने की क्षमता पर भी इसका जबरदस्त प्रभाव पड़ता है. जो इंसान इसे धीमी गति से मगर निरंतर लेने के अभ्यस्त हो जाते हैं उनमें, यह ड्रग सबसे पहले याददाश्त कमजोर करना, तीव्र बुखार आने जैसे लक्षण देता है. कभी कभी तो इसके ज्यादा और लगातार सेवन से इंसान की मौत भी हो जाती है.
MDMA भ्रमित कर देता है दिमाग
इसके लेने वाला इंसान खुद को अक्सर उदासीन और थका-थका सा तो महसूस करता है. लेकिन कुछ समय बाद ही वो खुद में एक नई उर्जा का संचार महसूस करके, उत्साह से भी भर जाता है. मतलब एमडीएमए के इस्तेमाल वाले इंसान का मूड कब बदलने लगे? किस तरह से बदलने लगे? कह पाना मुश्किल होता है. इसका सबसे बुरा असर जो इंसान पर होता है वो है मतिभ्रम होना. मतलब, इंसान इसे लेने के बाद कब अपना मूड बदल जाए. पता नहीं लगता है.