उत्तराखंड में आ सकता है तुर्की जैसा भूकंप! धरती में हो रही भयंकर हलचल

उत्तराखंड में आ सकता है तुर्की जैसा भूकंप! धरती में हो रही भयंकर हलचल

वैज्ञानिकों ने पाया है कि उत्तराखंड में जमीन के नीचे भयंकर तनाव पैदा हो रहा है.

उत्तराखंड की जोशीमठ आपदा अभी हमारे जेहन से उतरी भी नहीं थी कि वैज्ञानिकों ने एक और अंदेशा जताया है. तुर्की और सीरिया भयंकर भूकंप से बुरी तरह टूट गए हैं. तुर्की में बीती शाम फिर 6.4 तीव्रता का भूकंप आया था. राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (National Geophysical Research Institute) के साइंटिस्ट डॉ एन पूर्णचंद्र राव ने एक वॉर्निंग जारी की है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में भी तुर्की जैसा भूकंप आ सकता है. उनकी एक वॉर्निंग ने लोगों की नींद उड़ा दी है.

राव ने बताया कि उत्तराखंड क्षेत्र में सतह के नीचे बहुत तनाव पैदा हो रहा है. ये तनाव तभी दूर होगा जब एक बड़ा भूकंप आएगा. टीओआई की रिपोर्ट ने उनका हवाला देते हुए लिखा कि हालांकि भूकंप की तारीख और समय की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है. विनाश कई कारकों पर निर्भर करेगा जो एक भौगोलिक क्षेत्र से दूसरे भौगोलिक क्षेत्र में भिन्न होते हैं.

उन्होंने कहा कि हमने उत्तराखंड पर केंद्रित हिमालयी क्षेत्र में लगभग 80 भूकंपीय स्टेशन स्थापित किए हैं. हम इसकी रियल टाइम निगरानी कर रहे हैं. हमारा डेटा दिखाता है कि तनाव काफी समय से जमा हो रहा है. हमारे पास क्षेत्र में जीपीएस नेटवर्क हैं. जीपीएस पॉइंट हिल रहे हैं, जो सतह के नीचे होने वाले परिवर्तनों का संकेत दे रहे हैं.

राव ने कहा कि पृथ्वी के साथ क्या हो रहा है, ये निर्धारित करने के लिए वेरियोमेट्रिक जीपीएस डाटा प्रोसेसिंग विश्वसनीय तरीकों में से एक है. राव ने जोर देकर कहा, “हम सटीक समय और तारीख की भविष्यवाणी नहीं कर सकते, लेकिन उत्तराखंड में कभी भी भारी भूकंप आ सकता है. वेरियोमीटर पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में भिन्नता को मापते हैं.

बद्रीनाथ और केदारनाथ जैसे तीर्थ स्थलों के एंट्री गेट माने जाने वाले जोशीमठ में भू-धंसाव के बारे में बात करते हुए शीर्ष वैज्ञानिक की टिप्पणी आई है. चार धाम यात्रा अगले दो महीने में शुरू हो जाएगी. इस दौरान लाखों तीर्थयात्री उत्तराखंड के पहाड़ों पर आते हैं. 8 और उससे अधिक तीव्रता के भूकंप विनाशकारी होते हैं. तु्र्की में 7.8 रिक्टर स्केल का भूकंप आया था. यहां पर हजारों इमारतें जमींदोज हो गईं. अब 45000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. साइंटिस्ट ने कहा कि तकनीकी रूप से इसे एक बड़ा भूकंप नहीं कहा जा सकता है. लेकिन खराब गुणवत्ता वाले निर्माण सहित कई कारकों के कारण तुर्की में तबाही अधिक थी. उन्होंने कहा कि हिमालयी क्षेत्र में जो जम्मू-कश्मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक फैला हुआ है 8 से अधिक तीव्रता का भूकंप आने की संभावना है.