तेलंगाना में बैकवर्ड क्लास पर BJP का फोकस, OBC को सबसे ज्यादा सीटें
तेलंगाना में बीजेपी अब तक 53 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है. इनमें से बीजेपी ने सबसे ज्यादा 52 फीसदी सीटों पर ओबीसी उम्मीदवार उतारे हैं. बता दें कि तेलंगाना की 119 विधानसभा सीटों पर 30 नवंबर को मतदान होगा, जबकि वोटों की गिनती तीन दिसंबर को होगी.
Telangana Assembly Election 2023: तेलंगाना में बीजेपी ओबीसी को साधने में जुटी है. हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि अगर तेलंगाना में बीजेपी जीती तो मुख्यमंत्री पिछड़े वर्ग से होगा. तेलंगाना में भारतीय जनता पार्टी का ओबीसी पर खास फोकस है. बीजेपी तेलंगाना में अब तक 53 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है.
इनमें से 14 सीटें SC/ST के लिए आरक्षित हैं जबकि बाकी बचे 39 सामान्य सीटों में से बीजेपी ने ओबीसी को सबसे ज्यादा सीटें अलॉट की हैं. बता दें की बीजेपी ने 39 में 20 सीटें पिछड़े वर्गों को आवंटित की हैं. 13 सीटों (33 फीसदी) पर बीजेपी ने रेड्डी समुदाय के उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है. वहीं, 6 सीटों (16 फीसदी) पर अन्य समुदाय के लोगों को टिकट मिली है.
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कांग्रेस ने 100 सीटों पर उतारे उम्मीदवार
वहीं, अगर कांग्रेस और सत्ताधारी बीआरएस की बात करें तो कांग्रेस 100 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर चुकी है. इनमें से 23 सीटें एससी-एसटी के आरक्षित हैं जबकि 77 जनरल सीटों में से कांग्रेस ने 19 सीटें ओबीसी को, 38 सीटें रेड्डी कम्युनिटी को और 20 अन्य सीटे अन्य समुदाय को लोगों को आवंटित की हैं. उधर, बीआरएस ने 115 सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर चुकी है.
इनमें से 29 सीटें SC/ST के लिए आरक्षित हैं जबकि 86 जनरल सीटों में से 24 सीटों पर ओबीसी, 39 सीटों पर रेड्डी समुदाय और बाकी अन्य सीटों पर बीआरएस ने दूसरे समुदाय को लोगों को मैदान में उताया है. बता दें कि पिछड़ा वर्ग से मुख्यमंत्री का दांव बीजेपी के लिए कितना कारगर होगा, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा लेकिन केसीआर को पहली बार कड़ी चुनौती मिल रही है.
तेलंगाना में 30 नवंबर को मतदान
बता दें कि तेलंगाना की 119 विधानसभा सीटों पर 30 नवंबर को मतदान होगा, जबकि वोटों की गिनती तीन दिसंबर को होगी. तेलंगाना में केसीआर की पार्टी बीआरएस की सरकार है. कांग्रेस और बीजेपी उसे चुनौती देने का प्रयास कर रही हैं. पिछले विधानसभा चुनावों में बीआरएस (तत्कालीन टीआरएस) ने 88 सीटें जीतकर अपनी सत्ता बरकरार रखी थी. वहीं, कांग्रेस को 19 और एआईएमआईएम को सात सीटों पर जीत मिली थी। भाजपा को सिर्फ एक सीट से संतोष करना पड़ा था.