Jet Engine Make In India: जेट इंजन से कसेंगे इकोनॉमी के नट-बोल्ट, आत्मनिर्भर भारत का सपना ऐसे होगा साकार
पीएम नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान जेट इंजन की 100 प्रतिशत टेक्नोलॉजी भारत को देने पर यूएस का सहमति जताना एक बड़ी बात है. ये पीएम मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' के लिए भी बहुत जरूरी है. आखिर कैसे ये डील देश की इकोनॉमी को फायदा पहुंचाएगी?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के बुलावे पर ‘स्टेट विजिट’ पर गए. उनकी इस यात्रा के दौरान कई आर्थिक, वैश्विक और राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा हुई, पीएम मोदी के सम्मान में ‘स्टेट डिनर’ भी हुआ. लेकिन इसी के साथ एक बड़ी घटना हुई-अमेरिका का जेट इंजन की 100 प्रतिशत टेक्नोलॉजी भारत के साथ शेयर करने पर सहमत होना. ये वो तकनीक है जो भारत को मिलने के बाद दुनिया के 5 देशों के पास होगी. आखिर भारत के लिए ये तकनीक इतनी जरूरी क्यों है और कैसे ये पीएम मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सपने को साकार कर सकती है? चलिए समझते हैं…
भारत के आसपास के परिदृश्य को देखें तो एक तरफ पाकिस्तान, तो दूसरी तरफ चीन की समस्या कई सालों से मुंह बाएं खड़ी है. ऐसे में दोनों देशों से एक कदम आगे रहने के लिए भारत के पास मजबूत वायुसेना का होना जरूरी है. वायुसेना को मजबूत बनाने वाले फाइटर जेट, लड़ाकू हेलीकॉप्टर इत्यादि के लिए भारत अब भी दूसरे देशों पर निर्भर है. इसमें अमेरिका, रूस और फ्रांस शामिल हैं. ऐसे में उसके पास जेट इंजन की तकनीक आने से उसे अपने फाइटर जेट बनाने में मदद मिलेगी.
इसे भी देखें : भारत में बोइंग लगाएगी 820 करोड़, करेगी ये काम
भारत में लड़ाकू विमान बनाने की क्षमता
भारत लड़ाकू विमानों का निर्माण कर सकता है, इस क्षमता का प्रदर्शन उसने किया है. भारत ने हल्के लड़ाकू विमान तेजस एमके1 को घरेलू स्तर पर बनाया है. लेकिन असल समस्या इसके इंजन की है, जो भारत खुद नहीं बनाता बल्कि इसका उसे आयात करना पड़ता है.
पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान जीई एरोस्पेस ने सरकारी कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ अब एक समझौताा किया है. समझौते के हिसाब से दोनों कंपनियां आपस में मिलकर जेट इंजन का भारत में ही निर्माण करेंगी. ये जेट इंजन जीई414 होगा. इससे भी बड़ी बात इस समझौते की ये है कि इसमें अमेरिका जेट इंजन की तकनीक भारत को देगा, जो कई कोशिशों के बाद चीन को भी हासिल नहीं हो सकी.
जीई एरोस्पेस अमेरिका की प्रमुख जेट इंजन कंपनी जीई इलेक्ट्रिक कंपनी का हिस्सा है. जीई इलेक्ट्रिक की पहले से भारत में मौजूदगी है. जेट इंजन की इस डील के लिए जीई एरोस्पेस को अब बस कुछ नियामकीय मंजूरियां लेनी होंगी, जिनके अमेरिकी संसद भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग के लिए मिल जाना लगभग तय है.
क्यों जरूरी है GE414 जेट इंजन?
साल 1986 में जनरल इलेक्ट्रिक (जीई) ने एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ काम करना शुरू किया था. इस साझेदारी में लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (तेजस) और एफ404 इंजन का विकास हुआ. इसी के साथ जीई के एफ404 और एफ414 इंजन एलसीए एमके1 और एलसीए एमके2 का हिस्सा बन गए. अब 75 एफ404 इंजन की डिलीवरी हो चुकी है, जबकि 99 का ऑर्डर एलसीए एमके1ए के लिए ऑर्डर कर दिए गए हैं. वहीं 8 एफ414 इंजन डिलीवर हो चुके हैं जो मौजूदा समय में तेजस के अपग्रेड वजर्न एलसीए एमके2 के डेवलपमेंट के लिए चाहिए.
ये भी पढ़ें: पीएम मोदी के स्टेट डिनर में दिखा भारतीय उद्योग जगत का भी जलवा
ऐसे में अगर जेट इंजन की तकनीक भारत को मिल जाती है, तो इन इंजन का प्रोडक्शन बढ़ाया जा सकेगा. वहीं घरेलू लेवल पर बनने से इनकी लागत भी कम आएगी. इतना ही नहीं अमेरिका के मुकाबले भारत में इंजन बनाने की कम लागत की वजह से इसका निर्यात करना भी आसान होगा, जबकि टेक्नोलॉजी हासिल होने की वजह से भारत सीधे तौर पर भी ऑर्डर लेकर निर्यात कर सकेगा.