PM Modi US Visit: अमेरिका-भारत के रिश्ते से चीन की निकलेगी हवा, ग्लोबल सप्लाई चेन में ड्रैगन की टूटेगी कमर

PM Modi US Visit: अमेरिका-भारत के रिश्ते से चीन की निकलेगी हवा, ग्लोबल सप्लाई चेन में ड्रैगन की टूटेगी कमर

अमेरिका और भारत के मजबूत होते रिश्ते से चीन को बड़ा झटका लग सकता है. अमेरिका और भारत ग्लोबल सप्लाई चेन में ड्रैगन की कमर तोड़ने के लिए पूरी तैयारी में है.

पीएम मोदी के अमेरिका दौरे से भारत और यूएस के रिश्ते मजबूत होते दिख रहे हैं. भारत और अमेरिका के बीच साझेदारी दोनों देशों के लिए नही बल्कि विश्व के लिए भी फायदेमंद हो सकती है. ऐसे में अमेरिका और भारत के मजबूत होते रिश्ते से चीन को बड़ा झटका लग सकता है. अमेरिका और भारत ग्लोबल सप्लाई चेन में ड्रैगन की कमर तोड़ने के लिए पूरी तैयारी में है. सूत्रों के मुताबिक, अमेरिका के साथ जो कारोबार के मामले लंबित पड़े हैं, भारत उनको खत्म करके नई नई शुरूआत करेगा. दोनों देश आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सेमीकंडक्टर, स्पेस, क्वांटम और टेलीकॉम जैसे सेक्टर्स में सहयोग बढ़ाकर मजबूत और फ्यूचरिस्टिक पार्टनरशिप कर रहे हैं.

पीएम मोदी का कहना है कि भारत ग्लोबल अनिश्चितताओं के बीच विश्वसनीय पार्टनर की तरह अमेरिका और भारत एक विश्वसनीय, सुरक्षित, ग्लोबल सप्लाई चेन और वैल्यू चेन तैयार करेगा. कई कोशिशों के बाद कॉम्प्रिहेंसिव ग्लोबल स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप में एक नया अध्याय जुड़ गया है. इससे देश को एक नई दिशा और नई उर्जा मिली है. भारत और अमेरिका ने ग्लोबल सप्लाई चेन को मजबूत बनाने के लिए काम शुरू करने का लिया है. जिससे ग्लोबल सप्लाई चेन एक बार फिर से चर्चा में आ गई है. इस सप्लाई चेन में चीन की भागीदारी अधिक है. इसलिए अमेरिका ग्लोबल सप्लाई चेन में चीन की बड़ी भागीदारी से परेशान है.

जानिए क्या है ग्लोबल सप्लाई चेन?

ग्लोबल सप्लाई चेन एक तरह का ग्लोबल नेटवर्क होता है जिसका उपयोग करके संस्थाएं प्रोडक्शन और सेवाओं का निर्माण करने में करती हैं. यह नेटवर्क कई देशों तक फैला हो सकता है. जिससे प्रोडक्शन और सर्विसेज के लिए जरूरी सप्लाई की जा सके. बहुत से ग्लोबल सप्लाई चेन में इम्पोर्मेशन, रिसोर्स, प्रक्रियाओं आदि का दुनिया भर में फ्लो होता है. इस लिहाज से देखें तो इस टेक सेक्टर्स में सस्ती टैक्नोलॉजी, रिसोर्स, आदि से प्रोडक्शन की लागत कम की जा सकती है और नए बाजार में जाकर विस्तार किया जा सकता है. यदि कोई कंपनी भारत का कच्चा माल इस्तेमाल करती है, यूरोप में उसका प्रोडक्शन करती है और अफ्रीका में भेजती तो इसमें सप्लाई चेन ग्लोबल है.

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ग्लोबल सप्लाई चेन में ऐसे बढ़ा चीन

पिछले कुछ दशकों में में चीन ग्लोबल सप्लाई चेन का एक बड़ा हिस्सा बनता गया. इसकी वजह वहां का सस्ती लेवर और तेजी से मैन्युफैक्चरिंग करने के लिए स्ट्रक्चर डेवलप था, जिसकी वजह से दुनिया की बहुत सारी, खास तौर से बड़ी कंपनियों ने अपने उत्पादन केंद्र चीन में स्थापित कर लिए. जिससे उनकी लागत में कमी आ सके. साथ ही बंदरगाह, मालवाहक पोत भी बनाए हैं, जिससे सप्लाई में परेशानी न हो. ऐसे में अमेरिका सहित पश्चिमी देशों के व्यवसाय की चीन पर निर्भरता बढ़ने लगी.

ग्लोबल सप्लाई चेन में चीन के वर्चस्व खत्म करने की जरूरत

ऐसे में अब अमेरिका चीन पर अपने कारोबारों की निर्भरता को खत्म करके भारत के साथ मिलकर ग्लोबल सप्लाई चेन में चीन के वर्चस्व को पूरी तरह से खत्म करना चाहता है. अमेरिका ने अपनी कंपनी के लिए चाइना प्लस वन की पॉलिसी को सबसे ज्यादा बढ़ावा दिया है कि कंपनी चीन के अलावा भी किसी अन्य देश में भी अपना प्रोडक्शन शुरू करें. अन्य देशों में भारत एक बहुत मजबूत दावेदार हो सकता है. खुद भारत भी ग्लोबल सप्लाई चेन में आगे बढ़ना चाहता है. इसलिए अब अमेरिका और भारत दोनों देश मिलकर ग्लोबल सप्लाई चेन में ड्रैगन की कमर तोड़ने की तैयारी कर रहे हैं.