India-US Drone Deal: मिलिए उस शख्स से, जिसने भारत के लिए संभव किया 31 अमेरिकी प्रीडेटर ड्रोन का मिलना

India-US Drone Deal: मिलिए उस शख्स से, जिसने भारत के लिए संभव किया 31 अमेरिकी प्रीडेटर ड्रोन का मिलना

भारत को अमेरिका से अब 31 प्रीडेटर ड्रोन मिलने का रास्ता साफ हो गया है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस डील को अंजाम देने में एक शख्स ने अहम भूमिका निभाई है. चलिए जानते हैं उनके बारे में...

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के साथ ही दोनों देशों के रिश्तों में एक नई गर्मजोशी भर गई है. वहीं इसके बढ़ते आयाम भी नजर आ रहे हैं. भारत को मिलने जा रहे 31 प्रीडेटर ड्रोन इसी का बेहतरीन उदाहरण है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पीएम मोदी के साथ-साथ भारत की इस डिफेंस डील को पूरा करने में एक अन्य शख्य की भी अहम भूमिका रही है. चलिए जानते हैं उनके बारे में…

डॉ. विवेक लाल, जी हां, यही वो नाम है जिसने भारत और अमेरिका के बीच 31 प्रीडेटर ड्रोन की डील को संभव बनाने में अहम भूमिका अदा की है. डॉ. विवेक लाल, जनरल एटॉमिक्स ग्लोबल कॉरपोरेशन में चीफ एग्जीक्यूटिव हैं. डिफेंस सेक्टर में भारत और अमेरिका के बीच व्यापार और सहयोग को मजबूत करने में उनका योगदान काबिले-तारीफ है. अपने लंबे अनुभव के बलबूते उन्होंने भारत-अमेरिका के बीच एडवांस डिफेंस टेक्नोलॉती के व्यापार को गति देने का काम किया है.

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भारत के लिए क्यों जरूरी हैं 31 प्रीडेटर ड्रोन?

अमेरिका के प्रीडेटर ड्रोन, जिन्हें MQ-9 Reaper भी कहा जाता है. ये हवा में लगातार 36 घंटे तक उड़ान भर सकते हैं. ये किसी एक ही फिक्स जगह की फोकस्ड मॉनिटरिंग कर सकते हैं. जैसे ही ये 31 ड्रोन भारत को मिलेंगे, देश की तीनों सेनाएं इसका इस्तेमाल संयुक्त तौर पर तुरंत शुरू कर देंगी.

भारत और अमेरिका की ड्रोन डील को लेकर डॉ. विवेक लाल का कहना है कि ये दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों को और मजबूत करेगा. वहीं इस डील को नेक्स्ट लेवल पर लेकर जाने में जनरल एटोमिक्स की भूमिका अहम रही है.

कौन हैं डॉ. विवेक लाल?

डॉ. विवेक लाल ने साल 2007 में बोइंग में टॉप पोजिशन हासिल की थी. उनके चलते ही भारत और अमेरिका के बीच डिफेंस डील कराई थी. बोइंग में अपने पूरे करियर के दौरान उन्होंने एक से बढ़कर एक मिलिट्री डील को अंजाम दिया. इसमें भारत के साथ P8I Anti Submarine Warfare Aircraft से लेकर C17 मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, एंटी-शिप हारपून मिसाइल्स, अपाचे और चिनूक हेलीकॉप्टर और अन्य रक्षा सौदे शामिल हैं.

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इसके बाद वह लॉकहीड मार्टिन एरोनॉटिक्स में स्ट्रैटजी और बिजनेस डेवलपमेंट के वाइस प्रेसिडेंट रहे. बाद में उन्हें अमेरिका की सरकार ने फेडरल एडवाइजरी कमेटी में अहम सलाहकार नियुक्त किया. इसके बाद वह दो साल तक वाशिंगटन डीसी के ट्रांसपोर्टेशन डिपार्टमेंट में रहे और इस तरह उन्हें अमेरिका के साथ-साथ ग्लोबल लेवल पर एविएशन पॉलिसी को प्रभावित करने का मौका मिला. उनकी ही कोशिशों का फल रहा कि भारतीय नौसेना को एंटी-सबमरीन हेलीकॉप्टर्स हासिल हुए.