मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन को हरी झंडी, बांबे हाई कोर्ट ने लगाई मुहर
न्यायमूर्ति आरडी धानुका और न्यायमूर्ति एमएम सथाये की खंडपीठ ने कहा कि प्रोजेक्ट अपने आप में अनूठा है और सार्वजनिक हित को निजी हित पर वरीयता मिलेगी.
बांबे हाई कोर्ट ने मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट (Mumbai-Ahmedabad Bullet Train Project) के लिए महाराष्ट्र सरकार और NHSRCL द्वारा मुंबई के विखरोली क्षेत्र में शुरू किए गए भूमि अधिग्रहण के खिलाफ गोदरेज एंड बॉयस द्वारा दायर याचिका गुरुवार को खारिज कर दी. अदालत ने कहा कि यह प्रोजेक्ट्स राष्ट्रीय महत्व का है और जनता की भलाई के लिए है. न्यायमूर्ति आरडी धानुका और न्यायमूर्ति एमएम सथाये की खंडपीठ ने कहा कि प्रोजेक्ट अपने आप में अनूठा है और सार्वजनिक हित को निजी हित पर वरीयता मिलेगी.
कुछ ऐसी है परियोजना
मुंबई से अहमदाबाद के बीच कुल 508.17 किलोमीटर की रेल की पटरी में से 21 किलोमीटर अंडरग्राउंड रहेगी. अंडरग्राउंड टनल का एंट्री प्वाइंट विखरोली में गोदरेज की जमीन पर पड़ता है. राज्य सरकार और नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) ने दावा किया था कि कंपनी के कारण पूरी परियोजना में देरी हो रही है, जबकि परियोजना जनता के लिए महत्वपूर्ण है. सरकार ने हाई कोर्ट को बताया था कि गोदरेज एंड बॉयस मेन्युफैक्चरिंग कंपनी लिमिटेड के विखरोली इलाके में स्थित क्षेत्र को छोड़कर परियोजना के पूरे मार्ग के लिए अधिग्रहण प्रक्रिया पूरी हो चुकी है.
सरकार पहले ही दे चुकी है मुआवजा
राज्य सरकार ने अदालत को पहले बताया था कि वह पिछले साल अक्टूबर में कंपनी को 264 करोड़ रुपये का मुआवजा दे चुकी है. गोदरेज एंड बॉयस ने उसे मुआवजा देने के महाराष्ट्र सरकार के 15 सितंबर, 2022 को जारी आदेश को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी.